रायपुर। बिल्डर द्वारा जब किसी कॉलोनी का प्रोजेक्ट ब्रोशर में दिखाया जाता है तो उसमें बड़े-बड़े वादे किये हुए होते है, ऐसा लगता है मानो ‘सपनों का घर’ मिल ही जायेगा, मगर जब हकीकत सामने आती है, तो मकान खरीदने वाला परेशान हो जाता है। ऐसे ही बिल्डर्स पर नकेल कसने के लिए रियल इस्टेट रेगुलरिटी अथॉरिटी ‘रेरा’ का गठन किया गया है। रेरा ने इसी तरह के एक मामले में मारुति इंफ्रा सिटी द्वारा धोखा देने की शिकायत के बाद आदेश दिया है कि मकान और कॉलोनी के संबंध में ग्राहक से जो भी वादे किये गए थे, उसे वह अक्षरशः पूरा करें।

राजधानी रायपुर में एक बार फिर “आपके सपनों का घर” जैसे झूठे वादे करके मारुति इंफ्रा सिटी द्वारा धोखा देने का मामला सामने आया है। इस प्रकरण के संबंध में की गई शिकायत के मुताबिक चांगोराभाठा निवासी श्रीमती संतोषी साहू ने महादेव घाट के समीप ग्राम सांकरा में स्थित मारुति इंफ्रा सिटी में भूखंड क्रमांक एल-01 को खरीदने का सौदा किया था, जिसमें मारुति इंफ्रासिटी द्वारा मकान को सर्व सुविधाओं से परिपूर्ण होना बताकर 1,62,766 रुपए में बुक किया गया।

18 महीने में मकान देने का वादा 60 माह में भी…

मारुति इंफ्रासिटी द्वारा 18 महीने में मकान तैयार करने का वादा किया गया था, लेकिन 60 महीने मतलब 5 साल बाद भी मकान तैयार नहीं हो पाया है। कुल मिलाकर मारुति इंफ्रा सिटी ने रेरा अधिनियम 2016 का स्पष्ट उल्लंघन किया, साथ ही ब्रोशर और अपने विज्ञापन सामग्री में उल्लेखित वायदों को भी समय सीमा में पूर्ण करने में असफल रहा।

पीड़िता संतोषी साहू ने रेरा के समक्ष अपनी पीड़ा दर्ज कराई जिस पर संज्ञान लेते हुए और संपूर्ण जानकारी के बाद रेरा ने मारुति इंफ्रा सिटी को नोटिस जारी करते हुए दो माह के भीतर आवेदिका को सर्व सुविधायुक्त मकान का आधिपत्य देने का निर्णय सुनाया है।

इस मामले में दूसरा पक्ष शैली एस्टेट्स एण्ड डेव्हलपर्स, द्वारा- राकेश कुमार सोनी, निवासी-प्लॉट क्रं.-337532, सांई चेम्बर, श्याम नगर रोड, तेलीबांधा, रायपुर और श्रीमती परगुन छाबड़ा, पति- मोनेन्द्र छाबड़ा, निवासी-मारूति इन्फ्रा सिटी, द्वितीय तल, कृष्णा कॉम्पलेक्स, मेन रोड शंकर नगर शामिल हैं।

रेरा ने कहा – दो महीने में पूरे करें ये वादे

रेरा ने इस मामले की सुनवाई के बाद जो फैसला सुनाया है, उसमें दो माह के भीतर मारुती इंफ्रा सिटी में वादे के मुताबिक पूरी सुविधाएं देने को कहा गया है। इनमें स्पॉट पार्क, टेम्पल पार्क, जॉगर्स पार्क, खेल उपकरण के साथ चिल्ड्रेन पार्क, स्ट्रीट लाइट के साथ सड़क के किनारे वृक्षारोपण, उपकरण के साथ हेल्थ क्लब, नाली के साथ कंक्रीट सड़कें, आर.सी.सी. नियमित पानी सुनिश्चित करने के लिए ओवरहेड टैंक से पानी आपूर्ति, बाहरी विद्युतीकरण नेटवर्क, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, आउटडोर:- लॉन टेनिस कोर्ट, नेट क्रिकेट, वॉलीबॉल कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, जॉगर्स पार्क, चिल्ड्रन पार्क, टेम्पल पार्क, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, स्कूल के लिए प्रस्तावित भूमि, अस्पताल की सुविधा शामिल है।

‘मकान 2 माह के भीतर बनाकर ये सुविधाएं भी दें’

रेरा ने अपने आदेश में कहा है कि आवेदिका महिला को 2 महीने के भीतर माकन का निर्माण पूरा करके तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराएं, जो ब्रोशर में बताई गई थीं। इनमें क्रमशः 1. हर बेडरूम में एसी (1.5 टन सैमसंग) 2. हर कमरे में गद्दे के साथ डबल बेड 3. चादर और तकिए 4. हर बेडरूम में अलमारी 5. ड्रेसिंग टेबल 6. खिड़कियों और दरवाजों के लिए पर्दे 7. हॉल और बेडरूम में पीओपी 8.5 सीटर चाय टेबल के साथ सोफा सेट 9. डाइनिंग टेबल-ग्लास टॉप 10. फ्रिज 192 लीटर। सिंगल डोर (सैमसंग) 11. वॉशिंग मशीन-सेमी ऑटो 6 किग्रा 12. एलईडी टीवी 32 (सैमसंग) 13. हॉल में टीवी शोकेस 14. लाइट और पंखे 15. सेमी हाफ मॉड्यूलर किचन 16. चिमनी 17. गैस स्टोव और सिलेंडर 18. पानी प्यूरिफायर 19. माइक्रोवेव 20. मिक्सर ग्राइंडर 21. कलर कंप्लीशन शामिल हैं।

जमा रकम का ब्याज सवा 5 लाख रूपये करें भुगतान..

रेरा ने यह आदेश भी दिया है कि रजिस्ट्री शुल्क की समतुल्य राशि 21,100/- रूपये 45 दिन के भीतर आवेदिका को वापिस करें। साथ ही आवेदिका द्वारा प्रदत्त राशि 11,98,600/- रूपये पर अधिनियम की धारा-18, नियम-17 के अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक के गृह निर्माण ऋण पर प्रचलित महत्तम ब्याज दर 8.85 प्रतिशत + 2 प्रतिशत अर्थात 10.85 प्रतिशत ब्याज दर से 04 वर्ष के लिये ब्याज 5,20,192/- रूपये 45 दिवस के भीतर भुगतान करें।

कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश

रेरा ने अपने रजिस्ट्रार को यह आदेशित किया है कि अनावेदक क्रमांक-01 राकेश कुमार सोनी के विरूद्ध अधिनियम की धारा-3 के उल्लंघन के लिये पृथक से प्रकरण दर्ज करते हुये उसके विरूद्ध कारण बताओं नोटिस जारी कर प्रकरण संस्थित करे। इसके साथ यह भी कहा गया है कि आवेदिका पृथक से अनावेदक क्रमांक-01 के विरूद्ध धारा-12 का उल्लंघन करने पर (FORM-N) में क्षतिपूर्ति हेतु छ.ग. भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के न्याय निर्णायक अधिकारी के समक्ष प्रतिकर हेतु आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं।

कुल मिलकर मारुती इंफ़्रा के बिल्डर को झूठे वादे भारी पड़ गए हैं। अब देखना ये है कि रेरा के इस कड़े फैसले के बाद प्रदेश भर में बिल्डरों की धोखाधड़ी के शिकार और कितने लोग सामने आते हैं।