रायपुर।कांग्रेस की सरकार सत्ता में वापसी करती है तो जातिय जनगणना होगी, यह कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने एक चुनावी सभा में घोषणा की है। अब सरकार के कामकाज पर भाजपा के आरोपों और जातिय जनगणना में टक्कर होने वाली है। जातिय जनगणना का यह मुद्दा चुनाव परिणाम को प्रभावित अवश्य करेगा एसा राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है।

विधानसभा चुनाव में जाति जनगणना का मुद्दा सारे मुद्दों पर हावी रहने के आसार लग रहे हैं। इसकी बड़ी वजह राज्य में ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति की बहुलता है। कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने तरह से आरक्षित वर्गों को खुश करने और लुभाने की कोशिश में है और खुद को इन वर्गों का बड़ा हितैषी बताने में जुटे हैं। राज्य की सियासत में आरक्षण बड़ा मुद्दा रहा है और जाति जनगणना का मसला सामने आने के बाद तो इस मुद्दे ने और जोर पकड़ लिया है।

बिहार में हुए जातीय सर्वे और उसके नतीजे सामने आने के बाद दूसरे राज्यों में भी यह सियासी मुद्दा जोर पकड़ रहा है, ऐसे राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है।
राज्य की पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की आबादी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने सत्ता में आने पर जाति जनगणना करने का ऐलान कर दिया है और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने तो इसे समाज का एक्स-रे तक बताया है।

उनका कहना है कि दलित, पिछड़ा और आदिवासी को कितना प्रतिनिधित्व है, इसका पता जाति जनगणना से ही चलेगा। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हों या तमाम अन्य नेता, सभी जाति जनगणना को जोरदार तरीके से उठा रहे हैं। वहीं भाजपा की ओर से इस मुद्दे पर खुलकर कोई राय जाहिर नहीं की जा रही है।

भूपेश बघेल ने जाति जनगणना को लेकर भाजपा पर कई बार हमले किए और उन्होंने कहा कि राज्य में ओबीसी 43 फीसदी से ज्यादा है, यह बात उनकी सरकार द्वारा कराए गए आर्थिक सर्वे में सामने आ चुकी है। इसीलिए राज्य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है, अगर भाजपा यह नहीं मानती है तो फिर जाति जनगणना क्यों नहीं कर लेती।

भाजपा के एक नेता ने चर्चा के दौरान कहा कि भाजपा हर वर्ग की हितैषी है और यह बात उम्मीदवारों की सूची से समझी जा सकती है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए अब तक जिन उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें सामान्य सीटों पर बड़ी तादाद में ओबीसी वर्ग के लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है। जिन 85 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए गए हैं उनमें से अनारक्षित सीटों पर 29 स्थान पर पिछड़े वर्ग के लोगों को मैदान में उतारा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में मुद्दे तो बहुत हैं, कांग्रेस सरकार को गिनाने के लिए अनेक उपलब्धियां हैं तो विरोधी दल भाजपा के पास हमले के भी खूब अवसर हैं। मगर जाति जनगणना राज्य में एक बड़ा मुद्दा बनने के आसार नजर आ रहे हैं।

यह ऐसा राज्य है जहां अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग की तादाद बहुत ज्यादा है और इस वर्ग के सहारे ही सत्ता का रास्ता तय किया जा सकता है। कांग्रेस की राज्य में जब से सरकार बनी है वह लगातार ओबीसी को आरक्षण देने की वकालत करती आ रही है, मामला राज्यपाल के पास अटका रहा और न्यायालय तक पहुंचा, वहीं भाजपा इस मामले में पिछड़ती रही है। अब देखना है कि भाजपा का अगला कदम क्या होगा।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू
 पर