रायपुर। छत्तीसगढ़ में राइस मिलर एसोसिएशन ने हड़ताल समाप्ति की घोषणा कर दी है। राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि उनकी समस्याओं को सरकार ने गंभीरता से सुना है और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भी मिलकर उन्होंने अपना पक्ष रखा।

सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि वे पूरी तरह से संतुष्ट हैं। इसके बाद, मिलरों ने हड़ताल समाप्त करने का ऐलान किया और कहा कि अब धान का उठाव शुरू हो चुका है, और वे किसानों के हित में सरकार के साथ खड़े हैं।

छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने जानकारी दी कि मिलर्स ने सरकार के साथ बकाया भुगतान सहिंत अन्य विषयों का समाधान ना हो पाने पर कार्य ना करने असमर्थता का पत्र प्रदेश एसोसिएशन को लिखित में दिया। प्रदेश एसोसिएशन ने सीएमआर कार्य करने का निर्णय मिलर्स पर छोड़ा था।
हमने मिलर्स के 2022-23 के प्रोत्साहन राशि भुगतान की प्रमुख मांग सरकार के समक्ष रखी जिसमें कुछ तकनीकी दिक्कत के कारण राज्य सरकार ने 2023-24 के प्रथम किस्त के भुगतान करने का निर्णय लिया।

उन्होंने आगे कहा कि हमें 2023-24 का भुगतान जल्द होने में शंका थी क्योंकि हमारा कस्टम मिलिंग कार्य अपूर्ण था जिसकी जानकारी हमने राज्य सरकार के समक्ष भी रखी। अब सरकार शीघ्र भुगतान का रास्ता बना चुकी है साथ ही 2022-23 के भुगतान पर भी भरोसा दे रही है। हमें भी सरकार पर भरोसा है। प्रदेश एसोसिएशन सभी मिलर्स से निवेदन करता है कि जल्द ही कार्य आरंभ करें और सीएमआर कार्य में सहयोग करें।

सरकार की सख्ती; मिलों पर कार्रवाई

खाद्य विभाग ने अब उन राइस मिलों के खिलाफ सख्त कदम उठाना शुरू किया है जो नियमों का पालन नहीं कर रहे थे और धान का उठाव नहीं कर रहे थे। हाल ही में प्रशासन ने तीन राइस मिलों को सील कर दिया है। इनमें महामाया राइस मिल, मां संतोषी राइस मिल, और रानू गांधी राइस मिल शामिल हैं, जहां अनियमितताएं पाई गई थीं। इस कार्रवाई में राजस्व विभाग, खाद्य विभाग, और पुलिस विभाग की टीम भी शामिल थी।

धान खरीदी केंद्रों में बढ़ी समस्या

मिलरों द्वारा धान का उठाव नहीं किए जाने के कारण, धान खरीदी केंद्रों में धान का भारी बफर स्टॉक जमा हो गया है, जो सीमा से दो से तीन गुना अधिक है। इस कारण से कई केंद्रों पर खरीदी बंद हो गई है। मार्कफेड द्वारा कुछ उठाव किया जा रहा है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। यदि जल्द ही धान का उठाव नहीं किया गया, तो पूरी खरीदी प्रक्रिया बंद हो सकती है।