नई दिल्ली। जी-20 शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितम्बर को नई दिल्ली में आयोजित होने जा रहा है। दिल्ली में इसे लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। 2 दिन चलने वाली इस बैठक के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा होगी। जी-20 का मंच अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बैठक में हिस्सा लेने के लिए अमरीका, ब्रिटेन से लेकर फ्रांस तक के राष्ट्राध्यक्ष आ रहे हैं। आइए जानते हैं इस के बारे में खास बातें

जी-20 क्या है ?

दुनिया के 20 प्रमुख देशों ने 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद एक आर्थिक समूह बनाया था। यह समूह वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन (जी.डी.पी.) का 80 फीसदी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75 फीसदी हिस्सा है अब तक कुल 17 जी-20 बैठकों का आयोजन हो चुका है। नई दिल्ली में यह 18वां जी- 20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। इस समूह के सदस्य देशों में भारत के साथ ही अमरीका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश शामिल हैं। इसके साथ ही जर्मनी, अर्जेंटीना. आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, इंडोनेशिया के साथ यूरोपीय संघ भी इस समूह का हिस्सा है।

मेहमानों को गीता का ज्ञान देगा खास ऐप

भारत सप्ताह के अंत में होने वाले जी- 20 शिखर सम्मेलन के दौरान विदेशी प्रतिनिधियों के समक्ष अपनी डिजिटल ताकत को प्रदर्शित करेगा जिसमें आधार और यू.पी.आई. जैसे प्रौद्योगिकी मंचों को दर्शाने के साथ ‘गीता’ ऐप के जरिए जीवन को समझने का मौका भी मिलेगा। राजधानी के प्रगति मैदान में नवनिर्मित सम्मेलन स्थल भारत मंडपम में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विदेशी मेहमानों को पवित्र ग्रंथ गीता को शिक्षाओं एवं उसके दर्शन को समझने का मौका एक विशेष ऐप के जरिए मिल सकेगा। मंत्रालय के एक वरि अधिकारी ने बुधवार को कहा कि आस्क गीता’ एक ऐसा माध्यम होगा जिसके माध्यम से विदेशी मेहमान इस पवित्र ग्रंथ में उलिखित शिक्षाओं के अनुरूप जीवन से जुड़े विविध पहलुओं को समझ सकेंगे। इसके साथ ही सम्मेलन में आने वाले प्रतिनिधि डिजिटल कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए गठित ओ. एन.डी.सी. मंच के साथ संवाद भी कर सकेंगे।

भारत में इस आयोजन की क्या तैयारी है?

यह पहली बार है जब भारत विश्व नेताओं के इतने शक्तिशाली समूह की मेजबानी कर रहा है भारतीय अध्यक्षता के तहत इसकी थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम रखी गई है, जिसका अर्थ है “विश्व एक परिवार है। आयोजन के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है। दिल्ली की तमाम सड़कों और चौराहों को फूलों और फव्वारों से सजाया गया है जबकि सरकारी भवनों और फुटपायों को नए सिरे से पेंट किया गया है। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। एंटी ड्रोन सिस्टम और 1,30,000 पुलिस और अर्ध सैन्य कर्मियों द्वारा शहर को अचूक सुरक्षा प्रदान की जानी है।

सम्मेलन के मुद्दे क्या है?

इस बार की जी 20 बैठक में बहुपक्षीय संस्थानों से विकासशील देशों को अधिक ऋण, अंतर्राष्ट्रीय ऋण व्यवस्था में सुधार और क्रिप्टोकरंसी पर नियम को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है। इसके अलावा खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर भूराजनीतिक अनिश्चितताओं के प्रभाव पर भी विमर्श हो सकता है। हालांकि, इस साल अब तक जी-20 समूह ने कोई भी संयुक्त बयान जारी नहीं किया है क्योंकि जी-20 समूह रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर पूरी तरह से बंटा हुआ दिखाई पड़ता है।

सम्मेलन में कौन-कौन शामिल होगा?

नई दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में 19 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख भाग लेंगे। इसके अलावा यूरोपीय संघ भी इस सम्मेलन में शिरकत करेगा। जी-20 के सदस्य देशों के अलावा 9 देशों के प्रमुख बतौर अतिथि देश, बैठक में हिस्सा लेंगे। अंतर्राष्ट्रीय संगठन (यू.एन. आई.एम.एफ. डब्ल्यू. बी. डब्ल्यू.एच.ओ. डब्ल्यू. टी. ओ., आई.एल.ओ. एफ. एस. बी. और ओ.ई.सी.डी.) व क्षेत्रीय संगठन (ए.यू. ए.यू.डी.ए. एन.ई.पी.ए.डी. और आसियान के अतिरिक्त जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा आई.एस.ए. सी.डी.आर.आई. और ए.डी.बी. को अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के रूप में आमंत्रित किया गया है।

रूस के राष्ट्रपति क्यों नहीं आ रहे?

रूस जी-20 समूह का हिस्सा है। इस बार की बैठक में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन हिस्सा नहीं लेंगे। रूस का प्रतिनिधित्व रूसी संघ के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे। इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टैलीफोन पर बात भी की थी। जी- 20 शिखर सम्मेलन से पहले यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आई.सी.सी.) के गिरफ्तारी वारंट के चलते पुतिन जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी शामिल नहीं हुए थे। जानकारों का मानना है कि युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों के साथ एक मंच पर आने पर पुतिन के लिए सहज माहौल नहीं होगा और जी-20 नोंकझोंक के लिए उचित प्लेटफॉर्म नहीं होगा।

चीनी राष्ट्रपति ने क्यों बनाई दूरी ?

राष्ट्रपति शी जिनपिंग कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे। उनके स्थान पर चीन का प्रतिनिधित्व देश के प्रधानमंत्री ली वांग करेंगे। ऐसा करके प्रधानमंत्री के निमंत्रण के अलावा शी जिनपिंग ने अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइन की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। बाइडेन ने उनसे जी-20 सम्मेलन में भारत आने की अपील की थी। शी 2013 में सत्ता में आने के बाद पहली बार जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे हैं, जिसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। शी की अनुपस्थिति ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर तनाव बना हुआ है। इस बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि शी की अनुपस्थिति से भारत के लिए अपने वैश्विक नेतृत्व की ताकत बढ़ाना भी आसान हो सकता है।

लोगों से इंडिया गेट व कर्त्तव्य पथ पर न जाने का आग्रह

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को लोगों से जी-20 शिखर सम्मेलन को देखते हुए टहलने, साइकिल चलाने और सैर-सपाटे जैसी गतिविधियों के लिए इंडिया गेट और कर्त्तव्य पथ पर नहीं जाने का आग्रह किया। विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) एस.एस. यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा- चूंकि इंडिया गेट कर्तव्य पथ को नियंत्रित क्षेत्र में निर्दिष्ट किया गया है, इसलिए दिल्ली पुलिस लोगों से अप्रैल करती है कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ‘टहलने, साइकिल चलाने वा सैर- सपाटे के लिए इस क्षेत्र में न जाएं। नई दिल्ली: जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद का स्वागत करते अधिकारी।

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