रायपुर। नवा रायपुर में पेड़ लगाने के नाम लगभग 15 करोड़ रूपए का बंदरबांट हुआ है। हैरानी की बात यह है कि नवा रायपुर में वृक्षारोपण की शुरूआत केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने की थी। इस कार्यक्रम में केवल केंद्रीय मंत्री ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई दिग्गज नेता भी शामिल हुए थे।
बता दें कि शहर को हरा-भरा बनाने नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने 41 हजार से ज्यादा पेड़ लगाने टेंडर जारी किया और टेंडर पाने वाले फर्म ने नियम-शर्तों का उल्लंघन करते हुए केवल खानापूर्ति की। नवा रायपुर के सड़क के किनारे स्तरहीन काम किया गया और पौधों को बिना ट्री गार्ड लगाए लापरवाहीपूर्वक छोड़ दिया गया।
नवा रायपुर में पेड़ लगाने के कार्य में गड़बड़ होने की शिकायत टीआरपी को मिली। टीआरपी की टीम इस बात की पुष्टि करने नवा रायपुर के सड़कों पर पहुंची, जहां पौधरोपण किया गया। इसकी हकीकत जानने टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि टेंडर के नियम-शर्तों की धज्जियां उड़ाते हुए आनन-फानन में पौधे लगाकर खानापूर्ति की गई है। टेंडर में बकायदा पौधों की हाइट तय की गई लेकिन टीम को इसमें भी खामियां मिली। सड़क किनारे लगे इन पौधों को मवेशी क्षति पहुंचा रहे हैं, यह तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। इतनी बड़ी अनियमितता बिना आधिकारिक सांठगांठ के मुमकिन प्रतीत नहीं होती है। यह जल्दबाजी क्यों की गई है, इस पर प्राधिकरण के जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है।
ट्री गार्ड, ड्रेनेज सिस्टम और पॉलिथीन के मापदंडों की अनदेखी
नवा रायपुर में हुए पौधरोपण कार्य में भारी अनियमितता देखने को मिली है। जल्दबाजी में पौधे रोपने के चक्कर में फर्म ने सभी मापदंडों की अनदेखी की है। पौधे लगाने के तुरंत बाद ट्री गार्ड नहीं लगाए गए और महज 10 से 12 दिनों में ही पौधों को क्षति पहुंची है। जबकि नियमानुसार पौधे लगाते समय ही स्पॉट पर ट्री गार्ड लगाना चाहिए ताकि पौधे सुरक्षित रहे।
15 करोड़ का टेंडर
नवा रायपुर के सड़कों में पौधे रोपने के लिए नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने जून के माह में साढ़े 14 करोड़ रूपयों से ज्यादा का टेंडर जारी किया। इस टेंडर में 41 हजार 500 से ज्यादा पौधों का रोपण किया जाना है। पौधे को चार केटेगरी में बांटकर इनकी हाइट निर्धारित की गई है, जिसमें पीपल, पारस पीपल, नीम, बरगद, जामुन, अशोक व अन्य बड़े पेड़ के पौधों की उंचाई 7 से लेकर 10 फीट की होनी चाहिए। वैसे ही सफेद चंपा, नाग चंपा, रातरानी, मौलश्री, कचनार के पौधों की उंचाई 5 से 7 फीट निर्धारित है। चंपा, गुलमोहर और कागज फूल के पांच प्रकार के पौधों की उंचाई 4 से 5 फीट तय है। वहीं, नीलकांता, मिनी गुलमोहर, हमेलिया- फायरबश, निकोडिया, टिकोमा जैसे पौधों की उंचाई 3 से 4 फीट तक निर्धारित की गई लेकिन मौके पर इन नियमों का पालन नहीं हुआ।
400 से 1200 की कीमत के पौधे
पौधरोपण के लिए जिन पौधों का निर्धारण नवा रायपुर अटल नगर प्राधिकरण द्वारा किया गया है, टेंडर में उनकी कीमत 400 से लेकर 1200 रूपए उल्लेखित है। नवा रायपुर के सड़क नंबर 2, 6, 9, 9ए, 9बी, 10, 11, 12 एवं अन्य स्पॉट पर कुल 41 हजार से ज्यादा पौधे लगाने का टेंडर है। अब 15 करोड़ के पूरे टेंडर में केवल पौधों की कीमत 2.80 करोड़ रूपए से अधिक की है। टीआरपी की टीम ने जब मौके पर जाकर इनकी हाइट नापी तो पौधे टेंडर के मापदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे।
एक्सपर्ट व्यू
टेक्निकल एक्सपर्ट से बात करने पर उन्होंने बताया कि पेड़ लगाने से पहले जमीन पर डेढ़ से दो फीट गढ्ढा खोदकर मिट्टी के साथ खाद डाला जाता है, उसके बाद पौधों का रोपण किया जाता है। पीपल और बरगद जैसे बड़े एक से ज्यादा पेड़ों 10 फीट से अधिक दूरी पर लगाया जाता है। पौधों पर ज्यादा से ज्यादा शाखाएं होने पर उसकी बढ़त अच्छी होती है।
इसके अलावा उनका कहना है कि पौधारोपण के लिए उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त होता है। इसके लिए 2×2 फीट, गहराई और चौड़ाई की गड्डे किए जाने चाहिए। खेत की मिट्टी के साथ सड़े गोबर खाद मिलाकर रोपण करना चाहिए। सूखे मौसम में प्रत्येक सप्ताह पानी देना चाहिए। ट्री गार्ड जानवर आदि से बचाव हेतु अनिवार्य लगाना चाहिए। अगर ये सभी व्यवस्था हो जाती है तो निश्चित ही पौधे जल्दी तैयार होंगे।
धन्यवाद
एनालिसिस
एक्सपर्ट व्यू और पौधरोपण की हकीकत की तुलनात्मक समीक्षा की जाए तो पौधे लगाते समय गढ्ढे खोदकर खाद डालने का काम नहीं किया गया है। इसके विपरीत पौधों को मुरूम-गिट्टी और कचरे-मलबे के बीच लगाया गया। पीपल और बरगद जैसे बड़े पेड़ों को लगाने टेंडर के नियमों की अनदेखी की गई और उन्हें भी पांच से सात फीट की दूरी पर लगा दिया गया। साथ ही पौधों को लगाते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पौधों में अधिक से अधिक शाखाएं हो लेकिन इन पौधों में एक ही तना दिखाई पड़ता है।
पौधों को एक लकड़ी के सहारे छोड़ दिया गया है। जबकि टेंडर के अनुसार पौधे लगाते समय ट्री गार्ड लगाया जाना चाहिए, जिसका पालन नहीं हुआ। परिणामस्वरूप 10 दिन पहले लगाए पौधों ने दम तोड़ दिया और कुछ को मवेशियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। ट्री गार्ड लगाने के नियम का पालन किया गया होता तो यह पौधे अब भी सुरक्षित होते।
इस मामले में जब एनआरडीए के आला अधिकारियों से संपर्क साधने की कोशिश की गई, मगर उनसे संपर्क नहीं हो सका।