परीक्षा विधेयक पर सदस्यों ने की इसे कठोरता से लागू करने की मांग

नयी दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024’ लाया गया है ताकि युवाओं को परिश्रम, योग्यता और प्रतिभा के आधार पर अवसर मिलें और उनका भविष्य सुरक्षित रहे।

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं से कड़ाई से निपटने के प्रावधान वाला और संबंधित अपराध के लिए न्यूनतम तीन साल से अधिकतम 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने के प्रावधान वाला ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024’ सदन में चर्चा और पारित करने के लिए रखा। लोकसभा में यह विधेयक छह फरवरी को पारित हो चुका है।

सिंह ने कहा कि युवाओं के कंधे पर देश की जिम्मेदारी होती है और नरेन्द्र मोदी की सरकार विशेषकर सरकारी नौकरियों में नियुक्ति को लेकर या उच्च शिक्षा संस्थानों में चयन को लेकर युवाओं को केंद्र में रखते हुए कई प्रावधान लाई है जिसका उद्देश्य व्यवस्था में पारदर्शिता लाना और युवाओं को समान अवसर प्रदान करना है।

उन्होंने कहा कि संगठित अपराध करने वाले लोग विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक, किसी और द्वारा परीक्षा देने तथा अन्य गड़बड़ियां करते हैं जिसका परिणाम योग्य बच्चों को भुगतना पड़ता है।

सिंह ने कहा कि भावी पीढ़ियों को नुकसान पहुंचाने वाले इस तरह के अपराधियों के लिए सजा के प्रावधान करना जरूरी था जिसके चलते यह विधेयक लाया गया है। इसके कानून बनने पर देश के भविष्य को सुरक्षित करेगा और परिश्रम, योग्यता और प्रतिभा वाले अभ्यर्थियों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।

कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि परीक्षाओं में छेड़छ़ाड़ भ्रष्टाचार का एक बड़ा माध्यम बन गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा समवर्ती सूची में शामिल है अत: राज्यों में भी यदि कोई जांच की मांग आती है तो उसमें कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में परीक्षाओं का एक बड़ा घोटाला ‘व्यापम’ हुआ और जिन्होंने पैसा दे कर बच्चों की भर्ती कराई, वह तो जेल भेज दिए गए लेकिन जिन लोगों ने अवैध रूप से पैसा ले कर भर्ती की, वे आज भी खुलेआम घूम रहे हैं और जेल से बाहर हैं।

उन्होंने कहा ‘‘परीक्षाएं अलग अलग दिनों पर होती हैं। ऑनलाइन परीक्षा भ्रष्टाचार का बड़ा माध्यम बन गई हैं। इन पर रोक लगानी चाहिए। ऑफलाइन परीक्षा होनी चाहिए और जांच कर वहीं नतीजे घोषित करना चाहिए। ’’

सिंह ने कहा कि इस विधेयक का दायरा केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक होना चाहिए। इसमें दोषी पाई जाने वाली कंपनी को चार वर्षों के लिए नहीं बल्कि आजीवन प्रतिबंधित कर देना चाहिए। परीक्षा प्राधिकरण में आयोग और बोर्ड दोनों होते हैं अत: विधेयक में परीक्षा प्राधिकरण शब्द के बाद आयोग और चयन बोर्ड भी जोड़ा जाए।

सिंह ने कहा कि परीक्षा में घोटाला साबित होने पर परीक्षा को निरस्त कर दोषियों को दंड देना चाहिए तथा दूसरी परीक्षा तत्काल की जानी चाहिए। लंबे समय तक निर्णय नहीं हो पाने पर अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लगता है।

उन्होंने कहा कि राज्यों की ओर से मांग आने पर उन्हें भी ऐसा कानून बनाने का अधिकार दिया जाना चाहिए।

भाजपा के प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने जहां कई प्रक्रियाओं को सुगम बनाया है वहीं कई तरह की मुश्किलें भी खड़ी की हैं। उन्होंने कहा कि आज आधुनिक गैजेट स्कूलों में नकल करने और कराने के लिए किस प्रकार इस्तेमाल किये जाते हैं, यह सबने देखा है।

उन्होंने कहा कि परीक्षा में गड़बड़ी के मामले कई राज्यों में सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा ही उत्तम, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पढ़ाई के बाद छात्र के एक अच्छा नागरिक बनने पर जोर दिया है। नयी शिक्षा नीति में भी इसी बात को केंद्र में रखा गया है।

जावड़ेकर ने कहा कि ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024’ इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है जो परीक्षा में गड़बड़ी को रोकने में मददगार होगा।

तृणमूल कांग्रेस के अधीर रंजन बिस्वास ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से परीक्षा में अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सकती है।

उन्होंने कहा कि केवल विधेयक पारित कर इस समस्या पर रोक नहीं लगाई जा सकती, बल्कि इसका कठोरता से पालन सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में 15 राज्यों में परीक्षाओं में अनियमितताओं के 45 से अधिक मामले हुए और इनसे कई छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ।

उन्होंने कहा ‘‘हमें यह भी देखना होगा कि इस समस्या का मूल कारण क्या है। यह मूल कारण बेरोजगारी है जो कई समस्याओं की जड़ है और इसे भी दूर करना होगा।’’

द्रमुक सदस्य पी विल्सन ने कहा ‘‘प्रवेश परीक्षाएं बंद कर दी जानी चाहिए क्योंकि विद्यार्थी पहले ही कठिन पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षाएं पास करते हैं। परीक्षाओं को इतना कठिन और असंभव नहीं बनाना चाहिए कि विद्यार्थी इनसे घबरा जाएं और आत्महत्या का या अनियमितता का रास्ता चुन लें।’’

उन्होंने कहा ‘‘नीट के कोचिंग सेंटर एक फलता-फूलता कारोबार बन गए हैं। बच्चों पर कहीं न कहीं मानसिक दबाव बन जाता है। तमिलनाडु में 16 बच्चे इसकी वजह से जान गंवा चुके हैं। ’’

विल्सन ने कहा ‘‘सदन में आसन की ओर से मंत्रियों को बार बार कहा जाता है कि बिल्कुल सटीक जवाब दें। जब मंत्री ऐसा नहीं कर पाते तो छात्र ऐसा कैसे कर सकते हैं?’’

आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार पाठक ने कहा कि पिछले सात साल में पेपर लीक होने के 70 मामले सामने आए हैं जिनमें करीब दो करोड़ बच्चों का भविष्य बेचा गया और बर्बाद कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि यह तकनीकी समस्या नहीं बल्कि फलता-फूलता धंधा है। उन्होंने कहा कि ये वे मामले हैं जो सामने आए, जिनका पता नहीं चला, उनकी संख्या कितनी है, पता नहीं।