0 क्या सरकारी डॉक्टर को खुद का अस्पताल संचालित करने का है नियम..?

रायपुर। विधानसभा में आज प्रश्नकाल में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि प्रदेश में 749 डॉक्टर अपनी प्रथम नियुक्ति दिनांक से लेकर आज तक एक ही स्थान पर पदस्थ है एवं इनमें से 131 डॉक्टर निजी चिकित्सालय या क्लीनिक का संचालन कर रहे हैं।
दरअसल विधायक विनायक गोयल ने स्वास्थ्य मंत्री से सवाल किया था कि प्रदेश में कितने ऐसे डॉक्टर हैं, जो चिकित्सा महाविद्यालय एवं जिला चिकित्सालय में अपनी प्रथम नियुक्ति दिनांक से लेकर आज तक एक ही स्थान पर पदस्थ हैं और साथ में अपने निजी चिकित्सालय या क्लीनिक का संचालन भी कर रहे हैं? (ख) क्या चिकित्सा महाविद्यालय एवं जिला चिकित्सालयों में भारत सरकार द्वारा संचालित आयुष्मान योजना का प्रबंधन एवं वित्तीय प्रभार संविदा कर्मचारियों को दिया जा सकता है? यदि हां तो कहां-कहां दिया गया है? कृपया सूची प्रदान करें ?
इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि प्रदेश में 749 डॉक्टर अपनी प्रथम नियुक्ति दिनांक से लेकर आज तक एक ही स्थान पर पदस्थ हैं एवं इनमें से 131 डॉक्टर निजी चिकित्सालय या क्लीनिक का संचालन कर रहे है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि किसी भी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं संबद्ध चिकित्सालयों में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को आयुष्मान योजना का प्रबंधन एवं वित्तीय प्रभार नहीं दिया गया है।
प्राइवेट प्रैक्टिस के क्या हैं नियम..?
इस संबंध में विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिन सरकारी डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस अलाउंस नहीं मिलता है वे अपन निवास पर पॉली क्लिनिक का संचालन कर सकते हैं। इसके अलावा कोई भी सरकारी डॉक्टर अलग से चिकित्सालय या क्लिनिक का संचालन नहीं कर सकता।
अब सवाल यह उठता है कि अपनी पदस्थापना से एक ही स्थान पर जमे हुए 749 डॉक्टरों में से जिन 131 डॉक्टरों द्वारा निजी चिकित्सालय या क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है, क्या उन्हें विभाग द्वारा अनुमति दी गई है, या फिर अगर अनुमति नहीं दी गई है तो क्या कोई कार्रवाई भी की गई है? हालांकि विधायक ने न तो इस संबंध में न तो कोई सवाल किया है और न ही स्वास्थ्य मंत्री ने इसके बारे में कोई जानकारी दी है।
वहीं स्वास्थ्य विभाग में अमूमन इस बात का प्रावधान है कि किसी भी चिकित्सक का 3 साल में तबादला कर दिया जाता है, मगर अधिकांश चिकित्सक एक ही स्थान पर जमे रहते हैं, इसकी प्रमुख वजह उनका प्राइवेट प्रैक्टिस करना या फिर अपने खुद के चिकित्सालय का संचालन करना है। स्वास्थ्य विभाग में वैसे भी डॉक्टरों की भारी कमी है, वहीं अगर किसी डॉक्टर का तबादला किया भी जाये तो वे इसके लिए तैयार नहीं होते। आलम ये है कि कई डॉक्टर नौकरी तक छोड़ देते हैं या फिर VRS ले लेते हैं। ऐसे में विभाग की यह मज़बूरी हो जाती है कि उस डॉक्टर को संबंधित स्थान पर ही पदस्थ रखे। हालांकि विभाग में समय-समय पर चिकित्सा अधिकारियों की पदोन्नति और तबादले होते रहते हैं, मगर इसी बहाने कई डॉक्टर अपने पुराने जगह पर जाने के जुगाड़ में रहते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने आज सदन में यह भी स्वीकार किया कि विभाग में डॉक्टरों की भारी कमी है और अगर कोई डॉक्टर शासकीय सेवा के लिए तैयार हुआ तो उसे 24 घंटे के भीतर नियुक्ति दे दी जाएगी।