0 कॉलेज के लिए मांगी गई जमीन बिल्डर को आबंटित कर दिए जाने का मामला
रायपुर। राजधानी के अमलीडीह इलाके में सरकारी कॉलेज के लिए आरक्षित जमीन बिल्डर को आबंटित करने के मामले में खुलासे होते जा रहे हैं। स्थानीय भाजपा विधायक मोतीलाल साहू ने बताया है कि संबंधित जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई है, मगर केवल आबंटन आदेश के आधार पर लेआऊट एप्रूव कर दिया गया। आरोप यह भी लग रहा है कि जमीन आबंटन से लेकर लेआऊट एप्रूव करने की प्रक्रिया से जुड़े तथाकथित नेताओं और अफसरों को रामा बिल्डकॉन के प्रोजेक्ट में प्लॉट दिए गए हैं। इसी मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने तो इस प्रोजेक्ट में प्लॉट लेने वाले अफसरों-नेताओं के नाम सार्वजनिक करने की बात कही है।
अमलीडीह कॉलेज जमीन विवाद पर रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू ने आरोप लगाया है कि मामले में अफसरों को उपकृत करके सरकारी जमीन का आबंटन करा लिया गया है। वे अमलीडीह में सरकारी जमीन को कॉलेज के लिए आबंटित करने के लिए लगातार पत्र लिख रहे थे। उन्हें सरकारी प्रयोजन के लिए विभागों से एनओसी नहीं मिल पाई लेकिन एक निजी व्यक्ति को राजस्व अफसरों ने एनओसी दे दी। यह कैसे संभव हुआ ये अच्छी तरह समझा जा सकता है।
राजस्व विभाग की प्रक्रिया के बिना ले आउट कैसे..?
मोतीलाल साहू ने कहा कि अमलीडीह में उक्त जमीन पर कॉलेज का निर्माण हो, इसके लिए वे प्रयासरत हैं। अमलीडीह में 9 एकड़ सरकारी जमीन पहले रामा बिल्डकॉन को आबंटित की गई, और फिर लेआऊट भी एप्रूव हो गया। जबकि लेआऊट एप्रूव करने के लिए राजस्व विभाग और नगर निगम से एनओसी लेना होता है। मजे की बात ये है कि जमीन की अब तक रजिस्ट्री भी रामा बिल्डकॉन के नाम पर नहीं हुई है। ऐसे में अगर लेआऊट एप्रूव हो गया है तो राजस्व और नगर निवेश विभाग व नगर निगम के अफसरों का घेरे में आना लाजिमी है।
‘नेताओं और अफसरों ने लिए हैं प्लाट’
आरटीआई कार्यकर्त राकेश चौबे ने इस मामले में दावा किया है कि कई नेताओं और अफसरों ने रामा बिल्डकॉन के प्रोजेक्ट में प्लॉट लिए हैं। उन्होंने बताया कि बिल्डर को सरकारी जमीन आबंटित करने की प्रक्रिया ही गलत थी। पूर्व में कांग्रेस की सरकार के दौरान जो नियम लागू किया गया था, उसकी प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया। जबकि सरकारी जमीन के आबंटन के लिए पहले नीलामी होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस पूरे मामले से जुड़े कई दस्तावेज उनके पास हैं। इसकी वे शिकायत करेंगे, और वे अदालत में जाने की भी तैयारी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अमलीडीह कॉलेज की जमीन बिल्डर को देने के मामले में रायपुर नगर निगम के पार्षदों ने भी मोर्चा खोल दिया है। एमआईसी की बैठक में यह मामला जोर-शोर से उठा था। इस मामले में ग्रामीणों के आव्हान पर अमलीडीह मंगलवार को बंद रहा, और अब स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी भी इस मामले को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं अगर उनमें सत्यता है तो यह बात तय है कि बिल्डर को जमीन आबंटित करने में नियमो का माखौल उड़ाया गया है और कॉलेज के लिए जमीन मांगे जाने जैसे जनहित के मुद्दे को अफसरों ने दरकिनार कर दिया है।