रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को एक साल पूरे हो चुके है। भाजपा सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ और 12 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री के साथ 11 मंत्रियों की नियुक्ति हुई लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश में केवल 10 मंत्री ही रह गए।

छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 90-90 विधानसभा सीट है। हरियाणा के मंत्रीमंडल में 14 मंत्री हैं लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ में 13 मंत्रियों की ही नियुक्ति हुई है। दोनों राज्यों में समान सीटें है, तो हरियाणा में 14 और छत्तीसगढ़ में केवल 13 मंत्री का प्रावधान कैसे हो सकते हैं?
इसका प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 1-ए में यह प्रावधान है कि किसी राज्य में मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। वहीं, किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी।
समझिए पूरा समीकरण…
हरियाणा और छत्तीसगढ़ दोनों राज्य में 90-90 विधानसभा सीट है और 90 का 15 प्रतिशत होता है- 13.5। चूंकि, यह दशमलव में है तो इसे आधार मानते हुए हरियाणा में यह संख्या 14 निर्धारित है। वहीं, छत्तीसगढ़ में अब तक कैबिनेट में 13 ही मंत्री रहे हैं। डॉ. रमन सिंह तीन बार के मुख्यमंत्री रहे तो उनके कैबिनेट में 13 मंत्री थे। वहीं, 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने, उनके कैबिनेट में भी मंत्रियों की संख्या 13 ही रही। अब छत्तीसगढ़ में 14 मंत्री बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है।
पूर्व शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा चुनाव से पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में वे रायपुर के सांसद हैं। उनके इस्तीफे के बाद एक मंत्री पद अब तक खाली है। फिलहाल, राज्य में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होने वाले हैं, साथ ही भाजपा के संगठन चुनाव भी चल रहे हैं। इस बीच यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी बीच मंत्रीमंडल का विस्तार भी हो सकता है।
कैबिनेट के विस्तार और 14 मंत्री के विषय पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि फिलहाल प्रदेश में अभी संगठन का चुनाव चल रहा है। नए मंत्री भी बनाए जाएंगे, पर अभी थोड़ा समय लगेगा। मंत्रियों की संख्या 13 होगी या 14, वह भी जल्द पता चल जाएगा।
कौन होगा नया मंत्री…
मंत्रीमंडल के विस्तार के अटकलों के बीच कुछ नामों की चर्चा जोरों पर हैं। जिनमें गजेंद्र यादव, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, किरणदेव सिंह और सुनील सोनी जैसे नाम शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में जातिगत समीकरण को नकारा नहीं जा सकता हैं। यहां अनुभवी और वरिष्ठजनों को मौका देने के बाद जातिगण जनसंख्या के आधार पर पद देने का भी चलन है। बात करें तो गजेंद्र यादव सामाजिक तौर पर समाज के साथ जुड़े हुए है। मंत्री पद के दावेदारी के बीच बीजेपी को यादव मतदाताओं में एक अच्छा स्कोप दिख रहा है। बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और वहां यादव वोटर निर्णायक होते हैं। मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ से यादव को मंत्री बनाकर बीजेपी इसे बिहार में भुनाने का प्रसाय कर सकती हैं।
दूसरा नाम अमर अग्रवाल का है, जो वरिष्ठ और अनुभवी नेता है। वहीं, अमर अग्रवाल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में 5 साल तक बिलासपुर में हुए अपराधों पर सरकार को लगातार घेरते रहे। अलग-अलग घटनाओं पर प्रेसवार्ता लेकर बयान जारी किए जिसके चलते जनता में उनकी मौजूदगी बनी रही। वे अपने क्षेत्र के सामाजिक और सुख-दुख के कार्यक्रमों में लगातार शामिल होते रहे।
तीसरा नाम राजेश मूणत का है, जो पूर्व में पीडब्ल्यूडी मंत्री रह चुके हैं और वरिष्ठ हैं। वैसे ही राजेश मूणत भी अपने समाज में काफी लोकप्रिय माने जाते हैं। तेज-तर्रार मंत्री के रूप में मूणत को मंत्री पद देकर अल्पसंख्यक समाज को साधने का प्रयास किया जा सकता है।
चौथा नाम अजय चंद्राकर है, जो स्वास्थ्य मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। वहीं, वे राजस्व के मामलों में काफी अनुभवी भी हैं। कुर्मी समाज में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बाद समाज की राजनीति अब तेज हो चुकी है। अजय चंद्राकर के अनुभव के साथ पार्टी कुर्मी समाज को साधने का प्रयास कर सकती है।
साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव सिंह के नाम की चर्चा है, वे जगदलपुर से विधायक है। वहीं, पूर्व सांसद सुनील सोनी का नाम भी चर्चा में बना हुआ हैं क्योंकि उन्होंने पूर्व मंत्री और 8 बार के विधायक रहे बृजमोहन अग्रवाल की सीट से विधानसभा उपचुनाव जीता है।