0 बीते दो दशक में अवैध प्लॉटिंग कर दर्जनों को बेच दी जमीन
0 जमीनों की रजिस्ट्री और नामांतरण पर लगाई रोक

बिलासपुर। न्यायधानी में अवैध कालोनी निर्माण के मामले में नगर निगम आयुक्त कुणाल दुदावत ने एल्डरमेन शैलेन्द्र जायसवाल समेत परिवार के 9 सदस्यों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। अवैध प्लॉटिंग कर जमीन बेचने का यह सिलसिला विगत 20 सालों से चल रहा था और अब जाकर नगर निगम ने इस मामले में कार्रवाई की है। एल्डरमेन के खिलाफ FIR होने से राजनीतिक चर्चाएं सरगर्म हो गई हैं।

भवन अनुज्ञा मिलते ही शुरू कर दी प्लॉटिंग

दरअसल ये प्रकरण दो दशक से भी पुराना है। नगर पालिक निगम बिलासपुर के कार्यपालन अभियंता सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि वर्तमान में नगर निगम में एल्डरमेन शैलेन्द्र कुमार जायसवाल, उनके भाइयों और महिला सदस्यों सहित कुल 9 लोगों के नाम पर 19.35 एकड़ भूमि, ग्राम पंचायत तिफरा क्षेत्र में स्थित है। इस जमीन में कॉलोनी का निर्माण करने की योजना के तहत शैलेन्द्र जायसवाल ने विधिवत आवेदन लगाया। सन 2003 में उसे कॉलोनी में सुविधाओं के विस्तार के लिए विकास अनुज्ञा मिली। तभी से उसने जमीन के प्लाट काटकर लोगों को बेचना शुरू कर दिया। जबकि विकास कार्य पूरा होने के बाद कॉलोनाइजर लाइसेंस दिया जाता है, तब जाकर जमीन की बिक्री की अनुमति होती है।

जुर्माना लगा फिर भी जारी रखी बिक्री

कार्यपालन अभियंता सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि चूंकि यह इलाका पूर्व में तिफरा पंचायत के अधीन आता था, इसलिए इलाके के SDM से अनुमति लेनी थी मगर जायसवाल परिवार ने अनुमति नहीं ली और गैरकानूनी तरीके से जमीनों की बिक्री का काम जारी रखा। इस वजह से SDM द्वारा इनके ऊपर 50 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया गया। बाद में यह इलाका शहरी क्षेत्र में आ गया और यहां कॉलोनाइजर एक्ट लागू हो गया। हालांकि इस बीच शैलेन्द्र जायसवाल के एक भाई बद्री जायसवाल ने अपने हिस्से की जमीन किसी और को बेच दी। जिसके खिलाफ बाकी सदस्य ADM के कोर्ट चले गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद ADM ने कॉलोनी की विकास अनुज्ञा को ही निरस्त कर दिया।इस कार्यवाही के खिलाफ जायसवाल परिवार ने हाई कोर्ट की शरण ली जहां आज भी प्रकरण लंबित है।

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जमीन लेने वाले परेशान

जायसवाल परिवार ने दो दशक पूर्व जिस भूभाग में कॉलोनी बनाने की नीयत से विकास अनुज्ञा ली उसके बाद बिना सुविधाओं का विस्तार किये ही उसने जमीनों की बिक्री कर दी। बीते 2 दशक में यहां लगभग 30 लोगों को जमीन बेच दी गई। इनमे से कई लोगों ने अपने गाढ़े पसीने की कमाई लगाकर यहां मकानों का निर्माण करा लिया मगर सड़क-नाली सहित अन्य सुविधाओं के अभाव में इनका मुश्किल से यहां गुजारा हो रहा है। बताया जा रहा है कि खरीदी गई जमीनें भी उनके नाम पर नहीं हो सकी हैं।

दो दशक बाद अब कराया गया FIR

दरअसल यह मामला हाई कोर्ट में है जहां जायसवाल परिवार दावा कर रहा है कि अब भी पूरी जमीन उनके नाम पर है, इसलिए उन्होंने कोई गैरकानूनी कार्य नहीं किया है और उन्हें हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाये, और कॉलोनाइजर लाइसेंस भी दिया जाये। जबकि सच तो यह है कि इन्होने लगभग 30 लोगों को जमीन भी बेच दी है। इस प्रकरण का अध्ययन करने के बाद नगर पालिक बिलासपुर के आयुक्त कुणाल दुदावत ने मामले में शैलेन्द्र जायसवाल सहित 9 के खिलाफ FIR दर्ज करा दी है।

पुलिस ने इस मामले की जांच में छ.ग. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 292(ग) व छ.ग. नगर पालिक (कालोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण निर्बंधन एवं शर्तें) नियम 2013 के नियम 03, नियम 10 एवं नियम 13 का उल्लघंन पाया और प्रकरण में शैलेन्द्र कुमार जायसवाल (कालोनाईजर) एवं बन्द्री प्रसाद जायसवाल, राजेन्द्र प्रसाद जायसवाल, विरेन्द्र कुमार जायसवाल, सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, सुभाष कुमार जायसवाल, श्रीमति शैल जायसवाल, श्रीमति अर्चना जायसवाल एवं श्रीमति आभा जायसवाल (भूमि स्वामी) निवासी हाईकोर्ट रोड, बिलासपुर के खिलाफ सुसंगत धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

जमीन की रजिस्ट्री – नामांतरण पर लगी रोक

पुलिस ने इस मामले में फिर दर्ज करने के बाद राजस्व से जुड़े सभी कार्यलयों को सूचना भेज दी है। इसमें SDM को खसरा नंबर के रजिस्ट्री हेतु बी-1, पी-2 जारी न करने हेतु संबंधित पटवारी को निर्देशित करने, उप पंजीयक कार्यालय जिला बिलासपुर को उक्त खसरा नंबर के रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाने हेतु, तहसीलदार बिलासपुर को उक्त खसरा नंबर के रजिस्ट्री हेतु बी-1, पी-2, जारी न करने एवं नामान्तरण नही करने और संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश को निर्माण कार्य की अनुमति नहीं देने को कहा गया है।

बिलासपुर विधायक पांडेय के करीबी हैं शैलेन्द्र

इस मामले के आरोपियों में प्रमुख रूप से शैलेन्द्र कुमार जायसवाल का नाम सामने आया है, जो सत्ता पक्ष से जुड़ा हुआ है। पूर्व में निगम में पार्षद रहे शैलेंद्र जायसवाल बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय के विधानसभा चुनाव में चुनाव संचालक भी रहे। इससे पहले वे कांग्रेस पार्षद दल के प्रवक्ता भी थे। पार्टी में पहुंच को देखते हुए शैलेन्द्र को सरकार ने नगर निगम का एल्डरमेन बना दिया है, जहां के नियम कायदो का वह खुद ही उल्लंघन करते चले आ रहे थे। उनके खिलाफ FIR से विपक्षियों को नया मुद्दा मिल गया है, जिसे लेकर वे जायसवाल को हटाने की मांग कर सकते हैं।