0 दो माह पहले काकीनाड़ा के बंदरगाह में पकड़ा गया था 640 मीट्रिक टन पीडीएस चावल
0 रायपुर के सत्यम बालाजी राइस इंडस्ट्रीज का था यह पूरा माल
0 पश्चिमी अफ्रीका भेजा जा रहा था चावल

रायपुर। आयकर विभाग ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की सत्यम बालाजी राइस कंपनी से जुड़े ठिकानों में छापा मार कर मध्य भारत की सबसे बड़ी कर चोरी का खुलासा किया था। कर चोरी 1000 करोड़ से भी अधिक की निकली। इस छापे का कनेक्शन आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा पोर्ट से निकला, जहां से सत्यम बालाजी ग्रुप द्वारा विदेशों में चावल भेजा जाता था। नवम्बर के महीने में यहां आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने खुद छापा मार कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली का भारी मात्रा में चावल पकड़ा था। इस कार्रवाई के बाद राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के कान खड़े हुए और गोपनीय तरीके से जांच के बाद इस कंपनी के ठिकानों पर छापा मारा गया।
जानिए क्या था मामला..?
यह मामला 29 नवम्बर का है, जब आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के. पवन कल्याण और उनके साथ प्रदेश के नागरिक आपूर्ति मंत्री नादेंदला मनोहर काकीनाड़ा के एंकरेज पोर्ट (बंदरगाह) पर पहुंचे। मगर यहां मौजूद अधिकारियों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। दरअसल पवन कल्याण यहां से अवैध चावल के एक्सपोर्ट की सूचना पर पहुंचे थे। बंदरगाह में प्रवेश से रोके जाने पर उनका शक यकीन में बदलने लगा और उन्होंने अपनी टीम के साथ बल पूर्वक अंदर प्रवेश किया। अंदर एक बड़े जहाज स्टेला एल में चावल की लोडिंग हो रही थी।

उप मुख्यमंत्री के पवन कल्याण ने पूछताछ की तब पता चला कि 52,000 टन माल ले जाने में सक्षम इस जहाज में 38,000 टन चावल भरा हुआ था। चावल के इस खेप में भारी मात्रा में आंध्र प्रदेश के सार्वजानिक वितरण प्रणाली (PDS) का चावल भरा हुआ था। दरअसल पकड़े गए चावल में FRK याने फोर्टीफाइड राइस मिला हुआ था, जिससे इसके PDS का चावल होने का खुलासा हुआ, क्योंकि इस तरह खुले मार्केट में FRK मिलाकर चावल नहीं बेचा जाता। उप मुख्यमंत्री और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री द्वारा इस अफरा-तफरी को पकड़े जाने की सूचना मिलने पर काकीनाड़ा जिला कलेक्टर सागिली शान मोहन अधिकारियों और पूरी टीम के साथ यहां पहुंचे और पूरी छानबीन की। इस दौरान यहां 640 मीट्रिक टन पीडीएस चावल की बोरियां जब्त की गई।

सत्यम बालाजी ग्रुप का था पूरा माल
29 नवंबर 2024 को काकीनाड़ा पोर्ट पर हुई कार्रवाई में जो चावल जब्त किया गया था वह पूरा माल रायपुर के सत्यम बालाजी राइस इंडस्ट्रीज का था और उसे जितने निर्यात की अनुमति दी गई थी, उससे अधिक चावल पाया गया। बता दें कि काकीनाडा में भी सत्यम बालाजी राइस कंपनी का बाद ठिकाना है, जहां से चावल की विदेशों में सप्लाई की जाती है।

5 साल में 45 हजार करोड़ के चावल की अफरा-तफरी
इस कार्रवाई के दौरान हुई जांच के बाद उप मुख्यमंत्री के पवन कल्याण ने मीडिया को दिए बयान में बताया कि काकीनाड़ा के इस पोर्ट से बीते 5 साल में 45 हजार करोड़ का अवैध तरीके से एकत्र चावल विदेशों में भेजा गया है। जांच में इस बात का भी खुलासा किया गया कि आंध्र प्रदेश में गरीबों को बंटने वाला PDS का चावल दलालों के माध्यम से 24 रूपये प्रति किलो में खरीद कर अफ्रीका और अन्य देशों में 74 रूपये प्रति किलो तक बेचा जा रहा है। मजे की बात यह है कि आंध्र प्रदेश के अन्य 3 बंदरगाहों से जितना चावल इस अवधि में एक्सपोर्ट किया गया उससे काफी ज्यादा चावल काकीनाड़ा पोर्ट से विदेश भेजा गया। इसकी मात्रा 1 करोड़ 31 लाख 18 हजार 346 टन बताई गई है। एक और खास बात यह है कि केंद्र सरकार ने जब देश भर से विदेशों में चावल का एक्सपोर्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया था, तब भी इस बंदरगाह से चावल बेधड़क विदेश भेजा जा रहा था।
रसूख के चलते होता रहा सारा काम
बता दें कि काकीनाड़ा पोर्ट में आंध्र प्रदेश की नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा सत्यम बालाजी राइस कंपनी से जिस 640 मीट्रिक टन PDS चावल को जब्त किया गया था, उसे निर्यातक यानि राइस कंपनी द्वारा दी गई बैंक गारंटी पर काकीनाडा एंकरेज पोर्ट से पश्चिम अफ्रीका निर्यात करने की अनुमति दे दी गई। सोचने वाली बात यह है कि आखिर सरकार द्वारा PDS का पकड़ा गया चावल कंपनी को कैसे एक्सपोर्ट करने के लिए दे दिया गया। सरकार ने केवल बैंक गारंटी के आधार पर कंपनी को यह छूट दे दी। इससे पता चलता है कि यहां सत्यम बालाजी कंपनी का कितना रसूख है।
मामले की जांच का जिम्मा SIT को
PDS चावल की अफरा-तफरी के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आंध्र प्रदेश में नवनिर्वाचित गठबंधन सरकार ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी और इस मामले की जांच का जिम्मा SIT को सौंपा गया। छः सदस्यीय इस टीम की अध्यक्षता सीआईडी के पुलिस महानिरीक्षक विनीत बृज लाल कर रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा बंदरगाह से चावल की बड़े पैमाने पर हो रही अफरा-तफरी की जानकारी आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार को भी दी गई, क्योंकि PDS के सिस्टम में अधिकांश हिस्सा केंद्र सरकर का होता है। सूत्र बताते हैं कि केंद्र की एजेंसियों ने चावल के बड़े एक्सपोर्टर सत्यम बालाजी राइस इंडस्ट्रीज को केंद्रित रखते हुए गोपनीय ढंग से इस कारोबार की रेकी की और पिछले हफ्ते आयकर विभाग ने एक साथ सत्यम बालाजी के सभी ठिकानों पर छापेमारी की।

छापे की यह कार्रवाई काकीनाडा स्थित सत्यम बालाजी राइस कंपनी के ठिकाने पर भी हुई। आईटी टीमों ने काकीनाडा में कंपनी के तीन प्रमुख गोदामों की तलाशी ली, जहां बड़ी मात्रा में चावल संग्रहित किया गया था। इस दौरान करीब 22 ठिकानों पर दबिश दी गई है। छापेमारी रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, गोंदिया और काकीनाड़ा समेत सत्यम बालाजी राइस इंडस्ट्रीज प्रालि के ठिकानों और उसके कमीशन एजेंटों के यहां भी की गई। राइस ट्रेड से जुड़े कारोबारियों के ठिकानों पर भी टीम पहुंची। आयकर की इस छापेमारी में छत्तीसगढ़ आईटी की 150 सदस्यीय टीम और 150 सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया है। सत्यम बालाजी राइस इंडस्ट्रीज के मालिक पुरुषोत्तम अग्रवाल और प्रदीप अग्रवाल हैं। गैर बासमती उसना और अरवा दोनों तरह के चावल का कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है।
कैसे होता है कच्चे का काम..?
आयकर विभाग की इस छापेमारी के दौरान 1000 करोड़ रूपये के कच्चे का काम पकड़ा जाना बताया जा रहा है। आखिर कैसे होता है यह कच्चे का काम। इसके बारे में जानकारों ने बताया कि जिस तरह आंध्र प्रदेश में PDS का चावल गरीबों से कम दाम पर खरीद कर दलालों और ब्रोकर के जरिये चावल कारोबारियों तक (राइस मिलों में) पहुंचाया जा रहा है, वैसा ही छत्तीसगढ़ में भी बड़े पैमाने पर हो रहा है। पूरे प्रदेश में सरकारी उपभोक्ता भंडारों के संचालक या फिर आसपास मौजूद दलालों द्वारा अधिकांश गरीबों से कम दर पर चावल खरीद लिया जाता है, और यह बिचौलियों के जरिये फिर से चंद राइस मिलों के गोदाम में पहुंच जाता है। इसी तरह का चावल सत्यम बालाजी राइस कंपनी द्वारा भी खरीदा जाता है, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता है। यही काम कच्चे का है, जिसके जरिये कंपनी करोड़ों की कमाई कर रही है और टैक्स की चोरी भी कर रही है।
बहरहाल अरबों की कर चोरी के इस मामले का खुलासा हो चुका है। सरकार की एजेंसी ने इस गड़बड़ी को पकड़ा है। मगर देखने वाली बात यह है कि आखिर सालों से इस तरह की गड़बड़ी बदस्तूर कैसे चलती रही। स्वाभाविक है कि इसमें सरकारी अमले की ही नहीं, बल्कि सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों की भी भूमिका रही होगी। अब देखना यह है कि सरकार को होने वाले करोड़ों के राजस्व के नुकसान से बचने का कोई ठोस कदम उठाया जायेगा या फिर पहले की तरह ही सब कुछ बदस्तूर चलता रहेगा।