नई दिल्ली। मणिपुर और पंजाब में हाल ही में इंटरनेट शटडाउन से भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.9 बिलियन डॉलर के नुकसान की आशंका है। विदेशी निवेश में लगभग 118 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और लगभग 21,268 नौकरियां चली गईं। यह बात एक रिपोर्ट में कही गई। सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक उपकरण के रूप में भारत में इंटरनेट शटडाउन का नियमित उपयोग जारी है। इस साल अब तक 16 प्रतिशत शटडाउन हुआ है, नेटलॉस कैलकुलेटर के अनुसार यह इस साल दुनिया में सबसे अधिक में से एक है। 2022 में वैश्विक स्तर पर इंटरनेट शटडाउन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। दुनिया भर की सरकारों ने नागरिक अशांति, स्कूल परीक्षाओं और चुनावों के दौरान इंटरनेट पहुंच और सेवाओं को प्रतिबंधित या अवरुद्ध करने का आदेश दिया, इससे आर्थिक नुकसान हुआ। द इंटरनेट सोसाइटी के अध्यक्ष और सीईओ एंड्रयू सुलिवन ने कहा कि इंटरनेट शटडाउन में वैश्विक वृद्धि से पता चलता है कि सरकारें वैश्विक इंटरनेट की खुली, सुलभ और सुरक्षित प्रकृति को कमजोर करने के नकारात्मक परिणामों को नजरअंदाज कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सरकारें अक्सर गलती से यह मान लेती हैं कि इंटरनेट शटडाउन से अशांति कम हो जाएगी, गलत सूचना का प्रसार रुक जाएगा, या साइबर सुरक्षा खतरों से होने वाला नुकसान कम हो जाएगा। लेकिन शटडाउन आर्थिक गतिविधियों के लिए बेहद विघटनकारी हैंं। ये ई-कॉमर्स को रोकते हैं, संवेदनशील लेनदेन में नुकसान उत्पन्न करते हैं, बेरोजगारी बढ़ाते हैं, व्यापार-ग्राहक संचार को बाधित करते हैं, और कंपनियों के लिए वित्तीय और प्रतिष्ठित जोखिम पैदा करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम ने देश की वृद्धि को भी नुकसान पहुंचाया है क्योंकि शोध से पता चलता है कि इंटरनेट अपनाने से सकल घरेलू उत्पाद पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।