रायपुर। नगर पंचायत लैलूंगा में पदस्थ मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) ममता चौधरी को राज्य शासन ने दूसरी बार सस्पेंड किया है। दोबारा निलंबन की यह कार्यवाही इस महिला अधिकारी की मनमानी हरकतों की वजह से की गई है, जिसकी प्रशासनिक महकमे में चर्चा है।

खरीदी में घोटाले के चलते हुई थी कार्रवाई

जानकारी के मुताबिक ममता चौधरी पर नगर पंचायत किरोड़ीमलनगर में प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी के रूप में पदस्थापना के दौरान वर्ष 2016-17 में अध्यक्ष एवं पार्षद निधि से डस्टबीन क्रय में अनियमितता का आरोप लगा था। इस मामले की जांच के बाद ममता चौधरी को निलंबित कर दिया गया।

वेतन से वसूली के दिए गए आदेश, मगर…

इस संबंध में शासन द्वारा जांच प्रमाणित पाये जाने के फलस्वारूप शासनादेश एफ-2-21/2018/18 दिनांक 25.01.2022 के द्वारा 6,15,751/- रूपये की आर्थिक क्षति की वसूली का निर्णय लिया गया था। साथ ही दो वेतन वृद्धि रोके गये थे। इस आदेश के साथ ही ममता चौधरी को प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद पर लैलूंगा में पदस्थापना दे दी गई। मगर ममता चौधरी द्वारा नगर पंचायत लैलूंगा में पदस्थापना के दौरान अपने पदीय दायित्वों का दुरूपयोग करते हुए शासनादेश 25.01.2022 द्वारा अधिरोपित दण्डादेश की अवहेलना करते हुए अपने वेतन से आर्थिक क्षति की राशि की कटौती नही की गई। और माह मार्च 2024 से माह जुलाई 2024 तक सम्पूर्ण वेतन का आहरण किया गया ।

समीक्षा बैठक में दी गलत जानकारी

27 सितंबर 2024 को आयोजित समीक्षा बैठक में नगर पंचायत की समीक्षा में सीएमओ की तरफ से आय-व्यय की गलत जानकारी प्रस्तुत की गई। वहीं निकाय के कर्मचारियो का अगस्त 2024 से लंबित वेतन भुगतान नहीं करने, शासन के निर्देशानुसार लक्ष्य अनुरूप कम वसूली करने एवं निर्माण कार्यों मे संतोषजनक प्रगति नहीं पाये जाने, स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत निर्देशों के अनुरूप मार्निंग फिल्ड विजिट नहीं करने एवं लापरवाही करने तथा उच्च कार्यालय के आदेशों के अवहेलना का आरोप था।

जांच के बाद किया गया निलंबित

भ्रष्टाचार सहित अन्य मामलों में आरोप के बाद राज्य सरकार ने जांच टीम गठित की, जांच रिपोर्ट के आधार ममता चौधरी के उक्त कृत्य को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966, छत्तीसगढ़ नगरपालिका कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा शर्ते) नियम 1968 के विपरीत और शासन के आदेश की अवहेलना के मामले में दोषी पाते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबन अवधि में ममता चौधरी का मुख्यालय संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास, क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर नियत किया है। निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता नियमानुसार होगी।

दोबारा उसी पद पर पोस्टिंग आपत्तिजनक

सहायक ग्रेड 2 के पद से किरोड़ीमल नगर जनपद की CMO बनाई गई ममता चौधरी को घोटाले के आरोप में निलंबित करने के साथ ही उसकी दो वेतन वृद्धि रोक दी गई थी। इसके बाद कायदे से उसे मूल पद पर वापस पदस्थ किया जाना था, मगर जिम्मेदार अधिकारियों ने उसे उपकृत करते हुए दोबारा CMO के पद पर लैलूंगा जनपद में पदस्थ कर दिया। इतना ही नहीं घोटाले की रकम की वसूली की जिम्मेदारी इसी अधिकारी को दे दी गई और फिर कभी यह जानने की कोशिश नहीं की गई कि उसके वेतन से राशि की कटौती हो रही है या नहीं। ऐसा करके इस महिला अधिकारी को खुली छूट दे दी गई। ऐसा क्यों किया गया इसकी भी जांच करके जिम्मेदार अधिकारीयों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए।

जानिए डस्टबीन घोटाले के बारे में…

किरोड़ीमल नगर पंचायत में डस्टबिन खरीदी में 28 लाख रुपए की गड़बड़ी का आरोप ममता चौधरी पर लगा था। इस मामले में राज्य सरकार ने छह साल पहले भी प्रभारी सीएमओ ममता चौधरी को निलंबित कर दिया था। अभी ममता चौधरी सहायक ग्रेड 2 के पद पर घरघोड़ा नगर पंचायत में पदस्थ थी, जिसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने सहायक ग्रेड 2 ममता को किरोड़ीमल नगर पंचायत का प्रभारी सीएमओ बनाया था। उस दौरान स्वच्छ भारत अभियान के तहत नगर पंचायत के सभी वार्डों के लिए डस्टबिन खरीदी की जानी थी।

प्रभारी सीएमओ ने मनमानी करते हुए बिना भंडार क्रय नियम का पालन किए 28 लाख रुपए की सफाई सामग्री बिना टेंडर के एक ही फर्म से खरीद लिया। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने शिकायत तत्कालीन कलेक्टर से की थी। कलेक्टर ने नगर निगम के तात्कालीन उपायुक्त पीएन पटनायक के नेतृत्व में 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी। जांच में गड़बड़ी होने की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद कलेक्टर ने कार्रवाई के लिए नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव को पत्र लिखा था। करीब एक साल बाद नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव एचआर दुबे ने निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में ममता चौधरी को संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन के क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर में अटैच किया गया है।