टीआरपी डेस्क। केंद्र सरकार ने राज्यों से कोरोना वायरस महामारी की वजह से होम क्वारंटाइन में रह रहे लोगों पर नजर रखने के लिए मोबाइल फोन ट्रैकिंग तकनीक का इस्तेमाल करने को कहा है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई राज्य सरकारों के अधिकारियों के साथ बैठक में राज्यों से ऐसा करने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि बैठक में कई राज्यों ने सवाल उठाया था कि उन्हें होम क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों पर नजर रखने में दिक्कत आ रही है।

बैठक में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों में वसूली जा रही ज्यादा रकम के मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा हुई। केंद्र के अधिकारियों ने तमिलनाडु और कर्नाटक का उदाहरण देते हुए समझाया कि दोनों ने फीस तय कर दी है, जिसे अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र ने सार्वजनिक परिवहन का मुद्दा भी उठाया।

महाराष्ट्र के मुख्य सचिव अजय मेहता ने मांग कि राज्य में लोकल ट्रेनों के संचालन की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि दफ्तरों में सिर्फ 15 से 20 फीसदी ही कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए। बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने बैठक में कहा कि स्लम वाले इलाकों में डोर-टू-डोर कोरोना टेस्टिंग में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने गौबा से कहा कि जो लोग होम क्वारंटाइन में रह रहे हैं, उनपर नजर बनाए रखने में भी काफी मुश्किल हो रही है।

पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों ने लोगों से हल्का बुखार आने पर कहा है कि वे अपने घरों में ही होम क्वारंटाइन में रहें। जब उनकी तबीयत खराब होती है, तभी वे अस्पताल में भर्ती होने के लिए आएं। इसके पीछे की वजह अस्पतालों में बेड की कमी है।

राजीव गौबा ने होम क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों को मोबाइल के जरिए ट्रैक करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा जब भी लोगों को होम क्वारंटाइन में रहने के लिए कहा जाए, तब अधिकारी उन्हें इसकी गाइडलाइन के बारे में बताएं। गौबा ने कई राज्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि वे एक दिन में दो बार तक होम क्वारंटाइन में रहने वालों के हाल-चाल के लिए फोन कर रहे हैं।