0 मुंगेली जिले के अनेक परीक्षा केन्दों पर बड़े पैमाने पर होती है नकल

मुंगेली। जिले के लोरमी विकासखंड में स्थित ग्राम राम्हेपुर (एन) में ठा रामसिंह शासकीय विद्यालय में हो रही बोर्ड परीक्षा की एक परीक्षार्थी छात्र ने जो हिम्मत दिखाई, उसके चलते यहां चल रहे सामूहिक नकल की पोल खुली, और इसकी रिपोर्ट मिलने पर कलेक्टर ने कड़ी कार्यवाही की। छात्रा की शिकायत पर यहां दो सहायक केंद्राध्यक्ष समेत सभी एक दर्जन पर्यवेक्षक हटा दिए गए हैं। एक प्रकार से इस छात्रा ने यहां हो रहे एक नकल स्कैम को उजागर कर दिया है।

छात्रा की ये थी शिकायत

लोरमी ब्लाक के राम्हेपुर (एन) के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को हर वर्ष की तरह कक्षा बारहवीं की बोर्ड परीक्षा के लिए केंद्र बनाया गया है। एक मार्च 10वीं बोर्ड की पहली परीक्षा हिंदी विषय की थी। यहां परीक्षा दिला रही एक छात्रा दीपिका जायसवाल ने लोरमी एसडीएम को शिकायत पत्र सौंप कर बताया कि आज हुई पहले दिन की परीक्षा में पर्यवेक्षक व केंद्राध्यक्ष के द्वारा व्यक्तिगत रूप से नकल कराया गया। इस दौरान शोर गुल होने के चलते छात्रा मानसिक रूप से विचलित हो गई। छात्र ने बताया है कि शोर-शराबे के कारण मैं अपन पेपर सही ढंग से नहीं बना पाई।

कलेक्टर और मंत्री से भी शिकायत

छात्रा ने पर्यवेक्षक एवं केंद्राध्यक्ष के ऊपर उचित कार्यवाही करने के अलावा उसके हिंदी के पेपर को किसी भी सक्षम अधिकारी के सामने लेने की अनुमति मांगी थी। शिकायत की प्रतिलिपि एसडीएम के अलावा जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर व शिक्षा मंत्री को भी भेजी गई।

कलेक्टर ने तत्काल कराई जांच

जब यह मामला मीडिया में सुर्खियां बना तब मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चतुर्वेदी को फोन कर स्कूल जाने और पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चतुर्वेदी कल दो मार्च को स्कूल पहुंचे।

घंटों पूछताछ के बाद तैयार हुई रिपोर्ट

इस मामले की जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चतुर्वेदी के अलावा इलाके के SDM और तहसीलदार भी स्कूल पहुंच गए। यहां DEO और उनकी टीम ने 5 घंटे तक रुक कर शिकायतकर्ता छात्रा समेत सभी पर्यवेक्षक और सहायक केंद्राध्यक्ष से बयान लिया। छात्रा से बयान में पता चला कि उसके कमरे में सहायक केंद्राध्यक्ष मरियम एक्का दो से तीन बार आई है। उसके द्वारा ही नकल कराया गया है। छात्र की शिकायत और बयान के आधार पर सहायक केंद्राध्यक्ष मरियम एक्का से स्पष्टीकरण लिया गया। हालांकि मरियम एक्का ने कहा कि सहायक केंद्राध्यक्ष होने के नाते एक बार ही कमरे में गई थी। सभी पक्षों का बयान लेने के बाद कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी गई।

कलेक्टर ने सभी को हटाने के दिए निर्देश

रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्टर राहुल देव के संज्ञान में यह बात सामने आई कि केंद्राध्यक्ष के अलावा उक्त केंद्र में पदस्थ सहायक केंद्राध्यक्ष और एक दर्जन पर्यवेक्षक वर्षों से एक ही स्कूल में जमे है और परीक्षा ड्यूटी कर रहे हैं। जिसके चलते कलेक्टर ने दोनों सहायक केंद्राध्यक्ष समेत सभी 12 पर्यवेक्षकों को हटाने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए है।

जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चतुर्वेदी ने बताया कि दो सहायक केंद्राध्यक्ष, मरियम एक्का, जो इसी स्कूल में लेक्चर हैं एवं कर चंद्राकर सहित, वहां 12वीं के परीक्षा में जितने भी पर्यवेक्षक की ड्यूटी लगी थी, सभी 12 पर्यवेक्षकों को भी हटा दिया गया है एवं यहां अब परीक्षा ड्यूटी में प्राथमिक या मिडिल स्तर के शिक्षकों को लगाने की बात कही गई है।

सामूहिक नकल के लिए मशहूर है यह केंद्र

मुंगेली के कलेक्टर को DEO ने भले ही यह रिपोर्ट दे दी कि सारे पर्यवेक्षक और सहायक केंद्राध्यक्ष एक ही स्कूल में वर्षों से टिके हुए हैं और वे ही नकल करा रहे थे, जबकि सच तो यह है कि इस केंद्र में हर वर्ष बोर्ड परीक्षा में खुलकर नकल कराया जाता है।

दरअसल मुंगेली जिले में दो राम्हेपुर हैं, इसलिए एक राम्हेपुर के नाम के आगे N तो दूसरे के आगे J लिखा जाता है। लोरमी ब्लॉक मुख्यालय पर ही स्थित राम्हेपुर (एन) के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नकल का यह पहला मामला नहीं है। इस स्कूल में बड़े पैमाने पर नकल होने की जानकारी DEO और अन्य अधिकारियों को नहीं हो, ऐसा भी नहीं है। राम्हेपुर का यह स्कूल नकल के नाम पर कुख्यात है।

मुंगेली के कई स्कूल नकल के लिए मशहूर

TRP न्यूज़ को जानकारी मिली है कि मुंगेली के कई ऐसे निजी और शासकीय विद्यालय हैं जहां हर वर्ष बोर्ड परीक्षा में सामूहिक नक़ल कराया जाता है। बता दें कि पूर्व में प्रदेश का जांजगीर-चांपा जिला नकल के लिए मशहूर था, जहां ‘पोराबाई’ कांड के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल स्तर से कड़ाई बरती गई और परीक्षा व्यवस्था की खामियों को दुरुस्त किया गया।

बताया जाता है कि मुंगेली, दूसरा जांजगीर जिला है, जहां कई स्कूलों में सामूहिक नकल कराया जाता है। इसका अंदाजा यहां के अनेक स्कूलों में हर वर्ष आने वाले परीक्षा परिणामों को देखकर लगाया जा सकता है। ऐसे स्कूलों के बोर्ड के परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत ही नहीं बल्कि अधिकांश के अंक 90% से भी अधिक होते हैं। बहरहाल यहां की एक छात्रा के हिम्मत दिखाए जाने के बाद एक स्कूल में सामूहिक नकल का प्रकरण उजागर हो गया है। जिले के कलेक्टर और DEO को इस दिशा में विशेष पहल करते हुए नकल की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना चाहिए, अन्यथा दीपिका जैसे प्रतिभावान विद्यार्थियों को नुकसान होना स्वाभाविक है।