टीआरपी डेस्क। राज्यसभा में गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट पेश की गई। मेधा कुलकर्णी ने रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी, जिसके तुरंत बाद विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया।

विपक्ष का आरोप, डिसेंट नोट हटाए गए

विपक्षी सांसदों का कहना है कि जेपीसी रिपोर्ट से उनके डिसेंट नोट (असहमति टिप्पणियां) हटा दिए गए हैं, जो कि असंवैधानिक है। तिरुचि शिवा ने कहा कि कमेटी के सदस्यों की असहमति को रिपोर्ट में शामिल करना नियम के तहत जरूरी है, लेकिन यहां इसका पालन नहीं किया गया।

खरगे ने रिपोर्ट को बताया फर्जी

विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस रिपोर्ट को फर्जी करार देते हुए कहा कि हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।” उन्होंने आरोप लगाया कि सांसदों की राय को दबाया गया और रिपोर्ट से उनकी असहमति को जानबूझकर हटाया गया।

खरगे ने मांग की कि इस रिपोर्ट को फिर से जेपीसी के पास भेजा जाए और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस पर निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा, हमारे कई सदस्यों ने डिसेंट नोट दिए हैं, लेकिन उन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। यह अलोकतांत्रिक है।

जेपी नड्डा का पलटवार, कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सभापति ने चर्चा के लिए पूरा अवसर दिया था, लेकिन विपक्ष का मकसद सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाना था। उन्होंने कहा, यह तुष्टिकरण की राजनीति है। कांग्रेस उन ताकतों को मजबूत कर रही है, जो भारत को कमजोर करना चाहती हैं।

रिपोर्ट फिर से जेपीसी के पास भेजने की मांग

खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ से अपील की कि वह इस रिपोर्ट को नामंजूर कर दें और इसे फिर से जेपीसी के पास भेजकर सही प्रक्रिया के तहत पेश करने का निर्देश दें।

सदन में जारी रहा हंगामा

राज्यसभा में इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष जहां रिपोर्ट को फिर से जेपीसी को भेजने की मांग कर रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि रिपोर्ट पूरी तरह नियमों के अनुसार पेश की गई है।