रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी शुरू हो चुकी है, मगर किसान फ़िलहाल धान लेकर खरीदी केंद्रों में नहीं पहुंच रहे हैं। इसकी दो प्रमुख वजह है, पहला यह कि वर्तमान में प्रदेश के अधिकांश इलाकों में धान की फसल पकी नहीं है और कटाई भी शुरू नहीं हुई है, वहीं कम समय में उगने वाली धान की कटाई के बाद भी किसान उसे बेचने नहीं पहुंच रहे हैं, किसान इसके लिए नई सरकार के आने का इंतजार कर रहे हैं।

दरअसल प्रदेश में दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा के द्वारा अपनी घोषणाओं में धान को प्रमुख मुद्दा बनाया गया है। जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी ने अब तक की घोषणाओं में इस वर्ष 3000 रूपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा किया है, वहीं भाजपा ने बाजी मारते हुए किसानों से 3100 रूपये प्रति क्विंटल धान लेने की बात कल के अपने घोषणापत्र में कही है। इससे अब यह तय हो गया है कि सरकार किसी की भी आये किसानों को धान की वर्तमान से ज्यादा कीमत मिलेगी। यही वजह है कि ऐसे किसान जिन्होंने धान की कटाई भी कर ली है, वे अपना धान लेकर फिलहाल सरकारी खरीदी केंद्रों में नहीं पहुंच रहे हैं।

समर्थन मूल्य वही, बाकी रकम बोनस के रूप में

धान की सरकारी खरीदी पर नजर डालें तो उसका समर्थन मूल्य केंद्र सरकार द्वारा तय कीमत पर ही आधारित होता है। इस बार मोटे कॉमन ग्रेड धान का समर्थन मूल्य 2183 रूपये और पतले ग्रेड ए धान की दर 2203 रूपये तय है और कोई भी किसान अपना धान केंद्रों में बेचता है तो उसे इसी कीमत पर भुगतान किया जाता है। वही दूसरी ओर सरकार द्वारा जो दर घोषित किया जाता है, उसमे से प्रति क्विंटल बची हुई रकम या तो बोनस के रूप में दी जाती है या फिर किसी योजना के नाम पर किसानों को अलग से प्रदान की जाती है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार द्वारा अब तक किसान न्याय योजना के नाम पर यह रकम दी जाती है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे प्रदेश में धान की खरीदी की तैयारी तो हो चुकी है मगर केंद्रों में धान नहीं पहुंच नहीं रहा है, जो किसान धान बेचने पहुंच भी रहे हैं, उन्हें इस बात की उम्मीद है कि बाद में उन्हें धान का बोनस तो मिल ही जायेगा।