भोपाल। मध्यप्रदेश की सरकार में मंत्री रामनिवास रावत जिस विधासभा क्षेत्र से 6 बार चुनाव जीते, उनके इस्तीफे से खाली हुई उसी सीट से वह चुनाव हार गए। इसके बाद उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। रामनिवास रावत मध्य प्रदेश सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री थे।

कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते, फिर…

गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में रामनिवास रावत ने विजयपुर विधानसभा सीट जीती थी। इसके बाद अप्रैल में वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और वन मंत्री बन गए। विजयपुर से विधायक पद से उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हो गई और उपचुनाव की नौबत आ गई। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव कैबिनेट का जब विस्तार हुआ तब रामनिवास रावत ने मंत्री पद की शपथ ली। वह श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से छठवीं बार विधायक चुने गए थे।

भाजपा के लिए बड़ा झटका

23 नवंबर को आए मध्य प्रदेश उपचुनाव के नतीजों में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। अपनी सत्ता होते हुए भी पार्टी अपने प्रत्याशी को नहीं जीता सकी।

विजयपुर की जनता ने हर बार की तरह कद्दावर कांग्रेस नेता रामनिवास रावत को पिछली बार भी विधायक चुनकर विधानसभा में भेजा, मगर उन्होंने चंद महीने में ही भाजपा की राह पकड़ ली। भाजपा ने उन्हें तोहफे में मंत्री की कुर्सी दे दी। हालांकि दलबदल के चलते रावत को विधानसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी थी। उन्हें पूरा विश्वास था कि वे अपनी सीट विजयपुर से फिर विजय हासिल कर लेंगे। लेकिन वहां की जनता ने इस बार उनकी बजाय कांग्रेस के नए प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा की जीत पर मुहर लगा दी। यह चुनाव रावत को भारी पड़ा और उन्हें मंत्रिपद की कुर्सी भी छोड़नी पड़ी।

रामनिवास रावत की हार के 5 बड़े कारण

प्रचार से सिंधिया की दूरी

रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। जब वह कांग्रेस में थे तब उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता था। रावत भाजपा में आए और उपचुनाव हुए तो प्रचार से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दूर रहे। इस क्षेत्र में सिंधिया का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। कई समर्थकों ने सोशल मीडिया पर सिंधिया को प्रचार के लिए नहीं भेजने पर सवाल भी खड़े किए थे।

वोटिंग से पहले हिंसा

13 नवंबर को हुए मतदान के दिन विजयपुर में बहुत हंगामा हुआ था। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने आदिवासियों पर हमले किए थे। डाकुओं का इस्तेमाल करके उन पर गोलियां चलवाईं गईं। अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ी गई। आदिवासियों-दलितों के गांव पर हमला किया गया। आरोप यह भी था कि आदिवासियों को मतदान करने करने से रोका गया।

आदिवासी बाहुल्य है यह इलाका

विजयपुर विधानसभा में सहरिया आदिवासियों की अच्छी खासी संख्या है। यहां कुल 60 हजार से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं। कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा खुद आदिवासी समाज से आते हैं, जबकि रामनिवास रावत ओबीसी समाज से आते हैं। आदिवासी फैक्टर को इस बात से समझ सकते हैं कि 2023 विधानसभा चुनाव में मुकेश मल्होत्रा निर्दलीय लड़कर तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें कुल 44128 वोट मिले थे।

कांग्रेस का गढ़

विजयपुर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। 1990 के बाद से कांग्रेस रामनिवास रावत कांग्रेस के टिकट पर जीतते हुए आ रहे थे। हालांकि उन्हें 1998 और 2018 विधानसभा चुनाव रामनिवास रावत हार का सामना करना पड़ा। साल 2023 में भी रावत ने कांग्रेस के ही टिकट पर चुनाव जीता था।

कांग्रेस की ठोस रणनीति

रामनिवास रावत के दलबदल के बाद कांग्रेस ने इस सीट को साख का मुद्दा बना लिया था। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने खुद इस सीट पर काफी मेहनत की। उन्होंने घर-घर जाकर प्रचार किया। इसके अलावा कांग्रेस की पूरी युवा टीम को मुकेश मल्होत्रा के समर्थन में उतार दिया।

हार की समीक्षा करेगी भाजपा

छह बार विधायक रह चुके रामनिवास रावत के अपने गढ़ विजयपुर में हारने के बाद मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि पार्टी उपचुनाव के नतीजों की समीक्षा करेगी। शनिवार शाम को नतीजे घोषित होने के बाद वे पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने माना कि शुरू से ही विजयपुर का चुनाव कठिन माना जा रहा था। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पार्टी गलतियों की समीक्षा करेगी और अगली बार सीट जीतेगी।