रायपुर। छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है यह कहना है आम आदमी पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी संजीव झा का। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य महकमा वेंटिलेटर पर है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पतालों में मूलभूत जांच सुविधाएं ही नहीं हैं।

आप पार्टी ने आरोप लगाते हुए कहा कि 23 सालों के बाद भी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बद्दतर होती चली जा रही है। प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रदेश प्रभारी संजीव झा और आम आदमी पार्टी, डॉक्टर्स विंग के स्टेट इंचार्ज डॉ. विक्रांत केसरिया ने आज मंगलवार को भूपेश सरकार पर कई सवाल खड़े किए।
सहप्रभारी संजीव झा ने कहा कि प्रदेश में कुल 9 सरकारी मेडिकल कॉलेज 3 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और एक एम्स है। लेकिन इन सभी मेडिकल कॉलेजी की हालत बद से बदतर है। आईसीयू बेहोशी डॉक्टर स्त्री रोग विशेषज्ञ रेडियोलॉस्टि, एक्सरे मशीन समेत मूलभूत व्यवस्थाएं नहीं है। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश की स्वस्थ्य व्यवस्था का स्तर क्या है यानि की पूरी की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। आज 23 सालो बाद भी हालत बेहद खराब है। उन्होंने कहा, स्वास्थ् मंत्री टीएस सिंहदेव और सीएम भूपेश बघेल के सियासी तकरार में छत्तीसगढ़ की जनता लगातार पिस रही है।
आम आदमी पार्टी के डॉक्टर्स लिंग के प्रदेश अध्यक्ष है. विक्रांत केसरिया ने कहा प्रदेश के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज रायपुर में सिर्फ एक एमआरआई मशीन और एक ही सिटी स्कैन मशीन है। ऐसे में मरीजों को काफी परेशानी होती है। किसी मरीज को सिटी स्कैन, एमआरआई या सोनोसपी करना है तो एक से डेढ़ महीने का इंतजार करना पड़ता है। सीबीसी एक छोटी सी जांच है, जिसके लिए रिजेंट 7 महीने से नहीं जो अभी आया है, लेकिन सिर्फ दो महीने के लिए उपलब्ध है।
इसका कारण यह है कि मेडिकल कॉलेज में समय से टेंडर नहीं हो पा रहा है। डॉ. विक्रांत केसरिया ने कहा प्रदेश का दूसरा सबसे पुराना सिम्स बिलासपुर में 23 साल बाद भी न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट विकसित नहीं हो पाया है। यहां एक न्यूरो सर्जन है, जिन्हें मेडिकल सुपरिटेंडेंट बना दिया गया। ऐसे में हेड इंजरी का जो भी मरीज आता है उसे रायपुर या फिर प्राइवेट अस्पताल रेफर करना पड़ता है। जबकि इस तरह के जब भी मरीज आते उनका तुरंत करना अति आवश्यक होता है, अन्यथा जान जा सकती है।
सिम्स बिलासपुर अभी भी पुरानी बिल्डिंग में संचालित हो रहा है। जबकि बीजेपी के शासन काल में बिलासपुर के कोनी में जमीन आवंटित की गई थी। लेकिन बीजेपी की सरकार जाने के बाद कांग्रेस की सरकार आई है, आज 5 साल बीतने वाला है, लेकिन अभी भी सिम्स शिफ्ट नहीं हो पाया है। जबकि वहां (कोनी) में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के नाम पर नई इमारतें बना दी गई, लेकिन वहां कोई व्यवस्था नहीं है और सिम्स अभी भी पुराने जिला अस्पताल के बिल्डिंग में संचालित हो रहा है।
डॉ. विक्रांत केसरिया ने बताया कि बीजेपी के शासन काल में राजनांदगांव में मेडिकल कॉलेज बनाया गया था, जो कि पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह गृह विधानसभा क्षेत्र है। जहां से वे लगातार विधायक रहे, लेकिन यहां अबतक सिटी स्कैन मशीन की व्यवस्था नहीं हो पाई है। सिटी स्कैन के लिए मरीज को जिला अस्पताल भेजा जाता है। 10 साल बाद भी यहां यह व्यवस्था नहीं हो पाई है। एमआरआई की जो व्यवस्था मेडिकल कॉलेज में होनी चाहिए, वह आउटसोर्स पर टिकी हुई है।
प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर में मरीजों को एमआरआई जांच के लिए भेजा जाता है। डॉ. विक्रांत केसरिया ने कहा, पूरे प्रदेश में सिर्फ दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल (डीकेएस) में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट है। डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रदेश का इकलौता सुपर स्पेशलिटी अस्पताल है। लेकिन यहां की रेडियोडायग्नोसिस और ब्लड टेस्ट पूरी तरह से ठेकेदारी प्रथा पर चल रही है, इसलिए यहां से लगातार अव्यवस्थाओं की तस्वीरें सामने आ रही है। रमन सरकार में उनके दामाद पुनीत गुप्ता पर करोड़ों रुपए के घोटाला का आरोप लगा था, लेकिन भूपेश सरकार ने भी अबतक कोई जांच नहीं करवाई।
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