रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाला मामले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर की जमानत रद्द कर दी। सूत्रों के अनुसार, जिस मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ढेबर को जमानत मिली थी, वह कोर्ट में फर्जी साबित हुई।

जुलाई में हाईकोर्ट ने ढेबर को किडनी और गॉलब्लैडर में स्टोन के आधार पर अंतरिम जमानत दी थी। इस रिपोर्ट पर शक होने के बाद डीकेएस अस्पताल के गैस्ट्रो सर्जन डॉ. प्रवेश शुक्ला को गलत रिपोर्ट तैयार करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया।
क्या था पूरा मामला, जानिए…
घोटाले के आरोप में जेल में बंद ढेबर को 8 जून 2024 को इलाज के लिए DKS अस्पताल लाया गया था। वहां उसे इलाज के बाद एक मेडिकल रिपोर्ट सौंपी गई, जिसके आधार पर जुलाई में उसे हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस जमानत को रद्द कर दिया है।

8 अगस्त 2024 को डॉ. शुक्ला की बर्खास्तगी का आदेश जारी हुआ था, जिसमें स्पष्ट किया गया कि आरोपी को जानबूझकर ओपीडी पर्ची में एंडोस्कोपी नहीं होने की बात लिखी गई थी, ताकि उसे आपराधिक प्रवृत्ति से बचाया जा सके।
ढेबर को 8 जून 2024 को रायपुर सेंट्रल जेल से इलाज के लिए DKS अस्पताल लाया गया था, जहां उसकी एंडोस्कोपी होनी थी। हालांकि, डॉ. प्रवेश शुक्ला ने ओपीडी पर्ची में यह गलत सूचना दी कि DKS अस्पताल में एंडोस्कोपी नहीं होती। जब इस बात का खुलासा हुआ, तो जुलाई में डॉक्टर से जवाब मांगा गया।
खराब उपकरणों का दिया हवाला
डॉ. शुक्ला ने जवाब में कहा कि 8 जून को अस्पताल में जो एंडोस्कोपी हुई, वे यूको एंडोस्कोपी और पीडियाट्रिक एंडोस्कोपी थीं, जो एडल्ट कोलोनोस्कोपी से अलग होती हैं। शुक्ला ने यह भी दावा किया कि DKS अस्पताल में सर्जिकल गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी डिपार्टमेंट का एंडोस्कोपी उपकरण खराब था, जिससे एडल्ट एंडोस्कोपी नहीं हो पा रही थी। इसके चलते आरोपी को सीटी स्कैन की सलाह दी गई, लेकिन क्रिएटिनिन का स्तर अधिक होने के कारण यह नहीं हो पाया। इसके बाद उसे दूसरे सरकारी अस्पताल से कोलोनोस्कोपी कराकर ओपीडी में दिखाने के लिए कहा गया था।