सिहावा : छत्तीसगढ़ की राजनीति में देखा जाए तो हर क्षेत्र में भले ही पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है.लेकिन प्रदेश की सिहावा विधानसभा सीट ऐसी भी है. जिस पर महिलाओं का दबदबा देखने को मिला है. मौजूदा विधानसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी ने श्रवण मरकाम को प्रत्याशी बनाया है. इस विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक कांग्रेस की लक्ष्मी ध्रुव हैं. पिछले चुनाव में लक्ष्मी ध्रुव ने बीजेपी की उम्मीदवार पिंकी शिवराज शाह को बड़े अंतर से हराया था दिया.

सिहावा विधानसभा सीट पर मतदाताओं की स्थिति :

इस सीट के इतिहास को देखें तो साफ दिखता है कि यहां महिला उम्मीदवार कड़ी टक्कर देती हैं. 2008 के चुनाव में तो महिला उम्मीदवार ने जीत भी दर्ज की थी.अन्य चुनाव में भी महिला उम्मीदवार लगातार दूसरे नंबर पर रहकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराती रही हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवार लक्ष्मी ध्रुव ने सीट जीती थी. वहीं मतदाताओं की बात करें तो यहां कुल मतदाता 1 लाख 87 हजार 672 हैं. जिसमे पुरुष 91 हजार 818 और 95 हजार 854 महिला मतदाता हैं. इलाके में महिला वोटरों की संख्या अधिक है, इसलिए इस बार उन्हें निर्णायक माना जा सकता है.

सिहावा विधानसभा में मतदाताओं की स्थितिपिछड़े वर्ग के वोटर्स भी पलट सकते हैं बाजी :

आदिवासी बाहुल्य इस सीट में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है. पिछले चुनाव में पिछड़ा वर्ग मंच ने अपना एक समर्थक प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारकर बीजेपी-कांग्रेस की नाक में दम कर दिया था. ऐसे में आदिवासियों के साथ पिछड़ा वर्ग को साधने में बीजेपी कांग्रेस को विशेष रणनीति अपनानी होगी. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में ओवर ऑल 82.68 फीसदी मतदान हुआ था .सिहावा विधानसभा के कांग्रेस को 56.45%, बीजेपी को 27.45%, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 5.19 %निर्दलीय को3.02% वोट मिले थे.

सिहावा विधानसभा सीट का इतिहास :

महानदी का उदगम स्थल होने के साथ साथ यह इलाका जुझारू आदिवासी नेताओं का क्षेत्र रहा है.यहां आदिवासी नेता भानु सोम द्वारा किए गए आदिवासी आंदोलन को आज भी भुलाया नहीं जा सकता. सिहावा विधानसभा को आदिवासी समूह के लिए आरक्षित करने की मांग को लेकर भानु सोम के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासियों ने रायपुर पैदल कूच किया था.जिसके बदौलत 1962 से ही यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है.हालांकि प्रारंभ से ही यह विधानसभा सीट मूल स्वरूप में कांग्रेसी विचारधारा का समर्थक रहा है. लेकिन 1962 में जनसंघ ने और 1977 में जनता पार्टी ने अपना विधायक बनाने में सफलता हासिल की.इस दौरान जनसंघ के नारायण सिंह और जनतादल के माधव लक्ष्मण विधायक चुने गए थे.

साल 2018 का चुनावी परिणाम :

साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस की लक्ष्मी ध्रुव को 88451 वोट मिले थे वहीं बीजेपी की पिंकी शिवराज शाह को 43015 वोट मिले. जिसमें कांग्रेस के लक्ष्मी ध्रुव ने 45436 से जीत हासिल की.पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर दो बार बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. यह सीट एसटी के लिए आरक्षित है. 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के श्रवण मरकाम ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस की अंबिका मरकाम को हराया था. अंबिका पहले भी यहां से विधायक रह चुकी हैं. बीजेपी के श्रवण मरकाम को 53894 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस की अंबिका मरकाम को 46407 वोट मिले. जिसमें बीजेपी के श्रवण मरकाम को 7487 वोट से जीत हासिल की थी.

साल 2018 में सिहावा के चुनावी परिणामकैसा है राजनीति समीकरण ? :

इस बीच 1967, 72 में कांग्रेस के पुसऊ राम ने कांग्रेस टिकट पर विजय हासिल की. लगातार 7 चुनाव में कांग्रेस का विजयी रथ को जारी रखा.इसके आलावा 1990, 93,98 में कांग्रेस के माधव सिंह ध्रुव विधायक चुने गए. अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे. लेकिन कांग्रेस की इस जीत के सिलसिले को बीजेपी की महिला प्रत्याशी पिंकी शाह ने वर्ष 2003 में तोड़ा . उन्होंने पूर्व मंत्री माधवसिंह ध्रुव को शिकस्त दे दी.पर जीत का यह भ्रम वे जारी नहीं रख पाई. अगले ही चुनाव 2008 में उन्हें कांग्रेस की अंबिका मरकाम से पटखनी खानी पड़ी. 2013 में बीजेपी के श्रवण मरकाम ने अंबिका मरकाम को हराकर यह सीट फिर बीजेपी की झोली में डाली. 2018 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के डाॅ.लक्ष्मी ध्रुव ने बीजेपी पिंकी शाह को भारी अंतर से मात दे दी. 2008 के बाद राजनीतिक समीकरण देखे तो यह सीट दोनों ही पार्टी के लिए चुनौती पूर्ण नजर आ रही है ,क्योंकि पिछले चार चुनाव में जनता परिवर्तन करते आ रही है.

सिहावा विधानसभा के मुद्दे और समस्याएं :

सिहावा विधानसभा क्षेत्र ओडिशा, कोंडागांव, कांकेर, गरियाबंद की सीमा क्षेत्र से लगा हुआ है. यहां ज्यादातर क्षेत्र जंगलों से घिरा है. जहां की प्रमुख समस्या सीता नदी अभ्यारण होने के कारण सड़क, पुल, बिजली और स्वास्थ्य है. सुदूर वनांचल होने की वजह से कई गांव विकास से पिछड़े हुए हैं. कुछ गांव नक्सल प्रभावित भी हैं. मौजूदा वक्त में सिहावा विधानसभा क्षेत्र में विकास ही अहम मुद्दा है. सोंढूर जलाशय से नहर नाली का विस्तार नहीं होने से किसानों में नाराजगी है. इलाके में रोजगार भी एक बड़ी समस्या है. इसके साथ ही क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क का ना होना है. मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से यहां के लोगों को जरूरी सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है. करोड़ों रुपए का अस्पताल भवन है,लेकिन डॉक्टर नहीं होने से अस्पताल रिफर सेंटर बन चुका है. उच्च शिक्षा की बात करें तो यहां पीजी कोर्स नहीं हैं. जिससे छात्रों को 12वीं की पढ़ाई के बाद दूसरे शहरों की ओर कूच करना पड़ता है.

सिहावा विधानसभा के मुद्दे और समस्याएंकौन-कौन कर सकता है दावेदारी :

बीजेपी की ओर से श्रवण मरकाम को फिर से प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं कांग्रेस की ओर से विधायक डाॅ.लक्ष्मी ध्रुव सहित पूर्व विधायक अंबिका मरकाम,उमेश देव,मनोज साक्षी,प्रमोद कुंजाम अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इधर पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम की पार्टी हमर राज पार्टी की ओर से सर्व आदिवासी समाज का प्रत्याशी खड़ा किया जा सकता है. जो बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है. यदि समाज ने साथ दिया तो इस बार नई पार्टी के प्रत्याशी को इससे बड़ा फायदा होगा.

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