कोरबा। SECL की खदानों के चलते विस्थापित हुए ग्रामीण बरसों के संघर्ष से आजिज आ गए हैं। यही वजह है कि प्रभावितों ने इस बार SECL की खदानों की बजाय जिला प्रशासन का घेराव करने का फैसला किया। इसी रणनीति के तहत भू विस्थापितों ने आज किसान सभा के बैनर तले कलेक्ट्रेट का घेराव करने के साथ घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन की शुरू कर दिया। इस दौरान कलेक्ट्रेट के दोनों प्रवेश द्वारों को जाम कर दिया गया। आखिरकार जिला प्रशासन के साथ वार्ता हुई और मांगों के निराकरण सर्वसम्मति से करने का फैसला किया गया।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में एसईसीएल के कोरबा जिले के काबिज भू-विस्थापितों को पट्टा देने, पूर्व में अधिग्रहित भूमि मूल खातेदार किसानों को वापस करने, लंबित रोजगार प्रकरणों, पुनर्वास एवं खनन प्रभावित गांवों की समस्याओं के निराकरण के साथ 14 सूत्रीय मांगो को लेकर 50 से अधिक गांव के हजारों ग्रामीणों ने आज दोपहर कलेक्ट्रेट पहुँच कर घेराव कर दिया। जिला प्रशासन और एसईसीएल के कई बार के आश्वाशन से थके भू विस्थापितों ने इस बार आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया एकजुट होकर यह प्रदर्शन किया।

माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि जिला प्रशासन की मदद से एसईसीएल द्वारा कुसमुंडा, गेवरा, कोरबा, दीपका क्षेत्र में कई गांवों का अधिग्रहण किया गया है। इस कथित जबरन अधिग्रहण का शिकार गरीब किसान हुए हैं। आज भी हजारों भू-विस्थापित पट्टा, जमीन वापसी, रोजगार, बसाहट और मुआवजा के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहेहैं। अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 सालों में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्जा नहीं किया है और मूल किसान ही पीढ़ियों से काबिज है, उन्हें किसानों को वापस किया जाना चाहिए। जब किसानों की जबरन अधिग्रहित भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे दिए जा रहे हैं, तो पुनर्वास गांवों के हजारों भू-विस्थापित किसानों को पट्टों से वंचित रखना समझ के परे हैं।

700 दिनों से चल रहा है धरना-प्रदर्शन

प्रशांत झा ने बताया कि SECL कुसमुंडा में जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर 700 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है और समस्याओं की ओर कई बार प्रशासन और प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन भू-विस्थापितों की समस्याओं के निराकरण के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है। कोयला की दो दिनों तक आर्थिक नाकेबंदी के बाद त्रिपक्षीय वार्ता को टालने का काम भी उन्होंने किया है। इसलिए अब कलेक्ट्रेट का घेराव किया जा रहा है।

5 को होगी त्रिपक्षीय वार्ता

भूविस्थापितों के इस प्रदर्शन के चलते हो रहे व्यवधान को देखते हुए कलेक्टर के निर्देश पर वार्ता हुई जिसमे भूविस्थापितों के प्रतिनिधि, किसान सभा के प्रशांत झा, अपर कलेक्टर और कटघोरा SDM शामिल हुए। इस दौरान यह तय किया गया कि भूविस्थापितों की 14 सूत्रीय मांगों पर चर्चा के लिए 5 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट में वार्ता होगी जिसमे प्रशासन और भूविस्थापितों के अलावा SECL के चारों एरिया के GM शामिल होंगे। किसान सभा ने कहा है कि वार्ता में कोई ठोस हल नहीं निकला तो SECL के सारे परियोजना मुख्यालयों में भूविस्थापित प्रवेश कर घेराव करेंगे और 10 अक्टूबर को गेवरा कोयला खदान बंद कर दिया जायेगा। देर शाम तक यह वार्ता संपन्न हुई और बाहर भूविस्थापित कलेक्ट्रेट के प्रवेश द्वार को घेरे बैठे रहे। उम्मीद की जा रही है कि 5 को होने वाली बैठक में इनकी मांगों का निराकरण हो सकेगा।