Ghaziabad, Apr 03 (ANI): Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) workers take part in the march on the occasion of Vikram Samvat 2079, or Hindu New Year, at Vasundhara, in Ghaziabad on Sunday. (ANI Photo)

प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सामग्री एवं शब्दावली में बदलाव

नागपुर । आरएसएस के सह-सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा, ‘‘अब से, ‘संघ शिक्षा वर्ग’ (प्रथम वर्ष) कार्यक्रम 15 दिन का होगा।’’ आरएसएस नेता ने बताया कि ‘द्वितीय वर्ष’ और ‘तृतीय वर्ष’ के प्रशिक्षण वर्गों को अब क्रमशः ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ और ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कहा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘नया पाठ्यक्रम और नयी शब्दावली इसी साल से लागू की जाएगी।’’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने शुक्रवार को बताया कि संघ ने अपने वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सामग्री एवं शब्दावली में बदलाव किए हैं और ये संशोधन इसी वर्ष से लागू किए जाएंगे।

वैद्य ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग संघ का हिस्सा बनने के लिए आगे आ रहे हैं और यहां तक कि जिन्हें अल्पसंख्यक कहा जाता है वे भी पहले से ही संघ की शाखाओं और इसकी गतिविधियों में शामिल हैं।

उन्होंने शुक्रवार को नागपुर में शुरू हुए संघ के वार्षिक ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ सम्मेलन के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आरएसएस के सात दिवसीय ‘प्राथमिक शिक्षा वर्ग’, 20 दिवसीय ‘संघ शिक्षा वर्ग-प्रथम वर्ष’, 20 दिवसीय ‘संघ शिक्षा वर्ग-द्वितीय वर्ष’ और 25 दिवसीय ‘संघ शिक्षा वर्ग- तृतीय वर्ष’ प्रशिक्षण कार्यक्रमों में थोड़े बदलाव किए गए हैं।

वैद्य ने कहा कि नए संघ कार्यकर्ताओं के लिए तीन दिवसीय ‘प्रारंभिक वर्ग’ कार्यक्रम है। उन्होंने बताया कि इसके बाद नए कार्यकर्ता ‘प्राथमिक शिक्षा वर्ग’ में भाग लेंगे, जिसके बाद 15 दिवसीय ‘संघ शिक्षा वर्ग’ कार्यक्रम होगा, जिसे पहले ‘संघ शिक्षा वर्ग-प्रथम वर्ष’ कहा जाता था और इसकी अवधि 20 दिन थी।

उन्होंने कहा कि संघ के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में युवा शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर साल 15,000 से 17,000 युवा ‘प्रथम शिक्षा वर्ग’ (प्रथम वर्ष कक्षा) में और लगभग एक लाख युवा ‘प्राथमिक शिक्षा वर्ग’ में भाग लेते हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या आरएसएस सम्मेलन के दौरान आगामी लोकसभा चुनावों पर चर्चा होगी, वैद्य ने कहा कि संघ हमेशा अधिक से अधिक मतदान पर जोर देता रहा है और आरएसएस कार्यकर्ता नागरिकों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के बारे में जागरूक भी करते हैं।

वैद्य ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग आरएसएस का हिस्सा बनना चाहते हैं और संगठन को संघ में शामिल होने के लिए प्रति वर्ष लगभग एक लाख लोगों के अनुरोध प्राप्त होते हैं।

यह पूछे जाने पर कि संघ अल्पसंख्यकों तक कैसे पहुंचेगा, वैद्य ने कहा कि संघ कहता रहा है कि 140 करोड़ भारतीय समुदाय ‘‘हिंदू’’ ही हैं ‘‘क्योंकि आपके पूर्वज हिंदू थे और हमारी संस्कृति एक है।’’

उन्होंने कहा कि जिन्हें अल्पसंख्यक कहा जा रहा है वे पहले से ही संघ की शाखाओं और संघ की गतिविधियों में सक्रिय हैं। वैद्य ने कहा, ‘‘उनके मन में संघ को लेकर जो भय बनाया गया था, वह धीरे-धीरे दूर हो रहा है और वे संघ के करीब आ रहे हैं। (संघ के काम में) उनकी भागीदारी बढ़ रही है।’’

जब उनसे उन कुछ सीमावर्ती राज्यों में अशांति को लेकर सवाल किया गया जहां संघ के लोग भी काम करते हैं, तो वैद्य ने कहा, ‘‘स्वयंसेवक विपरीत परिस्थितियों में काम करने के आदी हैं। संघ का काम धीरे-धीरे बढ़ रहा है और अशांति फैलाने वाली शक्तियां कमजोर हो रही हैं।’’

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