राजनांदगांव। कैंसर एक घातक बीमारी है जिसका नाम सुनते ही पीड़ित एवं परिवार के मन में भय का वातावरण निर्मित होने लगता है। देश में यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर रहे हैं और हर साल नए केस आ रहे हैं । देश में बढ़ रहे कैंसर पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि को लेकर चिंतित केन्द्र एवं राज्य सरकार कैंसर से निपटने के लिए पूरी कोशिश कर रही है । जिला अस्पतालों में कैंसर के लिए अलग से यूनिट बनाकर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। लेकिन छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर पीड़ित मरीजों के इलाज में बेहद जरूरी कीमों थैरेपी की सुविधाएं नहीं रही है। कैंसर विभाग में मरीजों को कीमो थैरेपी की सुविधा करीब 2 माह से नहीं मिल रही है। कैंसर विभाग में ताला लटक रहा है और अस्पताल प्रबंधन ने दवाओं को भी वापस भेज दिया।

कैंसर के एकमात्र विशेषज्ञ डॉ. चैतन्य साहू के दिसंबर में त्याग पत्र सौंपने के बाद मरीजों को कीमो थैरेपी नहीं मिल रही है। अस्पताल के अन्य विभागों का स्टाफ कैंसर विभाग में सेवा दे रहा था उन्हें भी वापस उन्हीं विभागों में भेज दिया गया। जानलेवा बीमारी कैंसर से लड़ाई का दावा फेल साबित हो रहा है।

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सितंबर 2022 में कैंसर यूनिट की शुरुआत की गई थी। शुरू में 20 मरीजों को चिन्हित किया गया और उन्हें कीमो थैरेपी दी जा रही है। करीब पांच जिलों के मरीज यहां कीमो थैरेपी कराने पहुंच रहे थे। नए मरीज इलाज कराने सामने आ रहे थे। लेकिन अब कैंसर मरीजों को कीमो थैरेपी कराने दुर्ग, भिलाई, रायपुर और नागपुर जैसे शहरों का रुख करना पड़ रहा है जहां मरीज को जाने और आने में समय और रुपए खर्च करने पड़ते हैं। लंबे समय से कैंसर यूनिट की मांग की जा रही थी। तब कहीं यह सुविधा मिली थी, जो वापस बंद हो गई। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने दो माह से डॉक्टरों की तलाश कर रहा है जो अब तक नहीं मिल पाए हैं।