रायपुर। साल के पहले दिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंत्रालय में अफसरों की बैठक ली और समय प्रबंधन को लेकर खरी-खरी सुना दी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय में कम से कम अफसरों को तो समय पर आना चाहिए। जब 5 दिनों की ड्यूटी कर दी गई है और दो दिन का अवकाश मिल रहा है तो इन 5 दिनों में तो अच्छे से काम करना चाहिए। सीएम ने यह बात क्या कही अगली सुबह पूरे मंत्रालय को टाइट कर दिया गया।


नवा रायपुर स्थित मंत्रालय में आज सुबह काफी शोर-शराबा हुआ, यहां ड्यूटी करने पहुंचे कर्मचारी नारेबाजी कर रहे थे। पूछने पर पता चला कि CM सचिवालय से निर्देश मिला है कि देर से मंत्रालय पहुंचने वाले कर्मचारियों की सूची ‘लेट कमर्स’ के नाम पर बनाई जाये और संबंधित विभाग प्रमुखों को भेजी जाये। ऐसे कर्मियों को सजा के तौर पर रजिस्टर में उनकी एंट्री छुट्टी के तौर पर की जाएगी।
कर्मचारियों ने जताई नाराजगी
दरअसल नवा रायपुर में मंत्रालय और सचिवालय में काम करने वाले अधिकांश कर्मचारी-अधिकारी शासन द्वारा मुहैया बसों में सवार होकर आते हैं। आज सुबह मंत्रालय में जैसे ही काम पर पहुंचने का समय खत्म हुआ, इसके बाद आने वाले कर्मचारियों के नाम नोट किये जाने लगे। मंत्रालय के गेट नंबर 3 पर जब लेट आने वाले कर्मचारियों की सूची बनने लगी तब सभी हंगामा करने लगे। थोड़ी ही देर में नारेबाजी भी शुरू हो गई। यहां बताया गया कि लेट आने वाले कर्मचारियों की सूची विभाग प्रमुख को भेजी जाएगी, जहां से सजा के बतौर उनकी छुट्टी का उल्लेख कर दिया जायेगा।

बस ऑपरेटर पर उतारा गुस्सा
नारेबाजी कर रहे कर्मचारियों ने इस मौके पर कहा कि वे मंत्रालय आने के लिए पूरी तरह बसों पर आश्रित हैं। जब बस लेट होती है तो वे भी लेट हो जाते हैं। अधिकारियों को इस व्यवस्था के लिए ऑपरेटर को दुरुस्त करना चाहिए।
खटारा बसों के सहारे कर्मचारियों की आवाजाही
मंत्रालय में लेट पहुंचने को लेकर जब कर्मचारियों को दुरुस्त करने का प्रयास शुरू हुआ तब यहां एक बार फिर इन्हें लेकर आने-जाने वाली बसों की हालत को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। यहां के कर्मचारी-अधिकारी संघ के अध्यक्ष कमल वर्मा ने TRP न्यूज को बताया कि बसें समय पर आएंगी तभी कर्मचारी कार्यालय समय पर आ सकेंगे। उन्होंने बताया कि बस संचालन का ठेका किसी दुर्गांबा बस सर्विसेस को दिया गया है, जिसकी बसों की काल अवधि खत्म हो चुकी हैं। इन खटारा बसों में सफर करते समय कर्मियों को हमेशा दुर्घटना का भय लगा रहता है।

कमल वर्मा ने कहा कि सरकार ने ही वाहनों की कालअवधि को लेकर नियम बनाये हैं और इधर शासकीय कर्मियों-अधिकारियों को लेकर जाने वाली ऐसी बसों की ओर शासन के जिम्मेदार अधिकारियो का ध्यान ही नहीं है। जबकि इस मामले में कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं कि उन्हें ले जाने वाली बसों को बदला जाये। वहीं बायोमैट्रिक की व्यवस्था शुरू किये जाने के सवाल पर वर्मा ने कहा कि जब तक बसों के परिवहन की व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जाता, इस तरह की व्यवस्था का कोई औचित्य ही नहीं है।
बहरहाल प्रदेश के मुखिया की नसीहत को देखते हुए मंत्रालय में समय प्रबंधन को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों ने कड़ाई तो शुरू कर दी है, मगर उन्हें इस व्यवस्था पर भी ध्यान देने की जरुरत है ताकि कर्मचारी समय पर सुरक्षित तरीके से आवाजाही कर सकें।