बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के कोरिया वनमंडल में बाघ को जहर देकर मारने के मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जवाब तलब किया है। चीफ जस्टिस ने इस मामले को पूर्व के पीआईएल में मर्ज करने को कहा है। उधर बाघ की मौत के बाद वन विभाग के अफसर घटना स्थल पहुंचकर दो किलोमीटर के दायरे में रह रहे लोगों से पूछताछ करने में जुटे हैं।

गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व एरिया से लगे जंगल में बीते दिनों एक टाइगर की मौत हो गई थी। वन विभाग ने पीएम रिपोर्ट के बाद बताया कि मौत का कारण जहरखुरानी है। सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

बीते शुक्रवार को वन अफसरों को गुरु घासीदास नेशनल पार्क से सटे एरिया में ग्रामीणों के माध्यम से मृत बाघ के बारे में जानकारी मिली थी। बाघ की बॉडी 2-3 दिन पुरानी थी। घटना की सूचना पाकर कोरिया डीएफओ, गुरु घासीदास नेशनल पार्क के डायरेक्टर, सीसीएफ सरगुजा सहित वन अफसर मौके पर पहुंचे। बाघ का पोस्टमार्टम कराने पर रिपोर्ट में उसे जहर देकर मारने की पुष्टि हुई है।

चीफ जस्टिस ने जताई नाराजगी

नाराज चीफ जस्टिस ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जाारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि छत्तीसगढ़ में टाइगर की यह दूसरी मौत है, टाइगर हिन्दुस्तान में जल्दी मिलता भी नहीं है। जो है उसे संरक्षित और सुरक्षित भी नहीं कर पा रहे हैं। वाइल्ड लाइफ नहीं बचा पाएंगे, जंगल नहीं बचा पाए तो क्या करेंगे, क्या बचेगा।

मवेशी मालिक पर जहर देने का शक

वन अमले द्वारा बाघ को बदले की भावना से जहर देने की आशंका जताई जा रही है। उनका मानना है कि बाघ द्वारा मवेशी के शिकार करने से मवेशी मालिक आक्रोशित हो गया होगा और उसने बाघ को मारने मवेशी के शेष बचे मांस में जहर मिला दिया होगा।

संदेहियों से हो रही पूछताछ

बताया जा रहा है कि घटना के पूर्व बाघ ने कहां-कहां विचरण किया, बाघ ने जिस जगह मवेशी का शिकार किया, उस जगह पहुंचकर मवेशी के बचे शेष मांस में किसने जहर मिलाया। इसकी जांच गोमर्डा अभयारण्य से आई डॉग स्क्वाड की टीम ने की है। संदेह के आधार पर वन विभाग के अफसर कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रहे हैं।