रायपुर। साल के आखिर में छत्तीसगढ़ सहित राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि अगले साल यानि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. सियासी जानकारों के मुताबिक, आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी को स्वाभाविक रुप से फायदा मिलने की उम्मीद है. महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) संविधान के 128वें संशोधन के बाद संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया है।

कांग्रेस जहां बिल को तत्काल लागू करने की मांग कर रही है वही भाजपा 2029 से पहले लागू होने के दावे कर रही हैा महिला बिल पास होने के बाद सियासी दलों में लाभ की होड़ मची हुई है। सीएम भूपेश ने इसे तत्काल लागू करने की मांग केंद्र सरकार से की है।

महिला बिल लागू करने को लेकर इंडिया गठबंधन और केंद्र की भाजपा सरकार में बहस का सिलसिला जारी। छत्तीसगढ़ में यह बिल कितना प्रभावी होगा कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन भाजपा बिल पास कराने को अपनी उपलब्धि बता रही है जिससे चुनावी लाभ मिल सके। वही कांग्रेस आरोप लगा रही है कि महिला बिल तत्काल लागू इसलिए समर्थन दिय़ा था, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार इसमें राजनीति कर रही है।

बिल को सदन में पेश करते समय विपक्ष ने अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक आधार पर इसमें महिलाओं को आरक्षण न देने को लेकर सियासी पासा फेंका, लेकिन अंत में एकजुट विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया। इस बिल के जरिये एनडीए गठबंधन और नव गठित I.N.D.I.A. की नजर लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर है।

इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान सीधे तौर पर कांग्रेस और बीजेपी में आर पार की लड़ाई मानी जा रही है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में लगभग 50 फीसदी और छत्तीसगढ़ में लगभग 42 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं। तेलंगाना में 54 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं. सदन में इनके लिए आरक्षण की मांग कर कांग्रेस ने इस वर्ग को साधने की कोशिश कर रहा है ।

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