बिलासपुर। जिला खनिज न्यास (DMF) के फण्ड से हुई गड़बड़ियों को लेकर जिलों से लेकर विधानसभा तक में चर्चा हो रही। केंद्र से DMF के खर्चों को लेकर नियमों में बदलाव भी किया गया है। इस बीच कोरबा जिले में CAG की टीम DMF से हुए कामकाज की ऑडिट कर रही हैं, वहीं यहां के भूविस्थापितों द्वारा DMF को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका को लेकर सुनवाई भी चल रही है।

DMF के दुरूपयोग को लेकर है याचिका

दरअसल प्रदेश में कोरबा जिले में सर्वाधिक कोयले का उत्पादन होता है, जिसकी वजह से इस जिले को DMF का सर्वाधिक फण्ड भी मिलता है। सन 2015 में जब से DMF का कानून अस्तित्व में आया तब से इस मद से किये जाने वाले अनाप-शनाप खर्चों को लेकर आरोप जिला प्रशासन और जिम्मेदार जन प्रतिनिधियों के ऊपर लगते रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर कोयला खदान से विस्थापित हुए कुछ युवाओं ने मिलकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है। संतोष राठौर, ब्रजेश श्रीवास, मनजीत यादव, प्रकाश कोर्राम और सामाजिक कार्यकर्त्ता अजय श्रीवास्तव ने मिलकर यह याचिका लगाई है।

DMF में 10 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप

पेश याचिका में कहा गया है कि DMF के तहत पूरे प्रदेश में 10 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया गया है। कोरबा जिले में सर्वाधिक 1200 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई है। राशि खर्च करते समय डीएमएफ रूल्स 2015 के नियम 25 (3), 12 (3), 12 (6) तथा 12 (2) का उल्लंघन किया गया है।

टीडीएस कटौती नहीं और ऑडिट भी नहीं

याचिका में बताया गया है कि न्यास के कामकाज में टीडीएस कटौती नहीं की गई तथा ऑडिट भी नहीं कराया गया। खर्च की गई राशि का कोई हिसाब किताब भी नहीं रखा गया है। पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की आवश्यकता है।

केंद्र और CBI ने दिया जवाब, मगर…

पिछली सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार व सीबीआई से जवाब दाखिल करने को कहा था। इसकी सुनवाई के दौरान सीबीआई व केंद्र सरकार से जवाब मिल गया। मगर राज्य शासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है, इसलिए राज्य शासन को जवाब के लिए अवसर दिया गया है। अब मार्च के दूसरे सप्ताह में मामले की अगली सुनवाई होगी।

CAG की टीम कर रही है जांच

DMF की रकम के अनाप-शनाप खर्चे को लेकर कोरबा जिला सर्वाधिक चर्चा में रहा है, यही वजह है कि नियंत्रक एवं लेखा महानिरीक्षक (CAG) ने इस बार DMF के ऑडिट के लिए कोरबा को केंद्र बिंदु बनाया है। यहां बीते कुछ महीने से CAG की एक टीम ने डेरा डाल रखा है। इस टीम द्वारा जिला खनिज कार्यालय के बाजू में स्थित एक कक्ष में जिले के समस्त विभागों से दस्तावेज तलब कर ऑडिट का कार्य किया जा रहा है। इसमें सन 2015 से लेकर अब तक जो भी कार्य DMF के मद से कराये गए हैं, सभी के रिकॉर्ड की जांच की जा रही है और यह भी देखा जा रहा है कि नियम के तहत कार्य का आबंटन और खर्च हुए हैं या नहीं।

पहले भी पकड़ में आ चुकी है गड़बड़ी

दरअसल इससे पूर्व CAG ने शिकायतों के आधार पर कोरबा जिले में DMF से हुए कामकाज की जांच की थी। तब तत्कालीन कलेक्टर ने आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त रहे श्रीकांत दुबे को DMF का नोडल अधिकारी बनाया था। तब की गई ऑडिट में CAG ने लगभग सौ करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी थी। इस मामले में कांग्रेस नेता अजय जायसवाल की शिकायत पर EOW ने FIR भी दर्ज किया था। हालांकि इस केस की प्रगति का कुछ भी पता बही चल सका है, मगर यह तय है कि CAG की अभी हो रही ऑडिट में DMF में की गई गड़बड़ियों का उजागर होना तय है।

बताया जा रहा है कि कोरबा जिले में DMF की ऑडिट अंतिम चरण में है। इसकी रिपोर्ट कब प्रकाश में आएगी, इसका सभी को इंतजार रहेगा। वहीं हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में फ़िलहाल राज्य सरकार के जवाब का इन्तजार हो रहा है, जिसके बाद कोर्ट क्या फैसला सुनाती है, इसको लेकर भी खदान के प्रभावितों और आम-अवाम की उत्सुकता बनी हुई है।