High-Court Bilaspur

बिलासपुर। ट्रेनिंग ऑफिसर की भर्ती को लेकर हाईकोर्ट ने रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग को एक पद सुरक्षित करने का आदेश दिया है। साथ ही प्रकरण का 10 दिन के भीतर निराकरण का निर्देश दिया है।

बिलासपुर जिले के तखतपुर निवासी रमाकांत चंद्राकर को ट्रेनिंग ऑफिसर (कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट) के पद पर नियुक्ति हेतु अपात्र किए जाने के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई हुई। रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा तृतीय श्रेणी के प्रशिक्षण अधिकारी के पदों पर नियुक्ति हेतु विभागीय विज्ञापन जारी किया गया था।

नियुक्ति हेतु अपात्र बताया था…

प्रशिक्षण अधिकारी कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट के पद हेतु मान्यता प्राप्त बोर्ड से हाई स्कूल अथवा समतुल्य अथवा पुरानी पद्धति से 11वीं परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए तथा अनुभव संबंधित क्षेत्र के व्यवसाय संकाय में 1 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव होना चाहिए। उपरोक्त आहर्ताएं पूर्ण होने पर रमाकांत चंद्राकर द्वारा प्रशिक्षण अधिकारी के पद हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था, जिस पर विभाग द्वारा 18 अगस्त 2023 को दस्तावेज सत्यापन हेतु पत्र जारी किया था।

दस्तावेज सत्यापन हेतु 20 अगस्त 2023 को उपस्थित होने पर छानबीन समिति द्वारा यह कहकर रामाकांत चंद्राकर को अपात्र कर दिया गया कि उनके द्वारा जमा की गई अनुभव प्रमाण पत्र आईटीआई पॉलिटेक्निक या इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा जारी नहीं किया गया है। वहीं आय प्रमाण पत्र अपलोड नहीं है।

नियम का विज्ञापन में उल्लेख ही नहीं..!

इस मामले में रामाकांत चंद्राकर की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, घनश्याम कश्यप और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की गई। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल के कोर्ट में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा यह आधार लिया गया कि विज्ञापन में यह कहीं भी उल्लेख नहीं था कि अनुभव प्रमाण पत्र आईटीआई पॉलिटेक्निक या इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा जारी किया गया हो।

याचिकाकर्ता ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग से है तथा वेरिफिकेशन के समय इनके द्वारा आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया था इसलिए इनको अपात्र करना न्याय संगत नहीं है। उपरोक्त आधारों पर न्यायालय ने उत्तर वादी संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण को निर्देशित किया कि प्रशिक्षण अधिकारी (कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट) का एक पद याचिकाकर्ता हेतु सुरक्षित रखें। वहीं याचिकाकर्ता को यह निर्देश दिया जाता है कि एक विस्तृत आवेदन उत्तर वादी संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण के समक्ष पांच दिवस के अंतर्गत प्रस्तुत करेंगे। संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण 10 दिवस के अंतर्गत प्रकरण का निराकरण संबंधित नियम एवं कानून के तहत निराकरण करने हेतु निर्देश दिए हैं।

इसी प्रकार अजय कुमार यादव, त्रिभुवन प्रकाश बंजारे, मनोज, गिरीश कुमार देशमुख, धर्मेंद्र कुमार साहू, श्याम वर्मा, माधुरी वर्मा, धनेश्वरी सूर्यवंशी, जयश्री साहू, प्रीति मौर्या और और सुप्रिया बंजारे द्वारा दायर किए गए याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने याचिका कर्ताओं के लिए एक-एक पद सुरक्षित रखने के निर्देश देते हुए अभ्यावेदन का निराकरण करने के निर्देश दिए हैं।