रायपुर। निर्माण कार्यों में उपयोग में लाई जा रही फ्लाइ एश ईंट की कीमतें फिर से बढ़ा दी गई हैं। कारोबारियों का कहना है कि फ्लाइएश ईंट की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए पावर प्लांट जिम्मेदार हैं। पावर प्लांटों की ओर से राखड़ मुफ्त में देने की बजाय उसकी कीमत वसूली जा रही है। इसके चलते निर्माण की लागत ज्यादा आ रही है।

छत्तीसगढ़ फ्लाई ऐश ब्रिक्स मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ने रायपुर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता का आयोजन कर इसकी जानकारी दी और बताया कि सीमेंट और फ्लाई ऐश (राखड़) की दरों में वृद्धि होने के कारण ब्रिक्स की मैनुफैक्चरिंग कास्ट बढ़ गई है। पिछले 4 माह में सीमेंट के दाम लगभग 45 रूपये प्रति बोरे बढ़ गए हैं। वहीं चूने की दरों में भी वृद्धि हुई है, और के लिए तो कोई नियम ही नहीं है, जिससे रेट की दरें निश्चित नहीं होती। साथ ही यह भी बताया गया कि पावर प्लांट संचालकों द्वारा फ्लाई ऐश मुफ्त में देने की बजाय 150 रूपये टन में दिया जा रहा है।

सरकार के नए कानून का नहीं हो रहा है पालन

फ्लाई ऐश ब्रिक्स निर्माताओं के संगठन के अध्यक्ष लोकेश शर्मा ने बताया कि पावर प्लांटों से निकलने वाले फ्लाई ऐश को लेकर केंद्र सरकार ने नियम में परिवर्तन किया है। 01 जनवरी 2024 से इसका प्रकाशन राजपत्र में भी कर दिया गया है। इसके तहत प्लांटों को फ्लाई ऐश ईंटों का निर्माण करने वाली इकाइयों को परिवहन लागत वहन करते हुए निःशुल्क फ्लाई ऐश पहुंचा कर देना है, मगर अब तक इसका पालन NTPC और दूसरे पावर प्लांटों द्वारा नहीं किया जा रहा है।

लाल ईंट के अवैध भट्ठों पर रोक लगाने की मांग

फ्लाई ऐश ब्रिक्स निर्माताओं का कहना है कि प्रदेश भर में लाल ईंट के हजारों भट्ठे अवैध तरीके से संचालित हो रहे हैं, जिनके चलते फ्लाई ऐश कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा है। अवैध लाल ईंट भट्ठियों से सरकार को जहां एक ओर GST का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर इन भट्ठियों से पर्यावरण भी बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो रहा है। इसके अलावा लाल ईंट के हाथ भट्ठों के संचालकों द्वारा उपजाऊ मिटटी और रेत का खनन अवैध रूप से किया जाता है। मगर खनिज विभाग द्वारा ऐसे अवैध भट्ठों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है।

फ्लाई ऐश ब्रिक्स निर्माताओं की मांग है कि अवैध ईंट भट्ठों पर कार्रवाई के लिए पर्यावरण विभाग, GST विभाग और खनिज विभाग को सक्रिय किया जाये। साथ ही पावर प्लांटों को सरकार द्वारा जारी नियम के मुताबिक फ्लाई ऐश को ईंट निर्माताओं के यूनिट तक मुफ्त में पहुंचा कर देने को आदेशित किया जाये। तब जाकर फ्लाई ऐश ईंटों के निर्माण लागत में कमी की जा सकेगी। अन्यथा नुकसान में चल रहे फ्लाई ऐश ब्रिक्स के उद्योग बंद होते चले जायेंगे। प्रदेश सरकार और सभी जिलों में प्रशासन को भी इस संबंध में विशेष पहल करने की जरुरत है।