बिलासपुर। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निवास पर अपने गांव की मूलभूत समस्या को लेकर पहुंचने के बाद देश भर में चर्चित हुए महासमुंद जिले के सरपंच शत्रुहन चेलक की बर्खास्तगी पर रोक लग गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में स्टे दे दिया।
वित्तीय गड़बड़ी का लगाया था आरोप
महासमुंद जनपद के ग्राम पंचायत बंबूरडीह के सरपंच शत्रुहन चेलक को अनुविभागीय दंडाधिकारी (SDM) ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत बर्खास्त कर दिया था। दरअसल प्रशासन के निर्देश पर सरपंच चेलक के कार्यकाल में हुए निर्माण कार्यों की जांच की गई थी। आनन-फानन में जांच कराये जाने के बाद प्रतिवेदन के आधार पर SDM ने चेलक पर 16 लाख 70 हजार रूपये की वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए इस मामले की अपने कोर्ट में सुनवाई की। इस दौरान सरपंच द्वारा अपने कार्यकाल को लेकर रखे गए तथ्यों की पुष्टि किये बिना ही उसे बर्खास्त करने का फैसला सुना दिया गया, साथ ही उसे 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित भी कर दिया।
निर्माण पूरा पर जांच में बताया अधूरा
सरपंच शत्रुहन चेलक ने बताया कि उसने SDM के कोर्ट में तथ्य रखते हुए सबूत पेश किये और बताया कि जांच में जिन निर्माण कार्यों को अधूरा बताया गया, वह तो उसने पूरा कर दिया है, वहीं कुछ कार्य बारिश के चलते पूरे होने में विलंब हुए हैं। SDM न्यायालय में सुई बहस के दौरान जांच अधिकारी ने अपने बयान में यह स्पष्ट कर दिया कि उसने केवल मौखिक आदेश पर ग्राम पंचायत में जाकर जांच की और उसने गांव में हुए निर्माण कार्यों का अवलोकन भी नहीं किया है। SDM ने इस मामले में आधी-अधूरी जांच के बावजूद सरपंच चेलक को पद से बर्खास्त करते हुए उसे 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा दिया।
हाईकोर्ट की शरण ली सरपंच ने
अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ बंबूरडीह के सरपंच शत्रुहन चेलक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान उसका पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सुनील साहू ने कोर्ट को बताया कि जांच की प्रक्रिया पूरी किये बिना, वित्तीय अनियमितता साबित हुए बिना ही सरपंच चेलक को इसलिए बर्खास्त कर दिया गया कि वह अगला चुनाव लड़ नहीं पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि SDM ने इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया है।
कोर्ट ने इस मामले में हुई सुनवाई के बाद शासन को अपना पक्ष रखने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और सरपंच की बर्खास्तगी पर स्टे लगा दिया है।
जनपद CEO ने लगाया था कैविएट..!
हाईकोर्ट में चल रहे इस मामले का खास पहलु यह रहा कि महासमुंद जनपद सीईओ ने कोर्ट में इस बात के लिए कैविएट दायर किया कि सरपंच चेलक को मामले में स्टे नहीं दिया जाये। इस तरह के मामले में अमूमन अधिकारी अपनी तरफ से कोई कैविएट दायर नहीं करते मगर प्रशासन का पूरा प्रयास था कि सरपंच की बर्खास्तगी पर स्टे नहीं लगे। हालांकि यह प्रयास विफल रहा।
गडकरी की चौखट पर जाना पड़ा महंगा
दरअसल ग्राम बंबूरडीह के सरपंच शत्रुहन चेलक कुछ माह पूर्व अपने गांव की सड़क की समस्या को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के निवास पर लोटते हुए पहुंचा और उनके कार्यालय में अपना ज्ञापन सौंपा। चेलक ने बताया कि उसके लाख प्रयास के बावजूद गांव की कच्ची सड़क आज तक पक्की नहीं बनी। जिसके चलते वह केंद्रीय मंत्री गडकरी के पास अपनी फरियाद लेकर पंहुचा था।
अपने इस अनूठे प्रयास के चलते शत्रुहन चेलक खबरों में सुर्खियां बना। इस प्रयास के बाद भी जनपद पंचायत ने सड़क पर ध्यान नहीं दिया। इस बीच सरपंच चेलक ने गांव के स्कूल तक पहुंचने वाली कच्ची कीचड़ भरी सड़क पर छात्राओं के साथ मिलाकर धान की फसल बोकर सांकेतिक किरोध किया। चेलक का आरोप है कि उसके इस तरह के प्रयासों से अधिकारी नाराज हुए और पंचायत कानून के तहत मिले अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए उसे बर्खास्त कर दिया गया। उसे फिलहाल हाईकोर्ट से स्टे मिल गया है। उम्मीद है कि कोर्ट उसके साथ न्याय करेगा।