रायपुर। ड्राइविंग के नए कानून के विरोध में देश भर में वाहन चालक-परिचालकों की हड़ताल 1 जनवरी से शुरू हुई है। इसका सर्वाधिक असर यात्री बस और ट्रांसपोर्टिंग वाहनों के अलावा पेट्रोल पंपों पर नजर आ रहा है। इस हड़ताल में पंपों के टैंकर चालक भी शामिल हैं, जिन्होंने रविवार दोपहर से ही टैंकर छोड़ दिया, जिसके चलते पंपों तक पेट्रोल-डीजल नहीं पहुंचाया जा सका।

पंपों में लगी वाहनों की कतार

चालकों की हड़ताल का असर आज दोपहर पेट्रोल पंपों पर नजर आने लगा। लोगों को जैसे ही पता चला कि चालकों की हड़ताल 3 दिनों की है और पंपों में फ्यूल ख़त्म हो सकता है, लोग पेट्रोल-डीजल भरने के लिए पंप में पहुंचने लगे। यह नजारा राजधानी रायपुर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहा है। कई लोग लंबी-लंबी कतारों में लगे नजर आए और आधे से 1 घंटे तक पेट्रोल भरवाने के लिए कतार में खड़े रहे। वहीं अधिकांश पंपों में केवल पॉवर पेट्रोल बच गया, जिसे मजबूरी में लोगों को अधिक कीमत पर खरीदना पड़ा।

डिपो में हुई मारपीट की घटनाएं

दरअसल प्रदेश में पेट्रोल-डीजल HPCL, IOCL और BPCL के डिपो से मिलता है। HPCL डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विजय पांडेय ने बताया कि अधिकांश डीलर्स के खुद के टैंकर हैं, जिनके ड्राइवर फ्यूल लेने डिपो में आये हुए थे, जहां हड़ताली चालकों के पदाधिकारियों ने टैंकर चालकों से मारपीट कर दी। ऐसे मौके पर पुलिस-प्रशासन का सहयोग उन्हें नहीं मिल पाया। अगर सुरक्षा मुहैया हो जाती तो पेट्रोल-डीजल का परिवहन किया जा सकता था। विजय पांडेय का कहना है कि प्रशासन सुरक्षा मुहैया कराये तो पंपों तक तेल पहुंचाया जा सकता है।

चालकों की मांगों का समर्थन

विजय पांडेय ने TRP न्यूज़ से चर्चा में कहा कि चालकों की मांग जायज है। जिस तरह दुर्घटना के मामलों में उनके खिलाफ सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है, वह उचित नहीं है।

छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां पेट्रोलियम की तीनों कंपनियों के लगभग एक हजार टैंकर हैं। हड़ताल के चलते सभी वाहन खड़े हैं और पंपों तक फ्यूल नहीं पहुंचा पा रहे हैं। यही वजह है कि अधिकांश पम्पों में पेट्रोल-डीजल खत्म हो गया है। सभी जगह केवल रिजर्व स्टॉक उपलब्ध है। बहरहाल चालकों की हड़ताल एक दिन भी लंबी खिंची और सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो कल से पेट्रोल-डीजल के लिए हाहाकार मच जायेगा। कई जरुरी काम रुक जायेंगे और परेशानियां खड़ी हो जाएंगी।