जगदलपुर ।धर्मांतरित परिवार को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं पर मूल आदिवासी समाज के लोग प्रतिबंध लगा रहे हैं। ताजा मामला तोकापाल ब्लॉक के राजुर पंचायत का है। जहां सभा आयोजित कर यह फैसला लिया है कि अपने मूल धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म को अपनाने वाले ग्रामीणों को अब तालाब और हैंडपंप का पानी उपयोग करने नहीं दिया जाएगा।

बस्तर में बढ़ते धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है. बस्तर जिले के ग्रामीण अंचलों में धर्मांतरण के मामले पर बढ़ते विवाद को लेकर हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। साथ ही धर्मांतरित परिवार के खेतों और घरों में अब गांव के कोई भी मजदूर काम नहीं कर सकेंगे. साथ ही ऐसे परिवार के घर में किसी की मौत होने पर उन्हें हिंदुओं के श्मशान घाट में शव दफन करने नहीं दिया जाएगा।

गांव के मुखिया, पुजारी, गायता और ग्राम सभा के अध्यक्ष ने बढ़ते धर्मांतरण के मामले को लेकर 15 बिंदुओं का फरमान जारी किया है। ग्राम सभा के अध्यक्ष का कहना है कि जिस तरह से लगातार लोग अपने मूल धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं। इससे बस्तर की संस्कृति, परंपरा और रीति रिवाज पर खतरा मंडरा रहा है. इसे ही ध्यान में रखते हुए ग्राम सभा कर सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है. साथ ही बस्तर कलेक्टर को भी ज्ञापन सौंपा गया है।

बस्तर जिले में पिछले कुछ सालों से धर्मांतरण के मामले को लेकर लगातार गांव-गांव में विवाद हो रहा है। कुछ दिन पहले ही फरमान गांव के मूल धर्म के आदिवासियों ने धर्मांतरित परिवार के लिए आदेश जारी किया था। हालांकि यहां ग्रामीणों से बैठक कर प्रशासन से मामला सुलझा लिया था। ग्राम सभा अध्यक्ष रामधर ने आरोप लगाया है कि बाहरी लोगों के द्वारा इन आदिवासियों को अनेक तरह के प्रलोभन देकर मतांतरण करवाया जा रहा है। कई बार बैठक में धर्मांतरित परिवार को वापस अपने मूल धर्म में लौटने को भी कहा गया लेकिन धर्मांतरित परिवार वापस अपने मूल धर्म में आने के लिए तैयार नहीं है।

ग्राम सभा के अध्यक्ष रामधर ने बताया कि जिन्होंने धर्मांतरण कराया है. धर्मांतरित परिवार के घर पर मृत्यु होने से उन्हें गांव के श्मशान घाट में दफनाने नहीं दिया जाएगा। अगर वह वापस अपने मूल्य धर्म में लौटते हैं ऐसे हालात में ही शव का अंतिम संस्कार करने दिया जाएगा। इसके अलावा धर्मान्तरित परिवार के खेतों या घर बनाने जैसे कार्यों में गांव के मूल धर्म के आदिवासी मजदूरी का काम नहीं करेंगे।

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