नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यों वाली बेंच ने न्यूज पोर्टल न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने ये भी कहा कि पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और उसके बाद उन्हें हिरासत में रखे जाना कानून की नजर में अवैध था।

अदालत ने ये भी कहा कि पुरकायस्थ की गिरफ्तारी के समय ये नहीं बताया गया कि इसका आधार क्या था। इसकी वजह से गिरफ्तारी निरस्त की जाती है।
कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत द्वारा तय की गई मुचलके की राशि को जमा करने के बाद प्रबीर पुरकायस्थ को जेल से रिहा किया जा सकता है। पुरकायस्थ को बीते साल अक्तूबर में चीन से अवैध फंडिंग लेने के आरोपों में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था।

प्रबीर के वकील ने क्या कहा
प्रबीर पुरकायस्थ के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को हिरासत में लिए जाते समय गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया था, जबकि इसकी जानकारी लिखित में दी जानी चाहिए थी। हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि पुरकायस्थ को बताया गया था कि उनकी गिरफ्तारी किन आधारों पर की गई है। उन्होंने कहा कि लिखित में इसकी जानकारी देना UAPA के तहत अनिवार्य नहीं है।
रिमांड की प्रक्रिया को बताया गैर-कानूनी
वकील अर्शदीप खुराना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी और रिमांड की प्रक्रिया को गैर-कानूनी माना है और पुरकायस्थ की रिहाई के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा, “हमें ट्रायल कोर्ट के आगे जमानत का बॉन्ड भरने का निर्देश दिया गया है। यह बहुत बड़ी राहत है क्योंकि हम शुरुआत से कह रहे हैं कि उनके खिलाफ पूरी प्रक्रिया गैर-कानूनी है और उन्हें जिस तरह से गिरफ्तार किया गया उसे सुप्रीम कोर्ट ने भी गैर-कानूनी माना है।”
अब आगे होगी ये प्रक्रिया…
प्रबीर पुरकायस्थ अब ट्रायल कोर्ट के आगे पेश होंगे जो कुछ शर्तें तय करेगा। ये इसलिए होगा ताकि जिस शख्स पर आरोप है वो ट्रायल में शामिल हो और इससे भागे नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना है कि पुरकायस्थ को बिना किसी शर्त के रिहा किया जाए, हालांकि इस मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है।
दोबारा गिरफ्तारी की जताई आशंका
पुरकायस्थ के वकील कपिल सिब्बल ने उनकी दोबारा गिरफ्तारी को लेकर शंका जताई जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि शर्तें तय करते समय इस शंका का भी ध्यान रखा जाए। कोर्ट ने कहा, “आदेश में जहां जमानत बॉन्ड भरने को कहा गया है वहां शंका का ध्यान रखा जाए।”
क्या था मामला
बीते साल अक्तूबर में न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक से जुड़े कई पत्रकारों के घर पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की थी। ये छापेमारी अगस्त 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के बाद की गई थी। रिपोर्ट में न्यूजक्लिक वेबसाइट पर आरोप लगाए गए थे कि उसने चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए एक अमेरिकी करोड़पति से फंडिंग ली है।
इसके बाद वेबसाइट के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया था। हालांकि न्यूजक्लिक ने इन सभी आरोपों का खंडन किया था। खबरों के मुताबिक यह छापेमारी उसी मामले में की गई थी।
जिन लोगों पर कथित छापेमारी की कार्रवाई की गई थी उसमें वेबसाइट के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ, पत्रकार अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती, भाषा सिंह, व्यंग्यकार संजय राजौरा, इतिहासकार सोहेल हाशमी शामिल थे। पुलिस ने छापेमारी के दौरान मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर समेत इलेक्ट्रॉनिक सामान जब्त किया था।
दिल्ली पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून ‘UAPA’ के तहत केस दर्ज किया था और इस मामले में न्यूजक्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को गिरफ़्तार किया था।
आर्थिक अपराध का मामला भी है दर्ज
इससे पहले न्यूज वेबसाइट और इसकी फंडिंग के सोर्स की जांच साल 2021 में शुरू की गई थी। उस समय दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने वेबसाइट के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में केस दर्ज किया था।