रायपुर। छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के प्रबंधन पर कितना भी अंकुश लगाया जाये, यहां बैठे चंद अधिकारी अपने कौशल बल से कंपनी विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए कुछ न कुछ तोड़ निकाल ही लेते हैं। आलम यह है कि इनके द्वारा की गई गड़बड़ी की शिकायत कहीं भी कर लीजिये, उच्चाधिकारी जांच कराने की बजाये हाथ पर हाथ धरे बैठ जाते हैं। ऐसे ही एक मामले में शिकायतकर्ता ने ED को मामले की जानकारी देते हुए जांच के लिए लिखा है।

रेट कॉन्ट्रेक्ट में कर दिया बदलाव

शिकायतकर्ता ने ED को भेजे गए पत्र में जानकारी दी है कि बीज निगम में टेंडर शाखा हर साल किसी भी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर शाखा प्रभारी के एन पाणिग्रही (मूलपद उप प्रबंधक) द्वारा ऐसे हथकंडे अपनाये जाते हैं, जो एकबारगी नजर नहीं आते। इस बार  M/s Khajuraho Hybrid Seeds Pvt. Ltd. Bhopal (M.P.) के लिए यह कारनामा  किया गया है, जिसकी शिकायत तथ्यों के साथ की गई है।

RCO की शर्तों में किया गया हेरफेर

शिकायतकर्ता ने जानकारी दी है कि इस साल RCO-09 हाइब्रिड मक्का में Turn over पात्रता 90 लाख रूपये थी। मगर एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए पहले जो RCO 09 हाइब्रिड मक्का के लिए जारी किया गया था, उस Turn over पात्रता 90 लाख रूपये थी, उसे बाद में corigendum जारी कर उसकी पात्रता 25 लाख रुपये कर दी गई।

इसी तरह RCO-62 में हाइब्रिड वेजिटेबल सीड्स में Turn over की पात्रता 2 करोड़ थी उसे भी घटाकर 25 लाख रूपये कर दिया गया।

सर्टिफिकेट को लेकर भी झोल

रेट कॉन्ट्रैक्ट RCO- 09 एवं RCO- 62 कि प्रमुख शर्त थी कि जिस कंपनी के पास स्वयं का R&D certificate है, वही पात्रता रखता है। यह certificate भारत शासन के Ministry of Science and Technology के अंतर्गत आने वाले Department of Science and industrial Research Technology Bhawan, New Mehrouli Road, New Delhi के द्वारा जरी किया जाता है। पहले जारी RCO में यह शर्त रखी गई थी मगर बाद में उसे हटा कर किसी अन्य कंपनी के certificate पर भी आप पात्रता रखते हैं ऐसा corrigendum जारी किया गया। वो भी सिर्फ एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए |

टेंडर की तिथि बार-बार क्यों बढ़ाई गई..?

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि कंपनी M/s Khajuraho Hybrid Seeds Pvt. Ltd. के द्वारा छग राज्य में बीज विक्रय हेतु Director Agriculture, Horticulture से भी जो sale License लिया गया है, उसमें भी भी फर्जी दस्तावेज के मध्यम से हासिल किया गया। शंका जताई गई है कि इसमें संचालक, कृषि एवं संचालक उद्यानिकी भी मिले हुए हैं।

इसके पीछे तर्क दिया गया है कि जब RCO- 09 एवं RCO- 62 जारी हुए थे, तब अंतिम तिथि 22.06.2023 थी। बाद में उसे बढ़ाकर 30.06.2023 किया गया। इसकी अंतिम तिथि समाप्त हो जाने के बाद पुनः 01.07.2023 तक तारीख फिर बढ़ाई गई और फिर अंतिम तिथि 10.07.2013 की गई वो इसलिए क्योंकि एक कंपनी का sale license जारी नहीं हो पाया था। उपरोक्त कंपनी का सेल लाइसेंस भी 10.07.2013 को जारी हुआ है। कंपनी के द्वारा RCO- 09 एवं RCO- 62 भी यही फर्जी दस्तावेज लगाकर पात्रता हासिल की गई है। इसकी जांच की जाये तो कलई खुलनी तय है।

भ्रष्ट्राचार को टेक्निकल कमेटी का भी प्रश्रय

शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि RCO के दस्तावेज जांचने के लिए टेक्निकल कमेटी होती है, लेकिन उनके द्वारा भी कोई आपति नहीं की गई है। जबकि इस कमेटी में IGKVV से एक वैज्ञानिक एवं उद्यानिकी विभाग से संयुक्त संचालक, उद्यान भी शामिल होते हैं।

मक्के की दर सूची जारी, दूसरे की तैयारी

बताया जा रहा है कि इन दो टेंडरों में से RCO- 09 Hybrid Maize यानि हाइब्रिड मक्के की दर सूची जारी कर दी गई है। वहीं RCO – 62 hybrid vegetable seeds की दर सूची जारी करने की तैयारी है।

ऑनलाइन दस्तावेज के परीक्षण की मांग

 शिकायतकर्ता ने इस घोटाले की गारंटी देते हुए अनुरोध किया है कि RCO-09 एवं RCO-62 के ऑनलाइन दस्तावेज का परीक्षण किया जाये, क्योंकि दस्तावेज मांगने पर  पाणिग्रही के द्वारा कंपनियों से बाद में मांग कर लगाये गए दस्तावेज दे दिए जाते हैं। इसलिए इनके online टेंडर प्रक्रिया की जांच की जानी चाहिए।

शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं

ED से की गई शिकायत में कहा गया है कि टेंडर शाखा प्रभारी के एन पाणिग्रही के द्वारा लगातार RCO में गड़बड़ी की जा रही है, जिसकी शिकायत प्रबंध संचालक (MD) से समय-समय पर की गई परन्तु उनके द्वारा शिकायत पर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया है। इस वजह से शिकायतकर्ता ने आशंका जताई है कि प्रबंध संचालक भी इस गड़बड़ी में संलिप्त है।

बीज निगम अध्यक्ष चंद्राकर को कोई भी जानकारी नहीं

बीज निगम में हुए इस घोटाले के बारे में अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर से जब हमने जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि पैर में फ्रैक्चर की वजह से डेढ़ महीने से ऑफिस नहीं जा रहे हैं। मगर जब हमने उन्हें बताया कि यह मामला जुलाई के महीने का है, तब उन्होंने बताया कि बीज निगम में होने वाली टेंडर प्रक्रिया से उन्हें लेना-देना नहीं रहता है। MD और उनके अधीनस्थ टेंडर की प्रक्रिया आपस में ही बैठ कर पूरी करते हैं, और इस प्रक्रिया की उन्हें कोई भी जानकारी नहीं होती। अग्नि चंद्राकर कहते हैं कि टेंडर प्रक्रिया या किसी अन्य के संबंध में जब उनके पास कोई शिकायत आती है तो वे सभी पक्षों को सुनकर मामले को निपटाते हैं।

ACS ने कहा – मामले की होगी जांच

कृषि और उद्यानिकी विभाग के प्रमुख के तौर पर कृषि उत्पादन आयुक्त (APC) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। वर्तमान में यह पद संभाल रहे IAS अफसर डॉ. कमलप्रीत सिंह ने TRP न्यूज़ से कहा है कि वे इस मामले की जांच कराएंगे।

बता दें कि पूर्व में शिकायतकर्ता ने बीज निगम के टेंडर में हुई गड़बड़ी की शिकायत प्रबंध संचालक (MD) से की थी मगर जांच की दिशा में कोई पहल नहीं किये जाने के चलते टेंडर से संबंधित तमाम दस्तावेजों के साथ मामले की शिकायत ED याने प्रवर्तन निदेशालय से की गई है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में ED ने अब तक कई विभागों की जांच के बाद कार्रवाई भी कर चुकी है।  माना जा रहा है कि ED अगर कृषि और उद्यानिकी विभाग के अंतर्गत संचालित बीज निगम की कार्यप्रणाली की जांच करे तो यहां करोड़ों नहीं बल्कि अरबों की गड़बड़ी उजागर होगी। यहां सर्वाधिक भ्रष्टाचार केंद्र से विभिन्न योजनाओं के लिए मिलने वाले फंड में किया जाता है, जिसे समय-समय पर TRP न्यूज़ ने उजागर किया है और इन मामलों में कार्यवाही भी हुई है। 

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