महिला ट्रेन चालक
महिला ट्रेन चालक

इंजन में शौचालय की सुविधाएं नहीं होने की महिला चालकों ने किया जिक्र

नयी दिल्ली। झांसी रेलवे मंडल के एक हालिया आदेश में महिला ट्रेन चालकों को ‘‘पुरुष चालकों के समान’’ सभी पालियों में काम करने का निर्देश दिये जाने के बाद 100 से अधिक महिला ट्रेन ड्राइवर ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है और सुविधाओं की कमी को उजागर किया है।

इससे पहले, महिला चालकों को इस तरह से ड्यूटी दी जाती थी कि वे या तो अपनी यात्रा पूरी करके घर आ जाती थीं या रात 10 बजे से पहले गंतव्य स्टेशन पर पहुंच जाती थीं और ‘रनिंग रूम’ में आराम करती थीं। झांसी मंडल ने यह नवीनतम आदेश इस वर्ष 16 अप्रैल को जारी किया था। महिला ड्राइवर के एक वर्ग ने इस संबंध में मंडल रेलवे प्रबंधक (डीआरएम), झांसी को लिखित शिकायत भेजी है।

एक महिला चालक ने कहा, ‘‘अब नये निर्देश के अनुसार, हमें चौबीसों घंटे काम करने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। हमने मंडल रेलवे प्रबंधक (डीआरएम) से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। हमें एक बड़ी सुरक्षा समस्या का सामना करना पड़ेगा क्योंकि रेलवे महिला चालकों को कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं देता है।”

संपर्क किए जाने पर झांसी मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि काम के अत्यधिक दबाव के कारण यह निर्णय लिया गया है। अधिकारी ने कहा, ‘‘कुछ साल पहले तक, हमारे मंडल में 10-12 महिलाएं थीं, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 100 से अधिक हो गई है। चूंकि रेलगाड़ियां चौबीसों घंटे परिचालित होती हैं, ऐसे में हम उनके पुरुष समकक्षों से हर समय उनकी अनुपस्थिति की भरपाई करने के लिए नहीं कह सकते। इससे पुरुष चालकों पर काम का दबाव बढ़ता है जो सुरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए अच्छा नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ”मैं इस बात को पूरी तरह से स्वीकार करता हूं कि महिलाओं को देर रात ट्रेन का परिचालन करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हम रेलवे बोर्ड की ओर से कोई दिशा-निर्देश न होने पर सुविधाएं नहीं दे सकते। मुझे लगता है कि बोर्ड को इस संबंध में एक व्यापक दिशानिर्देश लाना चाहिए।”

महिला चालकों ने बताया कि देर शाम को झांसी रेल यार्ड सूनसान रहता है और रात में ट्रेन परिचालित करना उनके लिए सुरक्षित नहीं है। एक अन्य महिला लोको पायलट ने कहा, ‘‘मैं रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष से अनुरोध करती हूं कि वह यार्ड का दौरा करें और देखें कि यह रात में कितना सुरक्षित है। मुझे उम्मीद है कि वह हमारी समस्या को समझेंगे।’’

महिला चालकों ने यह भी कहा कि आधिकारिक आदेश में देर रात काम के लिए वाहन से कार्यस्थल तक लाने और वापस घर पहुंचाने की सुविधा के बारे में बात नहीं की गई है। इंजन में शौचालय की सुविधाएं न होना, रात में तकनीकी गड़बड़ी को दूर करने के लिए इंजन से बाहर निकलने का अनिवार्य प्रावधान, जैसी समस्याओं का महिला ट्रेन चालकों ने जिक्र किया है।

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