0 NTPC के फ्लाई ऐश डाइक का तटबंध टूटा
0 सब्जी मंडी में डाली गई राख बहकर बिजली के सब स्टेशन में भरी

कोरबा। कोयले की उपलब्धता के चलते कोरबा जिले में कई बिजली कारखाने खोले गए, जिनसे देश के कई इलाके रौशन हो रहे हैं मगर यही कारखाने ऊर्जानगरी कहे जाने वाले इस शहर के लिए अभिशाप बन गए हैं। इन कारखानों से निकलने वाली कोयले की राख के सही तरीके से रख-रखाव के आभाव के चलते सूखे और बारिश दोनों समय इससे परेशानी हो रही है। ताजा मामला NTPC की AISH DYKE का है जिसका तटबंध टूट जाने से राख बहकर किसानों के खेतों में भर गया। इसी तरह की एक अन्य घटना शहर के पास हुई है जहां सब्जी मंडी के समतलीकरण के नाम पर राख का टीला बना दिया गया जो बहकर बिजली के सब स्टेशन और किसानों के खेतों में पट गया।
किसानों के खेत हुए बर्बाद
कोरबा शहर के दर्री इलाके में स्थित एनटीपीसी के धनरास स्थित राख के बांध (FLY ASH DYKE) का तटबंध टूटने से राखयुक्त पानी आसपास के 30 एकड़ से अधिक खेतों में फैल गया। दरअसल जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से यह बांध लबालब भर गया और तटबंध कमजोर होकर टूट गया। इस घटना में 50 से अधिक किसानों को भारी नुकसान हुआ है।

हर रोज जलता है 40 हजार टन कोयला
कोरबा में एनटीपीसी का 2600 मेगावाट का पावर प्लांट संचालित है। जहां इस एक कारखाने में हर रोज करीब 40 हजार टन कोयले जलता है और 20 हजार टन से अधिक राख उत्सर्जित होता है। इस राख को पाइपलाइन के जरिए धनरास गांव में स्थितFLY ASH DYKE में डंप किया जाता है। करीब 300 हेक्टेयर में राखड़ बांध फैला हुआ है। यहां बार-बार ऊंचाई बढ़ाने के चलते डेम पहाड़ की तरह नजर आता है। इसमें राख पूरी तरह भर गया है। यही वजह है कि तेज बारिश के कारण डेम का तटबंध टूट गया और तेज बहाव के साथ राखयुक्त पानी आसपास के 30 एकड़ से भूभाग के खेतो में पट गया है।

परेशान किसानों ने दिया धरना
राख पट जाने के चलते किसानों के खेत बर्बाद हो चुके हैं। आलम ये है कि किसान इस बार खेतों में फसल ही नहीं लगा सकेंगे। इससे नाराज किसानों ने NTPC में धरना दे दिया, जिसके बाद संयंत्र के अधिकारी और प्रशासन के लोग हरकत में आये। मौके पर पहुंचकर किसानो को यह आश्वासन दिया गया कि नुकसान का आंकलन करने के बाद प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जायेगा। इसके बाद किसान शांत हुए। हालांकि किसानों का कहना है कि जब तक खेतों से राख नहीं निकाली जाएगी वहां फसल का उत्पादन हो ही नहीं सकता। किसानों ने राख को भी खेतों से निकालने की मांग की है।
कई बार टूट चुका है तटबंध
फ्लाई ऐश से प्रभावित किसानों लक्ष्मीकांत कंवर और समार सिंह ने बताया कि NTPC के राखड़ बांध टूटने का यह पहला मामला नहीं है। प्रबंधन की लापरवाही के चलते धनरास के इस राखड़ बांध का तटबंध पहले भी कई बार टूट चूका है, बावजूद इसके रख-रखाव ओर ध्यान नहीं दिया जाता। लगभग डेढ़ दशक पहले इसी तरह की एक घटना में धनरास का एक आदमी राख के मलबे में बह गया और उसकी मौत हो गई थी। तब काफी बवाल मचा था।
बता दें कि कोरबा में NTPC के अलावा CSEB, BALCO और अन्य कंपनियों के भी बिजली कारखाने संचालित हैं जहां से बड़ी मात्रा में राख निकलती है। इनके FLY ASH DYKE में भी इसी तरह की घटनाएं घटती रहती है। और इससे यहां की आबो-हवा, यहां के जल श्रोत, खेत और दूसरे इलाके बर्बाद हो रहे हैं।

किसानों की आंखों के सामने बर्बाद हो रहे खेत
NTPC के धनरास की तरह ही शहर की दूसरी छोर पर भी नजारा देखने को मिल रहा है। यहां तो किसानों की आंखो के सामने राख बहकर खेतों में पहुंच रही है और वे उसे रोक नहीं पा रहे हैं। कोरबा के खरमोरा इलाके में प्रशासन ने सब्जी मंडी का निर्माण कराया है, जो फ़िलहाल शुरू नहीं हुआ है। बताया जाता है कि मंडी परिसर में ही एक बड़े भूभाग में मुरुम की खुदाई की गई थी, इससे निर्मित हुए गड्ढे को भरने के बहाने से यहां BALCO के AISH DYKE से लगभग डेढ़ सौ ट्रक रख लाकर यहां पाट दिया गया। यहां इतनी ज्यादा मात्रा में राख भरी गई कि जमीन समतल होने की बजाय 5 फिट ऊंचा टीला बन गया है। हालांकि इसके ऊपर मिटटी की पर्त बिछाई गई है मगर तेज बारिश में कई जगह से मिट्टी बह गई और उसके साथ ही रख भी बहने लगी।

किसानों ने बताया कि लगातार बारिश के चलते राख बहकर खेतों में भर रही है। किसानों ने खेत पर जाकर राख को रोकने का प्रयास भी किया मगर वह कहां रुकने वाली है। किसानों की नज़रों के सामने ही उनके खेत लगभग बंजर के सामान हो गए हैं। यहां की 10 एकड़ जमीन पर पूरी 2 फिट राख की पर्त जम गई है, ऐसे में खेतों में फसल लगाई ही नहीं जा सकती। किसान बेबस हैं। वे करें भी तो क्या करें।

बिजली के सब स्टेशन में भी भर गई राख
मंडी से लगा हुआ बिजली विभाग का एक बड़ा सब स्टेशन भी यहां संचालित है, जहां से कई इलाकों में बिजली पहुंचाई जाती है। यह सब स्टेशन भी राख से पूरी तरह पट गया। यहां भी डेढ़ से दो फिट रख की पर्त जैम गई है। इस वजा से सब स्टेशन में कोई भी जा नहीं पा रहा है, वहीं गाड़ियां भी प्रवेश नहीं कर पा रही हैं, क्योंकि उनके राख के दलदल में फंसने का खतरा है। कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें डर है कि इससे कही कोई तकनिकी दिक्कत होने से विद्युत व्यवस्था ठप्प न पड़ जाये।

किसानों की शिकायत पर पहुंचा राजस्व अमला
दरअसल यहां खेतों और सब स्टेशन में राख का बहना पिछले तीन-चार दिनों से जारी था, जिससे परेशान किसानों की शिकायत पर राजस्व विभाग का अमला यहां पहुंचा और राख से हुए नुकसान का जायजा लिया। अमले ने भी यह स्वीकार किया कि सब्जी मंडी परिसर में जिस तरह राख का टीला बना दिया गया है, उसकी वजह से ही यह स्थिति निर्मित हुई है।

सच तो यह है कि केवल कोरबा जिला ही नहीं बल्कि जिन शहरों में भी बिजली के कारखाने हैं, वहां इस तरह की समस्याएं आम हो चली हैं। अधिकारियों की लापरवाही और मनमानियों का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सूखे के दिनों में राख वायुमंडल में उड़कर प्रदूषण फैलाती हैं, वहीं बारिश के दिनों में इस तरह का नजारा देखने को मिलता है। रायगढ़ और जांजगीर सहित अन्य शहरों में भी इसी तरह की समस्या है, और अगर शासन-प्रशासन द्वारा कठोरता नहीं अपनाई गई तो आगे यह समस्या और विकराल रूप धारण कर लेगी।