0 यह मुद्दा उठाने वाले डॉ राकेश गुप्ता ने कहा – NRI कोटे के छात्रों के सर्टिफिकेट और फीस के श्रोत की जांच की मांग पर वे अब भी कायम

रायपुर। छत्तीसगढ़ में NRI कोटे के विवाद में उलझे छात्रों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के 24 सितम्बर के फैसले के बाद इस कोटे से हुए प्रवेश को लेकर महाधिवक्ता ने जो अभिमत दिया था उसे हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जो भी प्रवेश हुए हैं वो भर्ती के पुराने नियम के तहत हुए हैं। सरकार पहले नया नियम बनाये फिर उसे लागू करे। इस सत्र में भर्ती प्रक्रिया के समय लागू NRI की परिभाषा से ही भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी।

NRI के रिश्तेदार की परिभाषा को लेकर है आपत्ति

दरअसल NRI कोटे से मेडिकल में एडमिशन को लेकर रिश्तेदार की जो व्याख्या की गई है, उसे पहले पंजाब हाई कोर्ट ने फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी ख़ारिज कर दिया। इसी के परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने आपत्ति जताई कि 24 सितम्बर को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद NRI कोटे के तहत हुए एडमिशन को रद्द कर NRI के वास्तविक रिश्तेदारों को ही इस कोटे का लाभ दिया जाये।

मामला पहुंच गया सीजी हाई कोर्ट

इस बीच यह मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पहुंच गया और याचियों द्वारा वर्तमान नियमों के तहत हुए NRI कोटे के प्रवेश को गलत ठहराए जाने का विरोध किया गया। हाई कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली पीठ में हुई जिसमें बताया गया कि इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने NRI कोटे के तहत सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सन्दर्भ में हाई कोर्ट के महाधिवक्ता का अभिमत मांगा था, और उनकी राय के आधार पर ही मेडिकल कॉलेज में 24 सितम्बर के बाद प्रवेश लेने वाले NRI कोटे के छात्रों को अपने दस्तावेजों की जांच का निर्देश दिया गया था।

बचाव पक्ष ने नियम को लेकर की ये आपत्ति

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह बताया गया कि, राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव ही नहीं किया है और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में कार्यवाही कर रही है। इनके द्वारा यह भी बताया गया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद यह व्यवस्था लागू कर दी कि, जिनकी भर्ती 22 सितंबर 24 के पहले एनआरआई कोटे के विस्तारित परिभाषा के तहत हुई है उसे मान्य किया जाएगा, इस तिथि के बाद की भर्ती में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार एनआरआई के रिश्तेदारों का संक्षिप्त रूप मान्य होगा और उनकी ही भर्ती होगी जो एनआरआई की संक्षिप्त परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। यह याचिकाएं इस नियमावली का विरोध करती हैं।

हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाओं को स्वीकर करते हुए कहा-“छत्तीसगढ़ सरकार पहले NRI कोटे से संबंधित नियम बदले, और फिर उसे प्रभावी करे। भर्ती प्रक्रिया जब शुरु हुई तब जो नियम था उसके अनुसार ही भर्ती की जाये और नए शैक्षणिक सत्र से NRI की परिभाषा के नए नियम (जो कि राज्य सरकार बदलेगी/बनाएगी ) के अनुरूप भर्ती करे।”

हाईकोर्ट के आदेश के बाद वर्तमान सत्र में एनआरआई के दायरे में आने वाले विस्तृत लोग के रिश्तेदार लाभान्वित हो सकेंगे। जिसके बाद यह तय है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत अगले स्तर से NRI कोटे के दायरे में आने वाले लाभार्थियों के लिए नए नियम बनाएगी।

‘NRI भर्ती में धांधली होनी चाहिए उजागर’

कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक डॉ राकेश गुप्ता ने TRP न्यूज़ से चर्चा में कहा कि हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसका पालन किया जाना चाहिए, मगर उन्होंने NRI कोटे के नियम का लाभ उठाते हुए किये जाने वाले फर्जीवाड़े का जो मुद्दा उठाया है, उस संबंध में जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि NRI कोटे के तहत छात्रों द्वारा जो प्रमाण पत्र जमा किया जाता है, उसकी कभी जांच नहीं की जाती है। असल पेंच यहीं पर होता है। इस फर्जीवाड़े में शामिल गिरोह सुनियोजित ढंग से छात्रों को किसी NRI का रिश्तेदार बना देता है और इसके एवज में मोटी रकम का लेनदेन हो जाता है। वहीं दूसरी ओर जो प्रशासनिक अधिकारी NRI के रिश्तेदार का प्रमाण पत्र देते हैं वे भी इनके दावे की पूरी जांच नहीं करते। इस तरह NRI की ओर से जिस रकम का आना बताया जाता है उसमें भी काफी हेराफेरी होती है।

लाभान्वित सही थे तो जांच में क्यों नहीं आये..?

डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 24 सितंबर के बाद NRI कोटे से एडमिशन लेने वाले 45 छात्रों को 3 दिनों के भीतर अपने दस्तावेजों की जांच कराने का निर्देश दिया था, मगर इस दौरान कोई भी छात्र मेडिकल कॉलेजों में नहीं पहुंचा। डॉ गुप्ता ने सवाल उठाया कि अगर ये छात्र सही थे तो जांच समिति के समक्ष उपस्थित क्यों नहीं हुए ? उन्होंने कहा कि इसमें धांधली हो सकती है, इसलिए NRI कोटे के छात्र वास्तव में संबंधित NRI के रिश्तेदार हैं या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए, साथ ही संबंधित NRI से फीस के रूप में स्पॉन्सरशिप की जो राशि आयी है उसकी भी गंभीरता से जांच होनी चाहिए।

बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेजों ने NRI कोटे की आड़ में होने वाले प्रवेश में हर वर्ष करोड़ों का खेल हो जाता है। आरोप है कि इस कोटे के तहत अधिकांश छात्र NRI के फर्जी रिश्तेदार होते हैं और उनकी ओर से स्पॉन्सरशिप राशि दिए जाने की जो जानकारी दी जाती है उसमे भी फर्जीवाड़ा होता है। इस तरह की गड़बड़ियों की अगर गंभीरता से जांच हो जाये तो इसका गलत तरीके से लाभ उठाने वाले प्रवेश से बाहर हो जायेंगे और वास्तविक लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा।