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2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस रायपुर उत्तर से दावेदारी करने वाले डॉ. राकेश गुप्ता को मौका देने की तैयारी में हैं। छत्तीसगढ़ के जाने-माने ENT विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता कई वर्षों से पार्टी से जुड़े हैं। वे पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। साथ ही सामाजिक कार्यों में भी जुड़े रहते हैं। 2022 में जब छत्तीसगढ़ से राज्यसभा की दो सीटें खाली हुईं थीं, तो एक सीट पर डॉ. गुप्ता को भेजे जाने की चर्चा थी।

पार्टी की हरी झंडी, 2022 के राज्यसभा चुनाव और 2023 के विधानसभा चुनाव में भी की थी दावेदारी

रायपुर। लगातार दो लोकसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों में मजबूती से लड़ने की तैयारी कर रही है। एक-एक सीट पर मजबूत कैंडिडेट और बेदाक छवि के प्रत्याशी उतारने की कोशिश में पार्टी लगी है। इसी के तर्ज पर रायपुर से कांग्रेस पार्टी एक ऐसे प्रत्याशी को उतारने जा रही है, जो पार्टी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस रायपुर उत्तर से दावेदारी करने वाले डॉ. राकेश गुप्ता को मौका देने की तैयारी में हैं। छत्तीसगढ़ के जाने-माने ENT विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता कई वर्षों से पार्टी से जुड़े हैं। वे पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। साथ ही सामाजिक कार्यों में भी जुड़े रहते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के रायपुर विंग के अध्यक्ष डॉ. गुप्ता हॉस्पिटल बोर्ड के भी चेयरमैन रहे हैं। इस संबंध में डॉ. गुप्ता ने कहा कि पार्टी आदेश देगी तो वे जरूर चुनाव लडेंगे। कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा है कि वे सड़क की लड़ाई को अच्छे अंजाम तक पहुंचाएंगे। पूरी मेहनत के साथ और सभी को एकजुट कर वे चुनाव लड़ेंगे।

विधानसभा चुनावों के साथ उन्हें राज्यसभा में भी भेजे जाने की मांग उठी थी। 2022 में जब छत्तीसगढ़ से राज्यसभा की दो सीटें खाली हुईं थीं, तो एक सीट पर डॉ. गुप्ता को भेजे जाने की चर्चा थी। तब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से डॉ. गुप्ता कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर डॉ. गुप्ता के लिए राज्यसभा सदस्यता के लिए नामांकन की मांग की गई।

मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के लिए किया आंदोलन

डॉ. गुप्ता 1983 में पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इसके बाद 1984 में मेडिकल कॉलेज में एक बड़े अस्पताल के लिए आंदोलन किया गया था। करीब 700 बेड के अस्पताल की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन किया था, जिसके बाद अस्पताल को मंजूरी मिली। बाद में यही अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के रूप में पहचाना जाता है।

7 चुनाव से यहां अजेय है भाजपा

कांग्रेस प्रत्याशी के साथ-साथ रायपुर लोकसभा की बात करें तो यहां 1996 से लेकर 2019 तक 23 सालों में 7 चुनावों में भाजपा अजेय रही है। पहली बार 1989 में भाजपा ने यहां जीत हासिल की थी। रमेश बैस पहली बार यहां से सांसद बने थे। तब से लेकर अब तक हुए 9 चुनावों में 8 भाजपा जीती है। आखिरी बार यहां से 1991 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ला ने जीत हासिल की थी। 1996 में रमेश बैस दूसरी बार यहां से सांसद बने। इसके बाद 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में वे जीते और रिकॉर्ड बनाया। 2019 में भाजपा ने पूर्व महापौर सुनील सोनी को टिकट दिया। वहीं कांग्रेस से तत्कालीन महापौर प्रमोद दुबे चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव को सुनील सोनी ने प्रमोद दुबे को 3 लाख 48 हजार वोटों से हराया था। इस दौरान पार्टी ने ओबीसी वर्ग से लेकर सामान्य जाति के प्रत्याशियों को मौका दिया है। लेकिन सोशल इंजीनियरिंग भी पार्टी को जीत नहीं दिला सकी।

कभी तीन बार के सीएम हारे तो कोई यहां से हारने के बाद सीएम बना

रायपुर लोकसभा से कांग्रेस ने कई दिग्गजों को उतारा है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए पहले चुनाव में रमेश बैस के खिलाफ कांग्रेस ने अविभाजित मध्यप्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ला को मैदान में उतारा था। तब पूर्व सीएम 2 लाख 46 हजार वोटों से हार गए थे। 2009 में हुए चुनाव में भूपेश बघेल चुनाव मैदान में थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में पाटन से विजय बघेल से हारने के बाद कांग्रेस ने उन्हें रायपुर लोकसभा का प्रत्याशी बनाया। लेकिन वे भी जीत नहीं पाए। हालांकि जीत का अंतर कम हुआ। फिर भी करीब 57 हजार वोटों से हार गए। यहां से हारने के साढ़े 9 साल बाद भूपेश बघेल सीएम बने। 2014 में दिग्गज कांग्रेसी सत्यनारायण शर्मा को मौका मिला, लेकिन वे भी हार गए।

सालबीजेपीकांग्रेसजीत का अंतर
2004रमेश बैस (376029)श्यामाचरण शुक्ला (246510)129516
2009रमेश बैस (364943)भूपेश बघेल (307042)57901
2014रमेश बैस (654922)सत्यनारायण शर्मा (483276)171646
2019सुनील सोनी (837903)प्रमोद दुबे (489664)348239
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से सबसे बड़ी हार प्रमोद दुबे की रही। वहीं भूपेश बघेल की हार सबसे कम।

डॉ. गुप्ता प्रत्याशी बनते हैं तो

पॉजिटिव : लंबे समय से पार्टी से जुड़े हैं, मेडिकल के पेशे की वजह से लगातार लोगों से जुड़ाव, सामाजिक कार्यों में भी सक्रीयता, बेदाग छवि।

नेगेटिव: देशभर में मोदी की लहर, पार्टी में अंदरूनी झगड़ों की वजह से कार्यकर्ताओं में निराशा, कांग्रेस से कई सालों से किसी भी प्रत्याशी का न जीत पाना।