अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ जिले अंबिकापुर जिले के एक अस्पताल में कथित तौर पर गलत ग्रुप का खून चढ़ाने से एक 13 वर्षीय बालिका की मौत हो गई थी। बेटी की मौत के बाद परिजन तीन साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। दरअसल, उनकी 13 साल की बेटी अदिति दुबे की अंबिकापुर पुराना बस स्टैंड के पास स्थित निजी अस्पताल में तीन साल पहले मौत हो गई थी । 9 दिसम्बर 2020 को निजी अस्पताल के डॉक्टर ने बच्ची को गलत खून चढ़ा दिया था । जब उसकी तबीयत बिगड़ने लगी तो परिवार उसे लेकर दूसरे अस्पताल भागे ।

दूसरे अस्पताल में डॉक्टरों ने मां-पिता को बताया कि पूर्व में इलाज करने वालों ने बच्ची को ओ-नेगेटिव की जगह ए-पोजेटिव ब्लड चढ़ा दिया । इसकी वजह से मासूम बच्ची के पूरे अंग खराब हो गए । मृतक अदिति दुबे के पिता अमरेश कुमार दुबे पुलिस विभाग में हेड कॉन्सटेबल हैं । वे वर्तमान में सूरजपुर जिले की पुलिस लाइन में पदस्थ हैं । बच्ची की मौत के बाद पिता ने 11 जनवरी 2021 को अंबिकापुर के कोतवाली थाने में अस्पताल और डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी ।

हैरानी की बात यह है कि पिता की शिकायत के बाद उनके अपने ही विभाग ने यानी पुलिस ने 5 महीने बाद 16 जुलाई 2021 को एफआईआर की । लेकिन, मामले में 3 साल बाद भी कोतवाली पुलिस कोर्ट में केस डायरी पेश नहीं कर सकी है । जबकि किसी भी मामले में पुलिस को 90 दिन में केस की डायरी कोर्ट में पेश करनी होती है । पुलिस विभाग में रहते हुए भी अपने ही पुलिस विभाग की कार्य प्रणाली से पीड़ित पिता बेटी की मौत का इंसाफ दिलाने में मायूस नजर आ रहे हैं ।अब पिता ने आरटीआई के माध्यम से निजी अस्पताल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित नर्सिंग एक्ट के अधिकारी से खून देने वाले डोनर का नाम, पता मांगा है । लेकिन, किसी ने उन्हें जानकारी नहीं दी ।

इसके बाद अब पिता ने न्याय के लिए अंबिकापुर की स्थाई लोक अदालत में मामला दर्ज कराया है । पिता ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, प्रभारी अधिकारी नर्सिंग होम एक्ट सरगुजा, निजी अस्पताल माता राजरानी मेमोरियल में पदस्थ डॉक्टर आशीष जायसवाल और अस्पताल के ही प्रबंधक नरेंद्र सिंह टुटेजा के विरुद्ध सही जानकारी नहीं देने की शिकायत की थी ।

इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सेवा में कमी पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और प्रभारी अधिकारी नर्सिंग एक्ट, सरगुजा पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है । कोर्ट ने आदेश दिया है कि 30 दिन के अंदर जुर्माना राशि अदालत में जमा कराएं । बहरहाल मामले में स्थाई लोक अदालत ने पीड़ित परिवार को भले ही दो-दो लाख रुपये का मुआवजा दिलाया है, लेकिन, इससे वे संतुष्ट नहीं हैं । पीड़ित परिवार मासूम की मौत के जिम्मेदारों पर कार्रवाई चाहते हैं जिसके लिए वे विगत 3 सालों से भटक रहे हैं ।