ननिहालवासियों को गृहमंत्री ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए दी बधाई

रायपुर। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर ननिहाल छत्तीसगढ़ के लोगों को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि मैं अगर छत्तीसगढ़ विधानसभा का विधायक होता तो राममंदिर पर एक अभिनंदन प्रस्ताव ज़रूर लेकर आता। जब राम का वन गमन हुआ था, तब यहीं उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाये थे। यहां भक्ति की अभूतपूर्व घटना घटी थी।

छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत समेत मंत्रिमंडल और विधायकों की मौजूदगी में अमित शाह ने कहा कि मुझे प्रबोधन के लिए जब स्पीकर और मुख्यमंत्री का फ़ोन आया था तब मैंने कहा था कि विषय सरल देना लेकिन प्रबोधन के लिए मुझे ही कठिन विषय दे दिया गया। राजनीति में प्रभावी काम कैसे करें? ये बताना ये सबसे कठिन है।

उन्होंने कहा कि मैं पांच बार विधायक रहा, एक बार राज्यसभा सदस्य और एक बार लोकसभा सदस्य के रूप में अब तक काम करने का अनुभव है। प्रबोधन का आयोजन करके बहुत अच्छा काम किया गया। जीवन के अंतिम सांस तक सीखना ही सफलता का मूलमंत्र है। जीवन के आख़िरी हिस्से तक सफल होने के लिए ये ज़रूरी है कि कुछ ना कुछ सीखते रहे। हमारी लोकतंत्र की जड़ें पाताल से भी गहरी कर पूरी दुनिया को संदेश दिया है।

अमित शाह ने कहा कि समस्याओं का समाधान करना है तो एक पत्र लिखकर प्रशासन को भेजेंगे तो वह ज्यादा कारग़र होता है।
जनता की समस्याओं को समझना बहुत ज़रूरी है। हमारा मूल काम समस्याओं का समाधान देना है। प्रसिद्धि हासिल करना नहीं. एक प्रभावी विधायक को देश भर की योजनाओं का वॉच डॉग बनकर रहना चाहिए। कठोर से कठोर बात भी शालीनता के साथ लिखकर भी कर सकते हैं, और बोल भी सकते हैं. इसे ही कटुता के साथ कहोगे तो प्रभाव ठीक नहीं जाएगा।

उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में दिया गया मेरा हर भाषण मेरिट पर था। राजनीतिक भी था। एक सदस्य की सहभागिता सिस्टम को सुधारने के लिए भी होना चाहिए। जनता और सरकार के बीच की कड़ी विधायक होता है। विधानसभा में पूरे वक़्त बैठने वाले बहुत कम सदस्य ही मैंने देखे हैं। ऐसे में सदस्य ढेर सारी जानकारियों को गंवा देते हैं। सदन में होने वाली चर्चा पूरे राज्य के लिए होती है. ऐसी चर्चा बहुत कुछ सिखाती है।

गृह मंत्री ने कहा कि मेरा सभी विधायकों से आग्रह है कि टर्म पूरा होने के पहले सदन में जितने नियम हैं, उन सभी नियमों का पालन कर लें। जितने प्राइवेट मेंबर बिल पिछले 75 सालों में नहीं आया, उतना बिल संसद में मोदी सरकार के आने के बाद लाया गया। जब तक लेजिस्लेचर का अध्ययन नहीं करोगे, अच्छे विधायक नहीं बन सकते। सदन एक सार्वजनिक मंच नहीं होता।

अमित शाह ने कहा कि जब मैं विधायक बना था तो एक सप्ताह मैं बुजुर्ग के लिए रखता था, एक सप्ताह पत्रकार और साहित्यकार से बात करता था, एक सप्ताह युवाओं लिए, एक सप्ताह महिलाओं से बात करने के लिए रखता था. जनता हमारे लिए क्या सोचती है ये कार्यकर्ता नहीं बता सकते। ये जनता ही बता सकती है. अपने क्षेत्र के साहित्यकार, पत्रकार, अच्छे सामाजिक जानकार, महिला संगठनों के लिए काम करने वाले लोग इन सबका एक समूह बनाने की ज़रूरत है।