इंटरनेशनल डेस्क। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने सोमवार को जारी अपने नवीनतम अंतरिम आर्थिक आउटलुक में 2024 के लिए भारत के विकास अनुमान को बढ़ाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया है। जो पहले के अनुमान 6.1% से अधिक है। यह सकारात्मक बदलाव वित्तीय वर्ष 2022-23 में मजबूत प्रदर्शन के बाद आया है। हालांकि, आगामी वित्तीय वर्षों के लिए अनुमानित विकास दर में मंदी का संकेत मिलता है। वित्त वर्ष 2023-24 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि घटकर 6.3% और वित्त वर्ष 2024-25 में 6.1% होने की उम्मीद है। इस मंदी का कारण प्रतिकूल मौसम की स्थिति और कमजोर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक दृष्टिकोण है। इन चुनौतियों के बावजूद बढ़ती सेवाओं के निर्यात और निरंतर सार्वजनिक निवेश से अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलेगा।

2025-26 के लिए 6.5% की अनुमानित वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान

अच्छी बात यह है कि मुद्रास्फीति में धीरे-धीरे गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में सुधार होगा। अल नीनो मौसम पैटर्न की समाप्ति हाल के नीतिगत सुधारों से उत्पादकता में वृद्धि और बेहतर वैश्विक स्थितियों जैसे कारकों से आर्थिक गतिविधि को मजबूत करने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5% की अनुमानित वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है।

2024 की दूसरी छमाही से मौद्रिक नीति में नरमी आने की उम्मीद

वहीं 2024 की दूसरी छमाही से मौद्रिक नीति में नरमी आने की उम्मीद है, जो व्यापार निवेश और विवेकाधीन घरेलू खर्च का समर्थन करेगी। सरकारी निवेश ऊंचा रहेगा, लेकिन आगे राजकोषीय समेकन से निजी क्षेत्र के लिए अधिक वित्तीय अवसर पैदा होने का अनुमान है।

मुद्रास्फीति प्रबंधन के संदर्भ में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2024 के मध्य से ब्याज दरों को कम करना शुरू करने और 2025 के अंत तक 5.5% तक पहुंचने की उम्मीद है।

मौद्रिक नीति को सख्त करने से मुद्रास्फीति के दबाव को प्रबंधित करने में मदद मिली है। इसने घरेलू खपत और कॉर्पोरेट निवेश को भी प्रभावित किया है। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के प्रयासों में टमाटर के आयात की अनुमति देना और रियायती कीमतों पर टमाटर बेचने जैसे आपातकालीन उपाय शामिल हैं।