रायपुर । भाजपा ने अपनी चुनाव रणनीति में 2018 के मुकाबले कुछ नया करने जा रही है, जिसमें कम अंतरों से हार वाले सीटों पर शत- प्रतिशत मतदान करने के लिए प्रेरित कर मतदान प्रतिशत बढ़ाकर उस अंतर को पाटने की कवायद शुरू कर दी है।

विधानसभा चुनाव में भाजपा 33 सीटों पर 10 प्रतिशत से कम वोट के अंतर से हारी थी। अब उसे अपने पक्ष में करने का अभियान शुरू किया गया है। इसके लिए भाजपा उन बूथों पर शत-प्रतिशत मतदान कराने का अभियान चलाएगी।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की माने तो 15 वर्ष तक चावल वाले बाबा के नाम से मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की निःशुल्क चावल वितरण योजना, धान का उचित समर्थन मूल्य का निर्णय उन्हें सत्ता में बरकरार रखा। जबकि 2018 के चुनाव में धान का बोनस भाजपा के प्रति किसानों की नाराजगी का मुद्दा बन गया। किसानों की नाराजगी का फायदा कांग्रेस को मिला।

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 2500 रुपये समर्थन मूल्य में धान खरीदने और किसानों का कर्जा माफ करने का वादा किया था। मतदाताओं की नाराजगी का आलम यह था कि कांग्रेस और भाजपा के बीच 10 प्रतिशत से ज्यादा मतों का अंतर आ गया। 2018 के विधानसभा चुनाव की सुनामी में कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ 68 सीटों से चुनाव जीती थी और वर्तमान में कांग्रेस के पास 71 सीटे हैं। भाजपा को उस समय 15 सीटें मिली थीं और अभी 13 सीटें हैं।

धमतरी विधानसभा सीट से भाजपा की रंंजना साहू ने कांग्रेस के प्रत्याशी गुरुमुख सिंह को 464 वोटों से हराया था। भाजपा की रंजना साहू को 63,198 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के गुरुमुख सिंह ने 62,734 मत हासिल किए थे।

अकलतरा विधानसभा : भाजपा के सौरभ सिंह ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी की रिचा जोगी को 1,854 वोटों से हराया था।

नारायणपुर विधानसभा : नारायणपुर में पूर्व मंत्री केदार कश्यप 2486 के अंतर से हारे थे।

कोंडागांव विधानसभा : यहां कांग्रेस के मोहन लाल मरकाम ने भाजपा की लता उसेंडी को 1796 वोटों से हराया था।

खैरागढ़ विधानसभा: छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) के देवव्रत सिंह ने 870 वोट से जीत हासिल की थी। देवव्रत सिंह को 61,516 वोट और भाजपा के कोमल जंघेल को 60,646 वोट मिले थे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा- हमारी बूथ की इकाई इसके लिए काम कर रही है। लोकप्रिय सरकार को चुने इसके लिए शत-प्रतिशत मतदान कराने के लिए शक्ति केंद्रों व मंडल के कार्यकर्ता काम कर रहे हैं।

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