रायपुर। छत्तीसगढ़ के मेडिकल, डेंटल कॉलेजों में सुप्रीम कोर्ट के 24 सितंबर के फैसले के बाद भी NRI के कोटे से 45 एडमिशन कर दिए गए हैं। कांग्रेस पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राकेश गुप्ता द्वारा इस पर आपत्ति जताये जाने के बाद आयुक्त चिकित्सा शिक्षा ने ऐसे छात्र-छात्राओं के दस्तावेज और पूरी प्रक्रिया की जांच करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अपात्र पाए जाने पर एडमिशन निरस्त करने को कहा गया है। इस कोटे के सभी छात्रों को शासकीय मेडिकल कॉलेज में अपने दस्तावेजों की जांच के लिए जाने को कहा गया है ।

फीस के श्रोत की जांच की मांग

प्रदेश कांग्रेस कमेटी चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ.राकेश गुप्ता ने मांग की है कि जितने भी अप्रवासी भारतीयों (NRI) के कोटे से छात्रों को प्रवेश की लिस्ट जारी हुई है, उनकी वंशावली की जांच की जाए, उनके बैंक खाते में आई हुई विदेशी मुद्रा की फीस के स्रोत की जांच की जाए और सचिव स्तर की निगरानी कमेटी से उनके सभी प्रमाण पत्र की जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि संबंधित अप्रवासी भारतीय छात्र की फीस के स्रोत की जांच जरूरी है, क्योंकि फर्स्ट राउंड के बाद के सभी एडमिशन कैंसिल होने चाहिए। 24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है। विभाग से जारी यह लिस्ट ही बता रही है कि 24 सितंबर के बाद 45 एडमिशन हुए हैं, जो कैंसिल होने चाहिए। डॉ गुप्ता ने इन एडमिशन के पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना होने की बात कही है।

”24 के बाद की NRI कोटे की भर्ती रोकी जाये”

पंजाब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि केवल नजदीक रक्त संबंधी को NRI कोटे में मेडिकल कॉलेजों में एडमीशन दिया जा सकता है। कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह आवश्यक हो जाता है कि सरकार नई नियमावली का नोटीफिकेशन जारी करे, ताकि योग्य विद्यार्थियों का एडमीशन मेरिट के आधार पर हो सके। डॉ गुप्ता ने आरोप लगाया कि मुनाफाखोरी और निजी महाविद्यालयों के दबाव में भाजपा सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी कर रही है।

उन्होंने कहा कि 24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के पश्चात छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी चल रही भर्ती प्रक्रिया को रोक कर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए था, मगर 27 सितंबर तक भर्ती प्रक्रिया चलती रही। उन्होंने कहा कि 24 सितंबर के बाद काउंसलिंग की जारी लिस्ट के एनआरआई कोटे के 45 बच्चों के दस्तावेज सत्यापन करने के निर्देश राज्य सरकार ने जारी किये हैं, जो गलत है। सरकार 24 सितंबर के बाद के सभी एडमीशन की प्रक्रिया को निरस्त करें।

महाधिवक्ता से मांगी गई है राय

कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी चिकित्सा प्रकोष्ठ द्वारा मीडिया के माध्यम से और बाद में पत्र लिखकर मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं काउंसलिंग कमेटी सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संबंध में ध्यान आकर्षित करते हुए तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया था। इस पत्र के मीडिया में आने के बाद राज्य सरकार हरकत में आई और इस संबंध में महाधिवक्ता की राय 10 और 13 अक्टूबर को दो पत्र भेज कर मंगाई गई, महाधिवक्ता कार्यालय से पत्र, सचिव, स्वास्थ्य विभाग को जानकारी के अनुसार राज्य सरकार को 16 अक्टूबर को प्राप्त हो गया है।

फैसले को लेकर नोटिफिकेशन जारी नहीं करने पर आपत्ति

डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश एवं इस संबंध में महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा स्पष्ट राय के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी न किया जाना एक गंभीर मिली भगत एवं भारी भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनआरआई कोटे में नियम विरुद्ध प्रवेश भाजपा सरकार का संगठित घोटाला है, सरकार इस पर तत्काल रोक लगाते हुये न्यायालय द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुरूप नई नियमावली जारी करें और उसी के आधार पर प्रवेश की प्रक्रिया हो।