0 किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना ! यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट का कहना है कि देशभर में निर्माणों में तोड़फोड़ को लेकर गाइडलाइन जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा है कि कोई अगर दोषी भी करार दिया जा चुका है तो भी उसके घर नहीं तोड़े जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण को प्रोटेक्शन नहीं है, लेकिन डेमोलिशन एक्शन नियम के तहत ही हो सकता है। दिल्ली सहित अन्य राज्यों में हुए बुलडोजर के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बुलडोजर एक्शन हो, लेकिन…

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर चिंता जाहिर की है कि आरोपियों को सजा देने के लिए डेमोलेशन का सहारा लिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि कैसे किसी आरोपी के घर को डेमोलिश किया जा सकता है? यहां तक कि किसी दोषी करार दिए गए शख्स के घर को भी डेमोलिश नहीं किया जा सकता। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि अवैध कंस्ट्रक्शन को कोर्ट भी प्रोटेक्शन नहीं दे सकती है। इस मामले में कुछ गाइडलाइंस की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर के राज्यों के लिए क्यों न एक गाइडलाइंस बनाई जाए? जस्टिस गवई ने कहा कि अगर कोई अवैध निर्माण भी है तो भी डेमोलेशन की कार्रवाई कानून में तय नियम के तहत ही हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विश्वनाथन ने कहा है कि हो सकता है कि एक पिता का उदंड बेटा हो लेकिन इस आधार पर अगर घर को डेमोलिश किया जाता है तो फिर यह सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के सामने कई राज्यों से बुलडोजर एक्शन के खिलाफ गुहार लगाई गई है। मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन और राजस्थान के राशिद खान की ओर से याचिका दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों ने सुझाव दिया है कि शीर्ष अदालत इस मामले में गाइडलाइंस बनाए। इस मामले में तमाम सुझाव सीनियर एडवोकेट नचिकेता जोशी एकत्र कर कोर्ट के सामने पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो हफ्ते बाद के लिए टालते हुए कहा है कि इस मामले में जो मुद्दे उठाए गए हैं। इसके निपटारे के लिए कोशिश की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पैन इंडिया बेसिस पर मामले में गाइडलाइंस जारी किया जा सकता है।

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने दायर की है याचिका

सुप्रीम कोर्ट, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें आरोप लगाया गया है कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। अब इस केस की सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

क्या है जमीयत की दलील..?

दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में डेमोलिशन की कार्रवाई का मुद्दा उठाते हुए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि अप्रैल 2022 में कई डेमोलेशन किए गए। उन्होंने कहा कि हिंसा और दंगे में शामिल होने के आरोप लगाए गए और उन आरोपियों के घर अप्रैल 2022 में दंगे के बाद डेमोलिश किए गए। याची के वकील दवे ने पिछली सुनवाई में सितंबर 2023 में दलील दी थी कि हाल में समय में राज्यों की अथॉरिटी द्वारा उन लोगों के घर डेमोलिश की जा रही है जो किसी मामले में आरोपी हैं। दवे ने कहा था कि यह जीवन और लिबर्टी के अधिकार का हनन है और ऐसे में उनके घर को दोबारा बनाया जाए।

उदयपुर के पीड़ित ने बताई ये बात

वहीं एडवोकेट चंद्र उदय सिंह ने कहा कि उदयपुर में एक शख्स का घर इसलिए तोड़ा गया क्योंकि उसके किरायेदार का बेटा आरोपी था। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार का स्टैंड साफ है और सिर्फ किसी मामले के आरोपी होने भर से डेमोलेशन की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। किसी का कोई निर्माण इसलिए नहीं गिराया जा सकता है क्योंकि वह आपराधिक मामले में आरोपी है। याचिका में जिन मामलों को उठाया गया है, उनमें यूपी सरकार की ओर से पहले से ही अवैध निर्माण के मामले में कई नोटिस जारी हो चुका है और म्युनिसिपल लॉ का पालन करते हुए ही डेमोलेशन की कार्रवाई की गई है।

आरोप- पीड़ितों को बचने का मौका नहीं दिया

जमीयत के वकील फारूक रशीद का कहना है कि अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न करने और उन्हें डराने के लिए राज्य सरकारें घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर एक्शन को बढ़ावा दे रही हैं। अब तक हुए मामलों में पीड़ितों को बचने का मौका ही नहीं दिया गया।

किसी भी आरोपी की प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई क्योंकि उसने अपराध किया। आरोपी के अवैध कब्जों पर म्युनिसिपल एक्ट के तहत एक्शन लिया है- केंद्र सरकार