रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार को पूछताछ के लिए ED कार्यालय पहुंचे लखमा को कोर्ट ने 7 दिन की रिमांड पर भेज दिया है। ED के वकील सौरभ पांडेय ने कोर्ट में दावा किया कि लखमा को हर महीने शराब कार्टेल से 2 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में मिलते थे। इस राशि का उपयोग उन्होंने निजी संपत्ति और कांग्रेस भवन निर्माण में किया।

ED का दावा: 72 करोड़ का भ्रष्टाचार
ED के वकील ने कहा कि 36 महीने के दौरान प्रोसीड ऑफ क्राइम की राशि 72 करोड़ रुपये है। इस पैसे का उपयोग सुकमा में लखमा के बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन के निर्माण में हुआ। ED की जांच में पता चला कि यह राशि आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा लखमा तक पहुंचाई जाती थी।
उन्होंने आगे बताया कि, गिरफ्तार अरुणपति त्रिपाठी और अरविंद सिंह ने पूछताछ में बताया था कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पास हर महीने कमीशन पहुंचता था। अरविंद सिंह ने बताया था कि, शराब कर्टल से हर महीने लखमा को 50 लाख रुपए दिए जाते थे। यही नहीं 50 लाख रुपए के ऊपर भी 1.5 करोड़ रुपए और दिया जाता था। इस हिसाब से 2 करोड़ रुपए पूर्व आबकारी मंत्री को हर महीने कमीशन के तौर पर मिलते थे।
आबकारी के अधिकारी भेजते थे पैसे
उन्होंने आगे कहा कि, आबकारी विभाग में काम करने वाले ऑफिसर इकबाल खान और जयंत देवांगन ने बताया कि, वे पैसों का अरेंजमेंट कर उनको भेजते थे। कन्हैया लाल कुर्रे के जरिए पैसों के बैग कलेक्ट किए जाते थे। यहां तक कि, कवासी लखमा ने खुद अपने बयान में यह माना है कि अरुण पति त्रिपाठी साइन करवाता था। ऐसे में उन्हें नॉलेज तो था कि कुछ चल रहा है। इसलिए इस मामले में इनका भी इन्वॉलमेंट साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
लखमा के वकील ने किया बचाव
वहीं सुनवाई के बाद बाहर निकले कवासी लखमा के वकील फैजल रिजवी ने कहा कि, उनकी गिरफ्तारी सबूत बनाने के बाद की गई है। अगर 2 करोड़ रुपए मिलने की बात वे कह रहे हैं तो बताएं कि, कवासी लखमा के घर से क्या मिला? छापे में कहीं से 20 हजार रुपए भी नहीं मिले हैं।
17 जनवरी को ED ने दर्ज की थी FIR
इस मामले में 17 जनवरी 2024 में ED की सूचना पर ACB ने FIR दर्ज की थी। जांच के दौरान एजेंसी ने मामले में फरार चल रहे कई आरोपियों जिनमें आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव एपी त्रिपाठी भी शामिल हैं। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है, फिलहाल वे यूपी की मेरठ जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद भिलाई के बड़े शराब कारोबारी के साथ ही कुछ और लोगों को एसीबी ने पकड़ा है।
इनके नाम हैं शामिल
शराब घोटाले मामले में एआईएस में आईएएस निरंजनदास, अनिल टूटेजा, उनके बेटे यश टूटेजा के साथ एके त्रिपाठी, विवेक ढांड और तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम शामिल है। शराब घोटला में ही अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, विजय भाटिया के साथ ही एक दर्जन से ज्यादा आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।
ईडी ने किया था आवेदन
बताया जा रहा है कि ईडी जिस आवेदन के आधार पर एसीबी ने शराब घोटाला में FIR दर्ज की है। वह आवेदन ईडी ने मार्च 2023 में एसीबी और ईओडब्ल्यू को दिया था। लेकिन तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, ऐसे में उस समय FIR दर्ज नहीं की गई। लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य सरकार की एजेंसी ने इन मामलें में FIR दर्ज कर लिया है। दोनों मामलों में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की धाराओं में FIR दर्ज किया गया है।
नोएडा में भी दर्ज हुआ मामला
शराब घोटाले का एक और मामला नोएडा में दर्ज किया गया है, जहां नियम विरुद्ध तरीके से होलोग्राम टेंडर दिया गया था। इस मामले में कंपनी और अफसरों के बीच आठ पैसे प्रति होलोग्राम कमीशन की बात सामने आई।
तेजी से पूरी हुई जांच
ACB और EOW की जांच जनवरी 2024 में शुरू हुई और मार्च में IPS अमरेश मिश्रा के नेतृत्व में तेजी आई। रिकॉर्ड समय में चालान पेश कर दिया गया। सामान्यतः ACB-ईओडब्ल्यू की जांच लंबी चलती है, लेकिन इस मामले में त्वरित कार्रवाई हुई।