बिलासपुर। न्यायधानी में कांग्रेसियों के दो खेमों की लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही। दोनों ही गुट के नेता एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगा रहे हैं। बिलासपुर ग्रामीण और शहर जिला अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि उन्होंने निगम चुनाव में भीतर घात करने वालों को बाहर किया तो उनके समर्थक कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने उन्हें चपरासी बता दिया। इस कारण नाराज होकर दोनों जिला अध्यक्ष ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को चिट्ठी लिखकर अटल श्रीवास्तव के खिलाफ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और उन्हें पार्टी से निष्कासित करने की अनुशंसा कर डाली।

इस मामले में अब अटल श्रीवास्तव ने पार्टी से अपने निष्कासन की अनुशंसा पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण) अध्यक्ष विजय केशरवानी और शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय द्वारा उनके निष्कासन के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में आक्रोश है और वे बड़ी संख्या में बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं को देखते हुए समीक्षा बैठक आवश्यक है। उन्होंने दावा किया कि हज़ारों की संख्या में कार्यकर्ता इस बैठक में शामिल होंगे और जिला कांग्रेस अध्यक्षों के खिलाफ नाराजगी जताएंगे।

पार्षद प्रत्याशियों की सूची लीक होने पर उठाया सवाल

अटल ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिलासपुर में दोनों ही जिला अध्यक्ष पूरी तरह से निरंकुश हो चुके हैं और वे मनमाना फैसला दे रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि बिलासपुर में पार्षद प्रत्याशियों की अधिकृत सूची जारी होने से पहले ही इन लोगों ने अपनी सूची जारी कर दी। इतना ही नहीं इसमें तीन बार बदलाव किया गया। 12 से 15 प्रत्याशियों के नाम बदल गए। यहां तक की बी फार्म तक बदल दिए गए। नतीजा यह रहा कि कांग्रेस के 10 पार्षदों की जमानत जप्त हो गई ।

‘मैंने ऐसा क्यों कहा, सोचने की है जरुरत’

अटल श्रीवास्तव यह भी कहते हैं कि अगर मैंने यह कहा है कि ‘कलेक्टर को चपरासी निकाल रहे हैं’ तो यह सोचना होगा कि आखिर ऐसा क्यों कहा गया। शहर और ग्रामीण अध्यक्ष विजय पांडे एवं विजय केसरवानी पर आरोप लगाते हुए अटल श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों ही पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं। हार का ठीकरा फूटने के डर से समीक्षा से बचने वाले यह लोग किसके इशारे पर संगठन को कमजोर कर रहे हैं और कौन इन्हें पीछे से ताकत दे रहा है ? इसकी जांच करने की भी जरूरत पर अटल श्रीवास्तव ने जोर दिया।

कार्रवाई नहीं हुई तो बुलाएंगे बैठक

अटल श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने इस संबंध में उच्च पदाधिकारियों से चर्चा की है और उन्होंने 23 तक उन्हें खामोश रहने के लिए कहा है। 23 फरवरी के बाद इस पर निश्चित रूप से समीक्षा होगी और बातचीत की जाएगी। हम कांग्रेस नेतृत्व के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, यदि पार्टी नेतृत्व निष्कासन की अनुशंसा करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करता, तो हम कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाकर सच्चाई सामने लाएंगे।

निष्कासन की अनुशंसा कैसे हुई लीक..?

श्रीवास्तव ने सवाल उठाया कि यदि निष्कासन की अनुशंसा की गई थी, तो इसकी जानकारी सबसे पहले मीडिया को कैसे मिली? इसे सीधे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को भेजा जाना चाहिए था, न कि मीडिया में लीक किया जाना चाहिए था। उन्होंने इसे अनुशासनहीनता करार दिया और कहा कि प्रदेश नेतृत्व को इसका संज्ञान लेना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि जिला कांग्रेस कमेटी प्रदेश नेतृत्व को ही चुनौती दे रही है। जिन पदाधिकारियों पर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है, उनको पार्टी से निकाला जा रहा है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व से यह स्पष्ट करने की मांग की कि वे अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे या नहीं।

श्रीवास्तव ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक खुली बैठक बुलाने की बात कही, जिसमें यह तय किया जाएगा कि दोनों जिला कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी का नेतृत्व करने योग्य हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि जब कार्यकर्ताओं की बैठक होगी, तो सबको पता चल जाएगा कि दोनों आने लायक नहीं रहेंगे।