नई दिल्ली। कानून के स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद पीजी याने LLM में एडमिशन के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा CLAT PG-2025 में व्याप्त खामियों के उजागर होने के बाद दो छात्र सुप्रीम कोर्ट चले गए। कोर्ट ने 9 दिसंबर को दोनों पक्षों को सुना और याचिका स्वीकार करने से इंकार करते हुए पहले हाईकोर्ट जाने को कहा है।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ पीजी प्रवेश के लिए हाल ही में आयोजित CLAT के लिए जारी अनंतिम उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।सीजेआई ने मामले में नोटिस जारी करने से इंकार कर दिया, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को प्रथम दृष्टया अदालत नहीं बनाया जा सकता है और याचिकाकर्ताओं को पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कैसे पहले सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण परीक्षा परिणाम जारी करने में भारी देरी हुई है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को उचित उपाय के लिए हाईकोर्ट से संपर्क करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

जानें, क्या है मामला…

दरअसल CLAT PG-2025 की परीक्षा 1 दिसम्बर को आयोजित की गई। जारी टाइम लाइन के मुताबिक 2 दिसंबर को प्रोविजनल आंसर-की जारी करने और उसके बाद परीक्षार्थियों की प्रश्न-उत्तर को लेकर दावा-आपत्ति के बाद अंतिम आंसर-की 9 दिसंबर और नतीजे 10 दिसंबर को जारी करने की घोषणा की गई थी। मगर कन्सोर्टियम ने बिना नोटिफिकेशन 7 दिसंबर को फाइनल आंसर-की के साथ ही रात 11 बजे अंतिम परिणाम जारी कर दिया।

प्रोविजनल आंसर की में थी कई तरह की गलतियां

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में एलएलएम प्रवेश के लिए परीक्षा में उपस्थित होने वाले याचिकाकर्ताओं ने 1 दिसंबर को कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज द्वारा आयोजित CLAT 2025 परीक्षा के आयोजन में विभिन्न खामियों का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि 2 दिसंबर को जारी प्रोविजनल आंसर की में कई तरह की गलतियां हैं और 12 सवालों के गलत जवाब दिए गए हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि इसमें 21 सवालों के गलत आंसर लिखे हुए थे। कंसोर्टियम ने पोर्टल पर जारी सूचना में बताया गया था कि स्टूडेंट्स 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से शिकायत दर्ज करवा सकते हैं, लेकिन इसकी कोई अंतिम तारीख जारी नहीं की गई। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अनंतिम उत्तर कुंजी पर आपत्तियां लेने के लिए उम्मीदवारों को केवल एक दिन का समय दिया गया था और ऑनलाइन पोर्टल 3 दिसंबर को शाम 4 बजे बंद कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका के चलते मची हलचल

दरअसल क्लैट की इस परीक्षा के बाद जब आंसर जारी किये गए तब उसमे कई के जवाब गलत नजर आये। वहीं जब स्टूडेंट्स को दावा आपत्ति के लिए समय नहीं दिया गया और पोर्टल को 3 दिसंबर की शाम को बंद कर दिया गया। तब इनके पास कोर्ट ही एकमात्र रास्ता रह गया। चूंकि यह परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर हुई थी इसलिए प्रभावितों ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मामले में रायपुर निवासी अनम खान और इंदौर के आयुष अग्रवाल की तरफ से अधिवक्ता मानसी भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में 6 दिसंबर को याचिका लगाई। इसमें प्रश्नोत्तरी में व्याप्त खामियां गिनाई गई साथ ही यह भी बताया गया कि प्रति आपत्ति 1000 रूपये की राशि भी काफी ज्यादा है। याचिका दायर होने के बाद कोर्ट ने NLU के कंसोर्टियम को भी नोटिस जारी किया। इससे क्लैट परीक्षा के आयोजकों को अपनी गलतियों का पता चला, और फिर आनन-फानन में 7 दिसंबर को देर शाम फाइनल आंसर की जारी किया गया और देर रात मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई, जिसे 10 दिसंबर को जारी करना था।

परिणामों में हुआ भारी हेरफेर

याचिकाकर्ताओं द्वारा बताया गया था कि 12 प्रश्नों के उत्तर गलत दिए गए थे। अगर इसे ही मान लिए जाये तो 12 उत्तरों के चलते परीक्षार्थियों की रेंक काफी ऊपर-नीचे हो जाती है। यही वजह है कि आंसर शीट में गलतियां सुधारने के बाद परिणाम में तो गलतियां थीं ही, अब रैंक में भी गड़बड़ी शुरू हो गई है। इसका असर ये हुआ है कि जिन्हें पहले आसानी से प्रवेश मिल रहा था, उन्हें मुश्किल हो गई है और जिनके प्रवेश की राह कठिन थी, वो आसान हो गई है। कुछ स्टूडेंट्स को पहले अच्छी यूनिवर्सिटी में प्रवेश मिल रहा था, लेकिन उन्हें अब नीचे रैंक वाली यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेना पड़ेगा। वजह ये है कि कन्सोर्टियम ऑफ एनएलयूज ने कई स्टूडेट्स के परिणामों को बिना सूचना के बदल दिया है।

रैंक में इस तरह हुआ हेरफेर

इस परीक्षा में पहले गलत आंसर और फिर उसमें सुधार के चलते परिणाम में जो हेरफेर हुआ उसके कुछ उदहारण सामने आये हैं। जोधपुर के अध्ययन रतनू की पहले पीडब्ल्यूडी श्रेणी में 20 वीं रैंक बताई, उसने इसी कैटेगिरी में आवेदन भी किया था। लेकिन अब पीडब्ल्यूडी कैटेगरी हटा दी। पहले उसे टॉप 5 यूनिवर्सिटी में प्रवेश मिल रहा था। अब 26 यूनिवर्सिटी में से किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं मिल पाएगा।

इसी तरह लखनऊ के दिव्य राज सिंह की पहले पीडब्ल्यूडी श्रेणी में 358वीं रैंक आई थी। उसे सोमवार को बदलकर 70वीं कर दी। जब काउंसलिंग के लिए आगे बढ़ा तो उसकी रैंक 73वीं कर दी। ऐसे में पहले उसे किसी यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं मिल रहा था, अब राह आसान हो गई है।

जयपुर के आदित्य शुक्ला की पहले पीडब्ल्यूडी में 321वीं रैंक बताई जा रही थी। सोमवार को उसका भी परिणाम संशोधित हो गया और अब इसी कैटेगरी में 62वीं रैंक बताई जा रही है। पहले किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं मिल रहा था। अब उसके प्रवेश की संभावनाएं बन गई हैं।

अगले रुख का इंतजार

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी है मगर अभी इस बात का पता नहीं चल सका है कि वे हाईकोर्ट जा रहे हैं या नहीं। अगर वे हाई कोर्ट में मामला दायर करते हैं तो बात और आगे बढ़ेगी। वैसे याचिकाकर्ताओं का मनाना है कि सुप्रीम कोर्ट को यह मामला निचली अदालत में ले जाने की सलाह देने की बजाय खुद स्वीकार कर सुनवाई करना चाहिए था। वहीं क्लैट ने जिस तरह आनन-फानन में परिणाम जारी किया है, उसमें सुधार करते हुए सारी गड़बड़ियों को दूर करना चाहिए, जिससे प्रवेश के लिए पात्र विद्यार्थी बेवजह वंचित न रह जाएं।