Chabahar agreement: साथ ही इस समझौते को पाकिस्तान के ग्वादर में चीन द्वारा बनाए जा रहे बंदरगाह की काट के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि भारत और ईरान के बीच इस समझौते से अमेरिका बौखला गया है। अमेरिका ने इस करार की निंदा की और कहा कि ईरान के साथ किसी भी देश को समझौता करने से पहले यह जान लेना चाहिए कि उस पर भी पाबंदियां लगाई जा सकती हैं।

दरअसल, इजरायल और ईरान के बीच कुछ दिनों से तनाव चल रहा है। पहले इजरायल ने ईरानी कमांडर को एक हवाई हमले में मार डाला। कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने इजरायल पर हमले के बाद ईरान के मानवरहित हवाई वाहन उत्पादन को निशाना बनाते हुए उस पर नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

चाबहार पोर्ट ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। इस बंदरगाह को लेकर बीते सोमवार के दिन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, आईपीजीएल करीब 12 करोड़ डॉलर निवेश करेगा जबकि 25 करोड़ डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी।

Chabahar agreement: अमेरिका क्यों भड़का

भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर हुए समझौते के कुछ घंटों बाद अमेरिका की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। उसने कहा, ईरान के साथ व्यापारिक सौदों पर विचार करने वाले किसी भी देश को पाबंदियों के संभावित जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए।

अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, हम इन रिपोर्टों से अवगत हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं भारत सरकार को चाबहार बंदरगाह के साथ-साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संबंध में अपनी विदेश नीति के बारे में बता देना चाहता हूं। कोई भी… जो ईरान के साथ व्यापारिक डील करता है, उन्हें उन संभावित जोखिमों और पाबंदियों के के बारे में पता होना चाहिए, जो उन पर लगाए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं बस यही कहूंगा, क्योंकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका से संबंधित है, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और हम उन्हें लागू करना जारी रखेंगे।”

Chabahar agreement: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया जवाब

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के साथ डील के बाद कहा कि भारत और ईरान द्वारा शाहिद बेहिश्ती पोर्ट टर्मिनल के संचालन के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद चाबहार बंदरगाह में निश्चित रूप से अधिक निवेश और जुड़ाव देखने को मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बंदरगाह भारत और मध्य एशिया को बेहतर ढंग से जोड़ने में मदद करेगा।

जयशंकर ने कहा, अभी बंदरगाह विकसित नहीं हुआ है। यदि 10 साल जितना लंबा समझौता नहीं हो तो बंदरगाह में निवेश करना मुश्किल है। इसलिए पूरी उम्मीद है कि चाबहार का वह हिस्सा जिसमें अब हम भी शामिल हैं, निश्चित रूप से अधिक निवेश दिखेगा। इससे उस बंदरगाह से जुड़ाव और बढ़ेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि आज कनेक्टिविटी उस हिस्से में एक बड़ा मुद्दा है। चाबहार हमें मध्य एशिया से जोड़ेगा।’’