डाप्लर रडार
डाप्लर रडार

इंदिरा गांधी कृषि विवि में लगने जा रहा वेदर डाप्लर रडार

रायपुर। मौसम विज्ञानियों के अनुसार मौसम के लिहाज से छत्तीसगढ़ सेफ जोन में है। यानी तूफान व दूसरे खतरे थोड़े कम हैं। यहां मुख्य रूप से मानसून और गर्मी को लेकर ही लोगों में जिज्ञासा रहती है। डाप्लर रडार लगने के बाद मौसम की सटीक जानकारी हर घंटे दो घंटे में प्रसारित होगी। इसका इस्तेमाल यूएस कनाडा में बहुत ज्यादा हो रहा है, क्योंकि विनाशकारी तूफान वहां आते है। तूफान-बारिश के पूर्वानुमान के बारे में विशेषज्ञ इसे बिल्कुल सटीक मानते हैं।

छत्‍तीसगढ़ में किस क्षेत्र में कितनी बारिश होगी, कहां जबरदस्त गर्मी पड़ने वाली है, कोई तूफान तो नहीं आने वाला है, इन सबकी सटीक जानकारी अगले महीने से रायपुर के साथ प्रदेशवासियों को मिलेगी। यह सब संभव होगा वेदर डाप्लर रडार से। करीब 80 करोड़ रुपये का यह सिस्टम इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में लगाया जा रहा है। अप्रैल आखिर तक काम पूरी होने की उम्मीद है तथा मई से टेस्टिंग शुरू हो सकती है। इससे पहले देश के चुनिंदा महानगरों में यह सिस्टम लगा है।

मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया कि इस डाप्लर रडार के लगने के बाद बारिश, गर्मी सहित मौसम में अन्य बदलाव की पुख्ता जानकारी मिलेगी। मौसम विज्ञानियों के अनुसार करीब 32 मीटर ऊंचाई पर लगने वाले इस रडार से 250 किमी परिधि (रेडियस) में मौसम में कोई भी हलचल की सटीक जानकारी रहेगी। इसके बाद 400 किमी तक की परिधि में होने वाले बदलाव की अनुमानित जानकारी मिलेगी।

किसानी के साथ कारोबार के लिए उपयोगी

डाप्लर रडार यह बताएगा कि 250 किमी के दायरे में किस क्षेत्र में किस घंटे में कितनी बारिश होगी। इस दायरे में जो बादल सक्रिय हैं, वह कितना पानी कहां बरसाएंगे। प्रदेश में किसानी के साथ ही कारोबार के लिए भी यह उपयोगी है।

रडार बताएगा कितना रहेगा तापमान

रायपुर सहित प्रदेश भर में मार्च से लेकर मई तक पारा 45 डिग्री के पार चला जाता है। लोगों में उत्सुकता रहती है कि गर्मी और कितनी बढ़ने वाली है। रडार लगने के बाद इनपुट मिलेगा कि दिन के कौन से घंटे में कितना तापमान रहेगा।

हवा की दिशा की जानकारी मिलेगी

प्रदेश में उत्तरी हवाओं के असर से ठंड पड़ती है। बीच-बीच में दूसरे सिस्टम से हवा की दिशा बदलती है। रडार सिस्टम के बाद वाले बदलाव की सटीक जानकारी मिलेगी।

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